भोपाल गैस त्रासदी पर विभिन्न जनसंगठनों, संस्थाओं के साथ-साथ सरकार एवं विपक्ष ने भी भीषणतम औद्योगिक घटना को याद करते हुए उसमें मारे गए लोगों के प्रति शोक व्यक्त किया। घटना के 31 साल बाद भी न्याय के इन्तजार कर रहे पीड़ितों के संगठनों ने जुलूस निकाले, प्रदर्शन किया और पुतला दहन किया। दूसरी ओर मुख्यमंत्री ने त्रासदी में मारे गए लोगों को लेकर आयोजित सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा में मृतकों के प्रति शोक व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति का अंधाधुंध शोषण रोका नहीं गया तो विनाश सम्भव है। विकास और पर्यावरण में सन्तुलन जरूरी है। चौहान ने कहा कि मानवता के प्रति भोपाल गैस त्रासदी जैसा अपराध दुनिया में फिर कहीं नहीं हो, इसका संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी और शहर को तीन दिसम्बर 1984 का भोपाल फिर नहीं बनने देंगे। गैस प्रभावितों के बेहतर इलाज एवं पुनर्वास का दायित्व सरकार और समाज का है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने आज कहा कि गैस पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारें विफल रही हैं। दोनों ही सरकारें गत 31 वर्षों में गैस पीड़ितों को उनके वाजिब हक़ दिलाने में नाकामयाब रही हैं एवं एक विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनी इन सरकारों पर भारी पड़ी है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने यादगार ए शाहजहानी पार्क में शोक सभा का आयोजन किया। वक्ताओं ने भोपाल गैस त्रासदी के गुजरे 31 साल को एक और त्रासदी बताया। सीपीएम के राज्य सचिव बादल सरोज ने देश में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते दखल को लेकर बात की।
संगठन संयोजक अब्दुल जब्बार ने गैस राहत मंत्री नरोत्तम मिश्रा के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने सब कुछ कर दिया है। सरकारी शोक सभा के उस बयान की भी निंदा की गई, जिसमें मुख्यमंत्री चौहान ने पेरिस पर्यावरणीय कांफ्रेंस का जिक्र तो किया, पर यूनियन कार्बाइड परिसर में फैले टॉक्सिक वेस्ट पर वह कुछ नहीं बोले।
सम्भावना ट्रस्ट ने भारत टाकीज से यूनियन कार्बाइड परिसर तक एक रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल के चिह्न पर कीचड़ फेंक कर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार पर अमेरिकी कम्पनियों के हित साधने का आरोप लगाया।
भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने परिसर के गेट पर बने स्मारक के सामने सभा का आयोजन किया। उन्होंने पीड़ितों से आह्वान किया कि जब तक न्याय नहीं मिले, इलाज के लिये स्थायी व्यवस्था नहीं हो और पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई न हो, तब तक संघर्ष जारी रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति का अंधाधुंध शोषण रोका नहीं गया तो विनाश सम्भव है। विकास और पर्यावरण में सन्तुलन जरूरी है। चौहान ने कहा कि मानवता के प्रति भोपाल गैस त्रासदी जैसा अपराध दुनिया में फिर कहीं नहीं हो, इसका संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी और शहर को तीन दिसम्बर 1984 का भोपाल फिर नहीं बनने देंगे। गैस प्रभावितों के बेहतर इलाज एवं पुनर्वास का दायित्व सरकार और समाज का है।
आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने आज कहा कि गैस पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारें विफल रही हैं। दोनों ही सरकारें गत 31 वर्षों में गैस पीड़ितों को उनके वाजिब हक़ दिलाने में नाकामयाब रही हैं एवं एक विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनी इन सरकारों पर भारी पड़ी है।
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने यादगार ए शाहजहानी पार्क में शोक सभा का आयोजन किया। वक्ताओं ने भोपाल गैस त्रासदी के गुजरे 31 साल को एक और त्रासदी बताया। सीपीएम के राज्य सचिव बादल सरोज ने देश में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते दखल को लेकर बात की।
संगठन संयोजक अब्दुल जब्बार ने गैस राहत मंत्री नरोत्तम मिश्रा के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार ने सब कुछ कर दिया है। सरकारी शोक सभा के उस बयान की भी निंदा की गई, जिसमें मुख्यमंत्री चौहान ने पेरिस पर्यावरणीय कांफ्रेंस का जिक्र तो किया, पर यूनियन कार्बाइड परिसर में फैले टॉक्सिक वेस्ट पर वह कुछ नहीं बोले।
सम्भावना ट्रस्ट ने भारत टाकीज से यूनियन कार्बाइड परिसर तक एक रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल के चिह्न पर कीचड़ फेंक कर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार पर अमेरिकी कम्पनियों के हित साधने का आरोप लगाया।
भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने परिसर के गेट पर बने स्मारक के सामने सभा का आयोजन किया। उन्होंने पीड़ितों से आह्वान किया कि जब तक न्याय नहीं मिले, इलाज के लिये स्थायी व्यवस्था नहीं हो और पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई न हो, तब तक संघर्ष जारी रखना है।