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राजस्थान पत्रिका, 17 मार्च 2015
विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के सदस्य भी नाराज
3979 गाँवों में लोग ‘प्यासे’
चर्चा की शुरुआत करते हुए विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टर ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के 3979 गाँवों में पेयजल का गम्भीर संकट है। शेट्टर ने सदन को बताया कि उन्होंने जिलाधिकारियों से पेयजल संकट से जूझ रहे गाँवों की जानकारी माँगी थी। जिलाधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक 3979 गाँवों में पेयजल का संकट है और गर्मी के मौसम में इन गाँवों में पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए 184 करोड़ रुपए की जरूरत है। उन्होंने सदन को बताया कि हासन में 952, चिकबल्लापुर में 522, चित्रदुर्गा में 481, कलबुरगी में 362, कोलार में 348, बल्लारी में 283, बेंगलूरु शहरी में 169 और यादगिर जिले में 210 गाँव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।
सार्थक पहल नहीं की सरकार ने
उन्होंने कहा कि कोलार, चिकबल्लापुर, बेंगलूरु ग्रामीण, तुमकूरु, चित्रदुर्गा, हावेरी आदि जिलों के कई इलाकों में अधिकतर तालाबों के सूख जाने की वजह से पेयजल का संकट गहराता जा रहा है लेकिन सरकार ने इन जिलों के प्यास बुझाने के लिए अभी तक अल्पकालीन व दीर्घकालीन परियोजना लागू करने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की है। उन्होंने कहा कि इन जिलों की प्यास बुझाने के लिए एत्तिनहोले परियोजना को लागू करने की पहल पिछली भाजपा सरकार ने की थी।
लेकिन कांग्रेस सरकार ने परियोजना को तेजी से लागू करने की न तो इच्छा शक्ति प्रदर्शित की है और ना ही बजट में इस परियोजना के लिए धन आवंटित किया है।
तत्काल बुलाई जाए बैठक
राज्य सरकार को तत्काल जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर पेयजल की समस्या के निवारण के लिए समुचित कदम उठाना चाहिए और गिरते भू-जल स्तर को रोकने का भी उपाय करना चाहिए। शेट्टर ने पेयजल संकट के निवारण के लिए सरकार को बहुग्राम पेयजल योजनाओं को लागू करने व फ्लोराइड की अधिक मात्रा वाले इलाकों में जल शुद्धीकरण संयंत्र लगाकर पेयजल आपूर्ति करने का भी सुझाव दिया। पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक दल के उपनेता आर. अशोक ने कहा कि पेयजल संकट के निवारण के लिए बेयलुसिमें क्षेत्र के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। पूर्व जल संसाधन मंत्री बसवराज बोम्मई ने भी एत्तिनहोले परियोजना को तेजी से लागू किए जाने की वकालत की।
… तो आत्महत्या कर लें : रमेश कुमार
कोलार जिले से श्रीनिवासपुर से सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने अफसोस जताते हुए कहा कि राज्य सरकार बेयुलसिमे क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई के लिए उपयुक्त जल परियोजना लागू करने के प्रति गम्भीर नहीं है। पिछले चार सालों से कोलार जिले में बारिश की मात्रा निरन्तर घट रही है तो दूसरी तरफ भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए किस परियोजना को लागू किया जाए, इस बारे में सरकार के पास स्पष्टता नहीं है। कभी सरकार एत्तिनहोले को तो कभी मैकेदाटु तो कभी ऊपरी भद्रा परियोजना को लागू करने की बात कह रही है। इससे लोग उलझन में हैं। क्षेत्र के किसानों के बच्चों ने हाल में शहर में विरोध प्रदर्शित किया और वे लोग जन प्रतिनिधियों से त्यागपत्र देकर आन्दोलन में उतरने का दबाव डाल रहे हैं। एक तरफ सरकार हमारी सुनवाई नहीं कर रही है तो दूसरी तरफ क्षेत्र की जनता हम पर डाल रही है। ऐसे में हमारे पास सिवा आत्महत्या करने के और कोई विकल्प नहीं बचा है।
राज्य सरकार को तत्काल जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर पेयजल की समस्या के निवारण के लिए समुचित कदम उठाना चाहिए और गिरते भू-जल स्तर को रोकने का भी उपाय करना चाहिए। शेट्टर ने पेयजल संकट के निवारण के लिए सरकार को बहुग्राम पेयजल योजनाओं को लागू करने व फ्लोराइड की अधिक मात्रा वाले इलाकों में जल शुद्धीकरण संयंत्र लगाकर पेयजल आपूर्ति करने का भी सुझाव दिया।
बजट अधिवेशन के दूसरे दिन सोमवार को विधानसभा में राज्य के कई इलाकों में पेयजल संकट को लेकर विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष के सदस्यों ने घेरा। हालाँकि, इस मसले पर मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के कार्यस्थगन प्रस्ताव को विधानसभा अध्यक्ष कागोडु तिमप्पा ने खारिज कर दिया लेकिन सदन में नियम 69 के तहत इस मसले पर चर्चा की अनुमति दे दी। चर्चा के दौरान सरकार को विपक्षी नेताओं के साथ ही अपने दल के नेताओं की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा। सदस्य इस बात से नाराज थे कि गर्मी के शुरुआत के साथ ही पेयजल संकट गहराने लगा है लेकिन सरकार पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है।3979 गाँवों में लोग ‘प्यासे’
चर्चा की शुरुआत करते हुए विपक्ष के नेता जगदीश शेट्टर ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के 3979 गाँवों में पेयजल का गम्भीर संकट है। शेट्टर ने सदन को बताया कि उन्होंने जिलाधिकारियों से पेयजल संकट से जूझ रहे गाँवों की जानकारी माँगी थी। जिलाधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक 3979 गाँवों में पेयजल का संकट है और गर्मी के मौसम में इन गाँवों में पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए 184 करोड़ रुपए की जरूरत है। उन्होंने सदन को बताया कि हासन में 952, चिकबल्लापुर में 522, चित्रदुर्गा में 481, कलबुरगी में 362, कोलार में 348, बल्लारी में 283, बेंगलूरु शहरी में 169 और यादगिर जिले में 210 गाँव पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।
सार्थक पहल नहीं की सरकार ने
उन्होंने कहा कि कोलार, चिकबल्लापुर, बेंगलूरु ग्रामीण, तुमकूरु, चित्रदुर्गा, हावेरी आदि जिलों के कई इलाकों में अधिकतर तालाबों के सूख जाने की वजह से पेयजल का संकट गहराता जा रहा है लेकिन सरकार ने इन जिलों के प्यास बुझाने के लिए अभी तक अल्पकालीन व दीर्घकालीन परियोजना लागू करने की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की है। उन्होंने कहा कि इन जिलों की प्यास बुझाने के लिए एत्तिनहोले परियोजना को लागू करने की पहल पिछली भाजपा सरकार ने की थी।
लेकिन कांग्रेस सरकार ने परियोजना को तेजी से लागू करने की न तो इच्छा शक्ति प्रदर्शित की है और ना ही बजट में इस परियोजना के लिए धन आवंटित किया है।
तत्काल बुलाई जाए बैठक
राज्य सरकार को तत्काल जिलाधिकारियों की बैठक बुलाकर पेयजल की समस्या के निवारण के लिए समुचित कदम उठाना चाहिए और गिरते भू-जल स्तर को रोकने का भी उपाय करना चाहिए। शेट्टर ने पेयजल संकट के निवारण के लिए सरकार को बहुग्राम पेयजल योजनाओं को लागू करने व फ्लोराइड की अधिक मात्रा वाले इलाकों में जल शुद्धीकरण संयंत्र लगाकर पेयजल आपूर्ति करने का भी सुझाव दिया। पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक दल के उपनेता आर. अशोक ने कहा कि पेयजल संकट के निवारण के लिए बेयलुसिमें क्षेत्र के लोग सड़कों पर उतर रहे हैं। पूर्व जल संसाधन मंत्री बसवराज बोम्मई ने भी एत्तिनहोले परियोजना को तेजी से लागू किए जाने की वकालत की।
… तो आत्महत्या कर लें : रमेश कुमार
कोलार जिले से श्रीनिवासपुर से सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने अफसोस जताते हुए कहा कि राज्य सरकार बेयुलसिमे क्षेत्र में पेयजल व सिंचाई के लिए उपयुक्त जल परियोजना लागू करने के प्रति गम्भीर नहीं है। पिछले चार सालों से कोलार जिले में बारिश की मात्रा निरन्तर घट रही है तो दूसरी तरफ भू-जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए किस परियोजना को लागू किया जाए, इस बारे में सरकार के पास स्पष्टता नहीं है। कभी सरकार एत्तिनहोले को तो कभी मैकेदाटु तो कभी ऊपरी भद्रा परियोजना को लागू करने की बात कह रही है। इससे लोग उलझन में हैं। क्षेत्र के किसानों के बच्चों ने हाल में शहर में विरोध प्रदर्शित किया और वे लोग जन प्रतिनिधियों से त्यागपत्र देकर आन्दोलन में उतरने का दबाव डाल रहे हैं। एक तरफ सरकार हमारी सुनवाई नहीं कर रही है तो दूसरी तरफ क्षेत्र की जनता हम पर डाल रही है। ऐसे में हमारे पास सिवा आत्महत्या करने के और कोई विकल्प नहीं बचा है।