नदी इस किनारे केवल

Submitted by admin on Wed, 10/02/2013 - 16:19
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काव्य संचय- (कविता नदी)
नदी इस किनारे केवल
या केवल उस किनारे
या मँझधार ही पूरी वह
प्यार में नदी समझ में नहीं आती
नदी में भीगने से
लगता है
बरसात में भीगा
बिना छाता लिए
जब कभी टहलने निकला।
बाढ़ में डूबी उलटी नाव की
छत के नीचे
हमारा घर बसा है।