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नर्मदा समग्र
नर्मदा नदी शहडोल जिले के अमरकंटक (22.40श् उ0, 80*45श् पू0) से 1051 मीटर की ऊंचाई से निकलकर भडोच (21*43श् उ0, 72*57श् पू0) के निकट खंभात की खाडी में गिरती है । इसकी कुल लम्बाई 1312 कि0मी0 है । यह 1077 कि0मी0 तक मध्यप्रदेश के शहडोल, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, खण्डवा तथा खरगोन जिलों से होकर बहती है । इसके बाद 74 कि0मी0 तक महाराष्ट्र को स्पर्श करती हुई बहती है, जिसमें 34 कि0मी0 तक मध्यप्रदेश के साथ और 40 कि0मी0 तक गुजरात के साथ महाराष्ट्र की सीमाएं बनाती है । खंभात की खाडी में गिरने के पहले लगभग 161 कि0मी0 गुजरात में बहती है । इस प्रकार, इसके प्रवाह-पथ में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात - तीन राज्य पडते हैं । नर्मदा का कुल जल-संग्रहण क्षेत्र 98,799 वर्ग कि0मी0 है, जिसमें से 88.02 प्रतिशत क्षेत्र म0प्र0 में, 3.31 प्रतिशत क्षेत्र महाराष्ट्र में और 8.67 प्रतिशत क्षेत्र गुजरात में है । नदी के कछार में 160 लाख एकड भूमि खेती के लायक है, जिसमें 144 लाख एकड अकेले मध्यप्रदेश में है एवं शेष महाराष्ट्र और गुजरात में है ।
वैसे तो छोटी-बडी एकतालीस नदियाँ नर्मदा से मिलकर सागर तक जाती हैं, लेकिन, नर्मदा-जलग्रहण क्षेत्र में सम्मिलित होने वाली सहायक नदियों में उन्नीस प्रमुख हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है
नर्मदा जलग्रहण क्षेत्र की कुछ विशेषताएं निम्नलिखित हैं -
नर्मदा नदी प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियों की दिशा के विपरीत पूर्व से पश्चित की ओर बहती है ।नर्मदा-कछार एक संकरा तथा लंबा कछार है, जिसका कारण नर्मदा-घाटी का भौमिकी विज्ञान की दृष्टि से एक भ्रंश घाटी होना है ।नर्मदा-कछार का विस्तार नर्मदा के उत्तर की तुलना में दक्षिण में अधिक है ।सतपुडा प्रदेश में विन्ध्याचल की तुलना में वर्षा की मात्रा अधिक होने के कारण नर्मदा की वामतटीय सहायक नदियों की संख्या तथा इनमें जल की मात्रा दोनों ही अधिक है ।
नर्मदा अपने उद्गम से 83 कि0मी0 तक पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती है । इसी भाग में उद्गम स्थल से लगभग 6 कि0मी0 दूरी पर कपिलधारा प्रपात है, जहाँ नदी अपने तल से करीब 35 मीटर नीचे गिरती है । यहीं पास में दूधधारा भी है । डिंडोरी के पास नदी का मार्ग सर्पाकार हो जाता है तथा नदी का तल जमीन की ऊपरी सतह से सामान्यतः 2 से 3 मीटर नीचे है । कुछ भागों में प्रवाह-तल की गहराई 12 मीटर तक है ।
अपने उद्गम स्थल से 140 कि0मी0 के पश्चात् नर्मदा अचानक दक्षिण की ओर मुड जाती है । इसी भाग में एक महत्वपूर्ण सहायक नदी बरनर का नर्मदा के साथ संगम होता है ।
मण्डला नगर के चारों ओर नर्मदा एक कुण्डली (मेखला) बनाती है और यहाँ से जलोढ घाटी में प्रवेश तक नदी की सामान्य दिशा उत्तर की ओर है । मण्डला नगर के निकट नर्मदा में बेहर पठार से प्रवाहित होकर आने वाली एक महत्वपूर्ण सहायक नदी बंजर आकर मिलती है । यहीं थोडी दूर पर सहस्त्रधार है । जलोढ घाटी में प्रवेश के पूर्व जबलपुर नगर के निकट स्थित धुआंॅधार प्रपात पर नदी लगभग 15 मीटर नीचे गिरती है । धुआंधार प्रपात से जलोढ घाटी में प्रवेश तक नर्मदा का मार्ग संगमरमर की चट्आनों के मध्य एक संकरी घाटी से होकर है, जो पर्यटकों के लिए एक अत्यन्त आकर्षण का केन्द्र-स्थल है भेडाघाट ।
संगमरमर की संकरी घाटी पार कर उपजाऊ जलोढ घाटी में प्रवेश करते ही नदी पुनः पश्चिम की ओर मुड जाती है । इस भाग में नदी की धारा अपेक्षाकृत चौडी है तथा घाटी की गहराई 15 मीटर है । जबलपुर और होशंगाबाद नगरों के मध्य नदी के स्तर का अंतर 104 मीटर है, जबकि इस भाग में नदी के मार्ग में केवल एक ही 3 मीटर ऊंचा प्रपात (नरसिंहपुर के निकट) स्थित है । 78* पूर्वी देशांतर से तवा नदी के संगम तक नर्मदा एक सर्पाकार मार्ग में विंध्याचल कगार के सहारे बहती है ।
जलोढ घाटी में नर्मदा में अनेक महत्वपूर्ण सहयाक नदियाँ आकर मिलती हैं । नरसिंहपुर जिले की वामतटीय सहायक नदियों में शेर, शक्कर और दुधी महत्वपूर्ण हैं ।
होशंगाबाद जिले की वामतटीय सहायक नदियों में तवा सबसे बडी है तथा उसका जलग्रहण क्षेत्र नर्मदा की सभी सहायक नदियों में अधिक है । तवा अपने साथ बडी मात्रा में जलोढक बहाकर लाती है, परन्तु मैदान में प्रवेश करते ही ढाल के अचानक कम हो जाने के कारण यह एक चौडी रेतीली घाटी में फैल जाती है ।
तवा के पश्चिम में बहने वाली नर्मदा की एक प्रमुख सहायक गंजल है ।
जलोढ घाटी में नर्मदा की वामतटीय सहायक नदियों की तुलना में दक्षिण तटीय सहायक नदियाँ संख्या में कम हैं तथा इनमें जल की मात्रा भी कम है । दक्षिण तटीय सहायक नदियों में भाण्डेर श्रेणी के किनारे-किनारे बहने वाली हिरण नदी जलोढ घाटी में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । जलोढ घाटी की अन्य दक्षिण तटीय सहायक नदियों में तन्दोनी, बारना तथा कोलार उल्लेखनीय है ।
हण्डिया से बडवाहा तक नर्मदा नदी एक पथरीले महाखड्ड से होकर बहती है । इस भाग में मनाधार तथा धरदी, दो स्थानों पर नर्मदा मार्ग में चार-चार मीटर ऊंचे प्रपात है । माखड्ड से निकलकर बडवानी नगर तक नदी का मार्ग एक सपाट मैदान से होकर है, परन्तु उसके उपरांत यह पुनः 116 कि0मी0 लम्बे महाखड्ड में होकर बहती है ।
धार- उच्च प्रदेश तथा निमाड के मैदान में छोटा तवा, कुंदी तथा गोई प्रमुख वामतटीय सहायक नदियाँ हैं । धार- उच्च प्रदेश तथा निमाड के मैदान की दक्षिण तटीय सहायक नदियों में मान उरी तथा हथनी उल्लेखनीय हैं ।
बडवानी नगर के पश्चिम से प्रारम्भ होने वाले 116 कि0मी0 लम्बे महाखड्ड से निकलकर भडौच के मैदान मेंनर्मदा का मार्ग सर्पाकार है तथा इसकी घाटी एक से डेढ कि0मी0 चौडी है । भडौंच नगर के पश्चिम में नर्मदा नदी एस्चुएरी बनाते हुए खंभात की खाडी में सागर से मिल जाती है ।
भडौच - बडोदा के मैदान की करजन प्रमुख वामतटीय सहायक नदी है तथा ओरसांग प्रमुख दक्षिण तटीय सहायक नदी है । ओरसांग नदी झाबुआ जिले से निकलती है तथा एक विस्तृत रेतीली घाटी में होकर बहती है ।
समुद्र में मिलने क पूर्व नर्मदा अपनी सारी गति खोकर, स्वयं समुद्र जैसे आकार ग्रहण कर लेती है, वेग और उद्वेलन से रहित, उसके शान्त - विस्तीर्ण पाट को देखकर यह कल्पना करना सहज नहीं है कि यह वही रेवा है जो मेकल-विन्ध्य की गर्वीली चट्टानों को तोडकर प्रपातों पर धुआं उडाती, गुंजन करती आगे बढती जाती है ।
वैसे तो छोटी-बडी एकतालीस नदियाँ नर्मदा से मिलकर सागर तक जाती हैं, लेकिन, नर्मदा-जलग्रहण क्षेत्र में सम्मिलित होने वाली सहायक नदियों में उन्नीस प्रमुख हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है
क्रमांक | सहायक नदी का नाम | नर्मदा के साथ संगम की नर्मदा स्त्रोत से दूरी (कि0मी0) | सहायक नदी की लम्बाई (कि0मी0) | जलग्रहण क्षेत्र (वर्ग कि0मी0) |
(दक्षिण तटीय सहायक नदियाँ) | ||||
1 | हिरदन | 463 | 188 | 4792 |
2 | तिन्दोनी | 602 | 117 | 1631 |
3 | बारना | 605 | 105 | 1786 |
4 | कोलार | 1040 | 101 | 1347 |
5 | मान | 997 | 88 | 1528 |
6 | उरी | 1035 | 74 | 1813 |
7 | हथनी | 1075 | 80 | 1943 |
8 | ओरसांग | 1191 | 101 | 4080 |
(वाम तटीय सहायक नदियाँ) | ||||
9 | बरनर | 248 | 177 | 4118 |
10 | बन्जर | 286 | 183 | 3625 |
11 | शेर | 497 | 129 | 2900 |
12 | शक्कर | 545 | 161 | 2292 |
13 | दुधी | 574 | 129 | 1541 |
14 | तवा | 676 | 172 | 6333 |
15 | गंजाल | 756 | 88 | 1930 |
16 | छोटा तवा | 827 | 169 | 5051 |
17 | कुन्दी | 943 | 121 | 3820 |
18 | गोई | 1038 | 129 | 1891 |
19 | करजन | 1199 | 931 | 489 |
नर्मदा नदी प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियों की दिशा के विपरीत पूर्व से पश्चित की ओर बहती है ।नर्मदा-कछार एक संकरा तथा लंबा कछार है, जिसका कारण नर्मदा-घाटी का भौमिकी विज्ञान की दृष्टि से एक भ्रंश घाटी होना है ।नर्मदा-कछार का विस्तार नर्मदा के उत्तर की तुलना में दक्षिण में अधिक है ।सतपुडा प्रदेश में विन्ध्याचल की तुलना में वर्षा की मात्रा अधिक होने के कारण नर्मदा की वामतटीय सहायक नदियों की संख्या तथा इनमें जल की मात्रा दोनों ही अधिक है ।
नर्मदा अपने उद्गम से 83 कि0मी0 तक पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती है । इसी भाग में उद्गम स्थल से लगभग 6 कि0मी0 दूरी पर कपिलधारा प्रपात है, जहाँ नदी अपने तल से करीब 35 मीटर नीचे गिरती है । यहीं पास में दूधधारा भी है । डिंडोरी के पास नदी का मार्ग सर्पाकार हो जाता है तथा नदी का तल जमीन की ऊपरी सतह से सामान्यतः 2 से 3 मीटर नीचे है । कुछ भागों में प्रवाह-तल की गहराई 12 मीटर तक है ।
अपने उद्गम स्थल से 140 कि0मी0 के पश्चात् नर्मदा अचानक दक्षिण की ओर मुड जाती है । इसी भाग में एक महत्वपूर्ण सहायक नदी बरनर का नर्मदा के साथ संगम होता है ।
मण्डला नगर के चारों ओर नर्मदा एक कुण्डली (मेखला) बनाती है और यहाँ से जलोढ घाटी में प्रवेश तक नदी की सामान्य दिशा उत्तर की ओर है । मण्डला नगर के निकट नर्मदा में बेहर पठार से प्रवाहित होकर आने वाली एक महत्वपूर्ण सहायक नदी बंजर आकर मिलती है । यहीं थोडी दूर पर सहस्त्रधार है । जलोढ घाटी में प्रवेश के पूर्व जबलपुर नगर के निकट स्थित धुआंॅधार प्रपात पर नदी लगभग 15 मीटर नीचे गिरती है । धुआंधार प्रपात से जलोढ घाटी में प्रवेश तक नर्मदा का मार्ग संगमरमर की चट्आनों के मध्य एक संकरी घाटी से होकर है, जो पर्यटकों के लिए एक अत्यन्त आकर्षण का केन्द्र-स्थल है भेडाघाट ।
संगमरमर की संकरी घाटी पार कर उपजाऊ जलोढ घाटी में प्रवेश करते ही नदी पुनः पश्चिम की ओर मुड जाती है । इस भाग में नदी की धारा अपेक्षाकृत चौडी है तथा घाटी की गहराई 15 मीटर है । जबलपुर और होशंगाबाद नगरों के मध्य नदी के स्तर का अंतर 104 मीटर है, जबकि इस भाग में नदी के मार्ग में केवल एक ही 3 मीटर ऊंचा प्रपात (नरसिंहपुर के निकट) स्थित है । 78* पूर्वी देशांतर से तवा नदी के संगम तक नर्मदा एक सर्पाकार मार्ग में विंध्याचल कगार के सहारे बहती है ।
जलोढ घाटी में नर्मदा में अनेक महत्वपूर्ण सहयाक नदियाँ आकर मिलती हैं । नरसिंहपुर जिले की वामतटीय सहायक नदियों में शेर, शक्कर और दुधी महत्वपूर्ण हैं ।
होशंगाबाद जिले की वामतटीय सहायक नदियों में तवा सबसे बडी है तथा उसका जलग्रहण क्षेत्र नर्मदा की सभी सहायक नदियों में अधिक है । तवा अपने साथ बडी मात्रा में जलोढक बहाकर लाती है, परन्तु मैदान में प्रवेश करते ही ढाल के अचानक कम हो जाने के कारण यह एक चौडी रेतीली घाटी में फैल जाती है ।
तवा के पश्चिम में बहने वाली नर्मदा की एक प्रमुख सहायक गंजल है ।
जलोढ घाटी में नर्मदा की वामतटीय सहायक नदियों की तुलना में दक्षिण तटीय सहायक नदियाँ संख्या में कम हैं तथा इनमें जल की मात्रा भी कम है । दक्षिण तटीय सहायक नदियों में भाण्डेर श्रेणी के किनारे-किनारे बहने वाली हिरण नदी जलोढ घाटी में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । जलोढ घाटी की अन्य दक्षिण तटीय सहायक नदियों में तन्दोनी, बारना तथा कोलार उल्लेखनीय है ।
हण्डिया से बडवाहा तक नर्मदा नदी एक पथरीले महाखड्ड से होकर बहती है । इस भाग में मनाधार तथा धरदी, दो स्थानों पर नर्मदा मार्ग में चार-चार मीटर ऊंचे प्रपात है । माखड्ड से निकलकर बडवानी नगर तक नदी का मार्ग एक सपाट मैदान से होकर है, परन्तु उसके उपरांत यह पुनः 116 कि0मी0 लम्बे महाखड्ड में होकर बहती है ।
धार- उच्च प्रदेश तथा निमाड के मैदान में छोटा तवा, कुंदी तथा गोई प्रमुख वामतटीय सहायक नदियाँ हैं । धार- उच्च प्रदेश तथा निमाड के मैदान की दक्षिण तटीय सहायक नदियों में मान उरी तथा हथनी उल्लेखनीय हैं ।
बडवानी नगर के पश्चिम से प्रारम्भ होने वाले 116 कि0मी0 लम्बे महाखड्ड से निकलकर भडौच के मैदान मेंनर्मदा का मार्ग सर्पाकार है तथा इसकी घाटी एक से डेढ कि0मी0 चौडी है । भडौंच नगर के पश्चिम में नर्मदा नदी एस्चुएरी बनाते हुए खंभात की खाडी में सागर से मिल जाती है ।
भडौच - बडोदा के मैदान की करजन प्रमुख वामतटीय सहायक नदी है तथा ओरसांग प्रमुख दक्षिण तटीय सहायक नदी है । ओरसांग नदी झाबुआ जिले से निकलती है तथा एक विस्तृत रेतीली घाटी में होकर बहती है ।
समुद्र में मिलने क पूर्व नर्मदा अपनी सारी गति खोकर, स्वयं समुद्र जैसे आकार ग्रहण कर लेती है, वेग और उद्वेलन से रहित, उसके शान्त - विस्तीर्ण पाट को देखकर यह कल्पना करना सहज नहीं है कि यह वही रेवा है जो मेकल-विन्ध्य की गर्वीली चट्टानों को तोडकर प्रपातों पर धुआं उडाती, गुंजन करती आगे बढती जाती है ।