नीर-नारी-नदी-सम्मेलन

Submitted by Hindi on Mon, 08/22/2016 - 12:39

 

दिनांक :- 22-23 सितम्बर 2016
स्थान :- बाल भवन नई दिल्ली

 


बाढ़ और सुखाड़ साथ-साथ भारत के हर कोने में दिखाई दे रहे हैं। पिछले सौ वर्षों में भूमि, वनों का कटाव, नदियों में मिट्टी का जमाव, बाढ़ और सुखाड़ पैदा कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ लगातार तापमान में वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप धरती को बुखार चढ़ रहा है और मौसम का मिजाज बिगड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन का गहरा प्रभाव हमारे जीवन पर होता जा रहा है। हमारी आर्थिकी, भौतिकी संस्कृति और आध्यात्मिकता का स्वरूप बदल रहा है जो हमें पराधीनता की तरफ ले जा रहा है।

हमारी सारी छोटी नदियां सूख रही हैं और बड़ी नदियां गन्दे नाले बन रही है। आबादी के बहुत बड़े हिस्से को जीवन जीने के लिये शुद्ध पेयजल प्राप्त नहीं हो रहा है। जबकि जीवन को हमारी संवैधानिक व्यवस्था में सुरक्षा प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसलिए जल सुरक्षा अधिकार के लिये जनता हर जगह लगातार मांग कर रही है लेकिन सरकार जनता की आवाज को अनसुना करके अपनी आँख और कान बंद कर के विकास के बड़े नारे लगा रही है।

आज विकास नें मानवता और प्रकृति के बीच दूरियाँ पैदा करके विस्थापन विकृति और विनाश का रास्ता पकड़ा है। इसलिए अब बेमौसम वर्षा, ओले पड़ना ग्लेशियर का पिघलना और समुद्री जलस्तर का ऊपर उठना तेजी से आरम्भ हो गया है। उत्तरी पूर्वी राज्यों में हाइड्रोपॉवर के लिये नदियों की हत्या हो रही है। उड़ीसा, बिहार, महाराष्ट्र, म.प्र., उ.प्र., पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड इन सभी राज्यों में बाढ़ और सुखाड़ एक साथ दिखाई दे रही है। इसको रोकने के लिये भारत की स्वैच्छिक संस्थाओं ने तथा देश भर में चल रहे सामाजिक एवं पर्यावरणीय आन्दोलनों ने रचनात्मक कार्य करके बाढ़ और सुखाड़ का इलाज करके दिखाया है लेकिन सरकारें उनसे सीख नहीं ले रही हैं। बल्कि पश्चिमी देशों की विनाशकारी विकास से सीख लेकर विनाश के रास्ते पर चलकर देश को पर्यावरणीय संकट में धकेल रही है।

अतः समय आ गया है जब बाढ़ और सुखाड़ का इलाज करने वाले स्वैच्छिक संगठन एवं पर्यावरणीय आन्दोलन मिलकर सामाजिक एवं पर्यावरणीय न्याय के लिये काम करने वाले नेतृत्व को संगठित होकर भारत के भविष्य को समृद्ध बनाने की दिशा में काम शुरू करना चाहिए। इसकी शुरुआत के लिये 22 और 23 सितम्बर 2016 को बाल भवन, नई दिल्ली में जल-जंगल-जमीन के पर्यावरणीय एवं सामाजिक ज्ञान एवं अनुभवों को साझा करके भविष्य के कामों की कार्य योजना निर्माण करने हेतु दिल्ली में इन दो दिनों का जल सत्याग्रह-नीर नारी नदी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन हम सबको मिल बैठकर चिन्तन का अवसर प्रदान करेगा। साथ ही साझे प्रयास का मार्ग प्रशस्त करेगा। अब समय आ गया है कि जब हमें अपनी चुप्पी को तोड़ना होगा और सामूहिक नेतृत्व को बढ़ावा देना होगा।

आप सबसे आग्रह है कि इस दो दिवसीय शिविर में अपना योगदान देने के लिये अवश्य पधारें। हमें आशा ही नही बल्कि विश्वास है कि हम इन दो दिनों में भविष्य के आन्दोलनों की कार्य योजना का निर्माण कर सकेंगे।

नोटः शिविर में आने वाले साथियों के लिये यथा सम्भव यात्रा-भत्ते (बस व ट्रेन के III AC) का प्रावधान किया गया है। आप अपने आगमन की सहमति यथा शीघ्र देने की कृपा करें।

भवदीय
राजेन्द्र सिंह (जल पुरुष), संजय सिंह (राष्ट्रीय संयोजक)

 

 

 

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