पेयजल एवं स्वच्छता पर बाल पत्रकारिता

Submitted by admin on Sun, 10/20/2013 - 15:41
बाल पत्रकारिता के प्रथम चरण में बच्चों के चयन के लिए गांव में बच्चों के साथ रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गई और उनमें से कुछ बच्चों का चयन किया गया। चूंकि बच्चों की संख्या सीमित रखनी थी, इसलिए यह जरूरी था, पर इस दरम्यान बहुत सारे बच्चों ने इसमें भागीदारी निभाई। चयनित बच्चों के साथ बाल पत्रकारिता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। समर्थन द्वारा पिछले तीन साल से सीहोर जिले में बाल स्वच्छता पर कार्य किया जा रहा है। इस दरम्यान यह देखा गया कि बच्चों में अपने आसपास के वातावरण को बेहतर तरीके से समझने और उसे व्यक्त करने की भरपूर क्षमता है। उनकी नजर सिर्फ उन समस्याओं या बातों की ओर ही नहीं होती, जिससे वे प्रभावित होते हैं, बल्कि उनकी रुचि एवं नजर अन्य दूसरी समस्याओं और घटनाओं पर भी होती है।

बाल स्वच्छता कार्यक्रम के तहत समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के सीहोर विकासखंड के 15 ग्राम पंचायतों के 22 गाँवों में बाल स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। चयनित क्षेत्र की कुल जनसंख्या 37481 है एवं 18 साल तक के बच्चों की संख्या 8246 है। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों की पहुंच में शुद्ध पानी, साफ-सफाई एवं स्वच्छता को लाकर (विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समुदाय के बच्चों की) बच्चों की उत्तरजीविता एवं स्वस्थ विकास को बढ़ावा देना है।

समर्थन ने बाल स्वच्छता कार्यक्रम में बच्चों की भागीदारी को लेकर कई गतिविधियाँ आयोजित की। बाल सूचना पटल, कला जत्था, रैली, बाल पंचायत आदि। इन सबके अलावा बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा को व्यापक समाज के सामने लाने की कोशिश के तहत बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण आयोजित किया, जिसमें बच्चों ने पानी, स्वच्छता एवं पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर कई रचनाएं लिखी।

बाल पत्रकारिता के प्रथम चरण में बच्चों के चयन के लिए गांव में बच्चों के साथ रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गई और उनमें से कुछ बच्चों का चयन किया गया। चूंकि बच्चों की संख्या सीमित रखनी थी, इसलिए यह जरूरी था, पर इस दरम्यान बहुत सारे बच्चों ने इसमें भागीदारी निभाई। चयनित बच्चों के साथ बाल पत्रकारिता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें छह गाँवों के बच्चों ने भाग लिया। बच्चे बहुत सारे विषयों पर लिखना चाह रहे थे, पर समयाभाव के कारण उनके बीच कुछ विषयों का निर्धारण कर दिया गया। बच्चों ने यह बताया कि इसके पहले उन्होंने कभी भी इतने कम समय में इतना ज्यादा नहीं लिखा था। कुछ बच्चे चित्र बनाने से डर रहे थे, पर उन्होंने भी हार नहीं मानी और वे सफल भी हुए। एक-दूसरे से ज्यादा लिखने एवं सीखने की होड़ के बीच वे एक-दूसरे का मदद करने में भी पीछे नहीं रहे।

बाल पत्रकारिता के लिए बच्चों द्वारा लिखे गए समाचार, आलेख एवं कहानियां पानी, स्वच्छता एवं पर्यावरण को लेकर कई गंभीर सवाल उठाती हैं। अपने गांव के मुद्दे को वे बखूबी पहचानते हैं एवं उसे उन्होंने अच्छे से अभिव्यक्त भी किया है। इस बाल अभिव्यक्ति को एक अखबार के रूप में निकाला गया, जिसे काफी सराहना मिली। ‘‘बाल अभिव्यक्ति’’ पर हिंदुस्तान टाइम्स ने एक स्टोरी भी की। बाल पत्रकारिता से जुड़े बच्चों के व्यक्तित्व में काफी विकास देखने को मिला, जो यह दर्शाता है कि इस तरह की पहल बच्चों के विकास के बहुत ही महत्वपूर्ण है।