नया रणक्षेत्र: भारत-पाक जल विवाद

Submitted by admin on Fri, 04/22/2011 - 12:41


सिंधु नदीसिंधु नदीप्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकी गुट लश्कर-ए-ताइबा से जुड़ा संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) जल बंटवारे के मसले पर लगातार भारत विरोधी एजेंडे को हवा दे रहा है। जमात के कार्यक्रमों में सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और नवाज शरीफ की पीएमएल-एन, जमात ए इसलामी समेत सभी बड़ी पार्टियों के लोग शिरकत कर रहे हैं।

जेयूडी ने पाकिस्तान सरकार को चेताया है कि वह भारत को पाकिस्तान की ओर आने वाली नदियों पर बांध बनाने से रोके या फिर इस मसले को निपटाने की जिम्मेदारी ‘कश्मीरी मुजाहिदीनों’ को दे दी जाए।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष सरदार आसिफ अहमद अली का मानना है कि भारत नदियों से पाकिस्तान के पानी का हिस्सा चुरा रहा है। उन्होंने भारत को सलाह दी है कि उसे सिंधु जल समझौते के मुताबिक पानी से जुडे मसले हल करने के लिए पाकिस्तान के साथ शीघ्र वार्ता शुरू करनी चाहिए, नहीं तो पानी को लेकर दोनों देशों के बीच जंग शुरु हो सकती है। अली ने कहा कि भारत दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे के मसले को हल्के में ले रहा है। उन्होंने यहां तक कहा कि पाकिस्तान सिंधु जल समझौते से पीछे हट जाएगा और इसके लिए भारत ही जिम्मेदार होगा।

ऐसे में भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ “सिंधु जल समझौता” मुश्किल में पड़ता नजर आ रहा है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि कश्मीर में जल समझौते को लेकर विवाद की वजह से भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों में खटास आ सकती है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अप्रैल’09 में एक आधिकारिक पत्र जारी करके भारत द्वारा विकसित की जा रही “किशनगंगा” जलविद्युत परियोजना के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप और तटस्थ मध्यस्थता की माँग की है। पाकिस्तान के सिंधु जल कमिश्नर सैयद जमात अली ने कहा है ‘चूंकि भारत लगातार इस समझौते का उल्लंघन कर रहा है इसलिये पाकिस्तान को किसी तीसरे औपचारिक तटस्थ मध्यस्थता की इच्छा जाहिर करनी पड़ी।’

समझौते के तहत भारत को कश्मीर से बहने वाली नदियों पर शर्तों के अनुसार ही बाँध बनाने की इजाजत है। भारत और पाकिस्तान के बीच वर्तमान विवाद उस समय शुरु हुआ है, जब भारत ने चिनाब नदी पर कुछ नई परियोजनाएं बनाने की पहल की।

पाकिस्तान का आरोप है कि किशनगंगा परियोजना को शुरू कर भारत ने 1960 के सिंधु नदी जल समझौते का उल्लंघन किया है। भारत ने परियोजना के तहत किशनगंगा नदी का रुख मोड़ने के लिए 22 किलोमीटर लंबी सुरंग बना ली है। इसी सुरंग से नदी का पानी वुलर झील में जाना है।

जनवरी 2016 तक पूरी होने वाली इस पन बिजली परियोजना से 330 मेगावाट बिजली पैदा होने का अनुमान है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि किशनगंगा परियोजना से नदी में पानी का बहाव कम हो जाएगा। इससे पाक अधिकृत कश्मीर में मुजफराबाद के पास स्थित 969 मेगावाट क्षमता की नीलम-झेलम पनबिजली परियोजना में उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा।

पाकिस्तान ने एक दशक पहले इस परियोजना का विरोध शुरू किया था। इस दौरान कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही। किशनगंगा का पानी झेलम में मिलता है। 1960 की संधि के अनुसार भारत चिनाब और झेलम नदियों का बहाव नहीं मोड़ सकता।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि, “भारत ने चिनाब नदी के पानी को पाकिस्तान जाने से रोककर, पाकिस्तान में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

पाकिस्तान का मानना है कि भारत का पश्चिमी नदियों (चिनाब, झेलम और सिंधु) के पानी पर कोई हक नहीं बनता। जबकि हकीकत इतनी सीधी नहीं है, भारत पीने, नहाने, साफ-सफाई सम्बन्धी सभी कामों के अलावा बाढ़ नियन्त्रण और मछली पकड़ने के लिये भी इस पानी का इस्तेमाल कर सकता है।

सभी पश्चिमी नदियों से भारत को 13 लाख एकड़ क्षेत्र में सिंचाई करने के लिये पानी लेने का भी हक है। इन नदियों से भारत विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं के लिये कुल 3.6 मिलियन एकड़ फुट (एमएएफ) पानी का संग्रहण कर सकता है, जिसमें से 0.4 एमएएफ सिंधु नदी से, 1.5 एमएएफ झेलम से और 1.7 एमएएफ चेनाब नदी से लिया जा सकता है। पानी की यह मात्रा सिंधु जल समझौता होने से पहले की मात्रा के अतिरिक्त है।

पाकिस्तान के सिंधु नदी प्राधिकरण ने दावा किया है कि भारत ने चिनाब नदी से 9 अक्टूबर 2009 को 19351 क्यूसेक तथा 11 अक्टूबर 2009 को 10739 क्यूसेक पानी ही पाकिस्तान को दिया, जबकि समझौते के मुताबिक भारत द्वारा बाँध से कम से कम 55,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना जरूरी है।

कराची की एक बैठक में सबरवाल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि चूंकि नदी में “अपस्ट्रीम” से ही पानी कम आ रहा है, इसलिये ऐसा हुआ है। पानी कम मिलने की वजह से पाकिस्तान ने भारत पर पानी चोरी का आरोप लगाया है लेकिन खुद पाकिस्तान के ही एक जल विशेषज्ञ मुबाशिर हसन कहते हैं, “क्या कोई मुझे बता सकता है कि यदि भारत ने हमारा पानी चुरा लिया है तो वह उसे कहाँ ले गया? इतना पानी उसने कहाँ रख लिया है?”

यही बात भारत के हाई-कमिश्नर शरत सभरवाल ने कराची में कही, कि ‘जब भारत ने पानी सहेजने के लिये कोई बाँध या तालाब अथवा नहरों का निर्माण किया ही नहीं है, तो उसने पानी को कहां रखा है? पानी चोरी करने के आरोप बेबुनियाद हैं।’

वर्तमान में पानी की कमी सीमाओं के दोनों तरफ लोगों की भावनाओं को हवा दे रही है। वैसे यह संकट अस्थाई है। दोनों पक्षों को आपसी समझदारी से निष्पक्ष व ठोस संयुक्त प्रयास करने होंगे। भारत की विदेश सचिव निरुपमा राव के अनुसार, ‘दोनों पक्षों को इस समझौते की सभी शर्तों का पालन करना चाहिए। यह शान्ति और सुरक्षा के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।’

नईदिल्ली में जमात अली शाह ने पत्रकारों से कहा कि ‘पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते से आगे भी अन्य बातों पर गौर करना चाहिए।’ अपनी बात स्पष्ट करते हुए शाह ने कहा कि ‘पाकिस्तान नदी जल विवादों और पानी के बँटवारे पर समझौते के सभी सैद्धान्तिक मुद्दों से सहमत है, लेकिन हम चाहते हैं कि सारी कार्रवाई पारदर्शितापूर्ण हो, जबकि इस मामले में भारत की भूमिका संदिग्ध है, भारत इस समझौते का उल्लंघन करता रहता है।’ भारत के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश कहते हैं कि “किशनगंगा प्रोजेक्ट पर्यावरण के साथ-साथ, रक्षा, योजना और विदेश नीति से भी सम्बन्धित है, इसलिये मैं इस विवाद पर कुछ कहने में असमर्थ हूं”।

दोनो देशों के राजनीतिक पक्ष अगर इस मुद्दे को जनता को मद्देनजर करके सुलझाने का प्रयास करें तो शायद नतीजे अच्छे होंगे। फिलहाल तो दोनों देश इसे आपसी रंजिश और सम्मान का मुद्दा बनाकर द्विपक्षीय वार्ताओं के एजेंडा में शामिल करना चाहते हैं।

दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने हिमालय के ग्लेशियर और कश्मीर में वायु-जनित रासायनिक बादलो के निर्मित होने की चेतावनी दी है और कहा है कि “फिलहाल सिंधु नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में वाटरशेड मैनेजमेंट करने की तत्काल आवश्यकता है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि नदी और आसपास के क्षेत्र का पर्यावरण सन्तुलन बना रहे।” यदि इस संवेदनशील मुद्दे को फिलहाल दरकिनार भी कर दें, तब भी यह समझौता दोनों देशों के पर्यावरण और पारिस्थितिकी सन्तुलन के लिये बेहद जरूरी है। आवश्यकता इस बात की है कि सौहार्दपूर्ण माहौल में समाधान हो सके और भविष्य पर मंडराता खतरा दूर हो। (हिंदी इंडिया वाटर पोर्टल)


लेखिका समाजसेवी और हिन्दी वाटर पोर्टल की संचालिका हैं।

 

 

 

TAGS

Indus water treaty in hindi, indus water treaty main points in hindi, indus water treaty history in hindi, indus water treaty analysis in hindi, indus water treaty disputes in hindi, indus water treaty 1960 in hindi, Sindhu Jal Samjhauta in hindi, Uri attack in hindi, India may revisit Indus Waters Treaty signed with Pakistan in hindi, Can india scrap the indus water treaty?in hindi, India-pakistan on tug of war in hindi, Indian prime minister Narendra Modi in hindi, indus water treaty between india and pakistan in hindi, India will act against pakistan in hindi, what is indus water treaty in hindi, which india river go to pakistan in hindi, What is indus basin in hindi, New Delhi, Islamabad in hindi, Lashkar-e- Taiyaba in hindi, Pakistan’s people’s party in hindi, Nawaz Sharif in hindi, Indus Valley in hindi, research paper on indus valley in hindi, Chenab river in hindi, Pakistan planning to go to world bank in hindi, History of Indus river treaty wikipedia in hindi, Culture of induss valley in hindi, india pakistan water dispute wiki in hindi, india pakistan water conflict in hindi, water dispute between india and pakistan and international law in hindi, pakistan india water dispute pdf in hindi, water problem between india pakistan in hindi, indus water treaty dispute in hindi, water dispute between india and pakistan pdf in hindi, indus water treaty summary in hindi, indus water treaty pdf in hindi, indus water treaty 1960 articles in hindi, water dispute between india and pakistan in hindi, indus water treaty provisions in hindi, indus water treaty ppt in hindi, indus basin treaty short note in hindi, indus water treaty in urdu, sindhu river dispute in hindi, indus water dispute act in hindi, information about indus river in hindi language, indus river history in hindi, indus river basin, main tributaries of indus river in hindi, the largest tributary of the river indus is in hindi, indus river system and its tributaries in hindi, tributary of indus in hindi, details of sindhu river in hindi, sindhu river route map in hindi.