पानी के पोट्रेट

Submitted by Hindi on Tue, 05/17/2011 - 08:23
(जैसे कि मैं हरहमेशा
रचना या देखना चाहता हूँ
धरती, आसमान, हवा, आग के
सुन्दर पोट्रेट)


कविता का पानी चीखते से ही
मैं पानी का पोट्रेट बनाना चाहता हूँ
कितनी कोशिश करता हूँ
पर ला नहीं पाता वह तरलता,
न प्यास बुझाने का वह गुन
न वह कोमलता
और न वह दुर्धर्ष स्वभाव

सोचता हूँ दिखे जहाँ पानी
अपनी सम्पूर्ण रंगत के साथ
वक्त का मिजाज कि वहाँ
फ़ीकापन घेर लेता है

करीने से शब्दों को जोड़-जोड़ कर
जैसे ही तैयार करता हूँ
पानी का खूबसूरत चेहरा
धरती के किसी न किसी पट्टी पर
हो चुका बम का धमाका
कतरा-कतरा बिखेर देता है उसे

पानी बहुत कष्ट में है
संकट घिर गया है उसके चहुँफेर
और मैं हूँ कि उसका हँसता-खिलखिलाता
पोट्रेट बनाने की जि़द में हूँ

पानी का पोट्रेट बनाना
वह भी दिखे जिस में
पानी का पूरम्पूर प्रसन्न-प्रवाह
कितना मुश्किल है इस समय
जु़बान से काम लेने वाले
किसी भी मनुष्य के लिए!

ओह! धरती की कितनी कम वीथियों में
मनमोहक हो सका है
पानी का अपना पोट्रेट!