छत्तीसगढ़ के रहने वाले पर्यावरण प्रेमी वीरेंद्र सिंह के जज्बे की लोग जमकर सराहना कर रहे है।
बालोद जिले के दल्ली राजहरा गाँव में जन्मे वीरेंद्र सिंह एक सामान्य किसान परिवार से है।
बचपन से ही वे प्रकृति से उनका लगाव रहा है
बी कॉम, एम कॉम और अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री लेने के बाद रोजी रोटी के लिये वर्ष 2000 में एक निजी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया।
इस दौरान वीरेंद्र ने प्रकृति से लगाव की पहली नींव रखी । उन्होंने अपने घर के पास एक पीपल का पौधा रोपा और 25 बच्चों की टीम बनाकर उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए प्ररित किया ।
इंडिया वाटर पोर्टल से बातचीत में वीरेंद्र सिंह ने बताया की बचपन में वह देखा करते थे कि लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगल से पेड़ व लकड़ियों को काटकर घर लाते थे।
ये देखकर उन्हें काफी पीड़ा होती थी। और इसी पीड़ा ने उन्हें प्रकृति प्रेमी बनने के लिए प्रेरित किया।
13 साल पहले उन्होंने जल संरक्षण का काम भी शुरू किया। छत्तीसगढ़ में विभिन्न जल प्रणालियां है पानी में बढ़ते प्रदूषण के कारण इनका जलस्तर काफी नीचे चला गया है।
कई लोग नदियों और तालाबों पर कूड़ा फेंक देते हैं जिसके कारण भूजल में लगातार गिरावट आ रही है। विकराल होती इस समस्या से निपटने के लिए वीरेंद्र अपने साथियों के साथ सभी नदियों और तालाबों को साफ करने का जिम्मा उठाया है । उन्होंने अभी तक करीब 35 तालाब एक नदी 2 कुंड साफ कर चुके है।
नदियों के संरक्षण के लिए उन्होंने हाल ही में महिलाओं को शपथ भी दिलाई है।
वीरेंद्र सिंह के प्रयासों ने उन्हें जल स्टार बना दिया है। कभी उन पर तंज करने वाले लोग आज उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं