प्रकृति

Submitted by Hindi on Tue, 04/16/2013 - 09:27
Source
जनसत्ता रविवारी, 14 अप्रैल 2013

एक पेड़ था बहुत बड़ा
और अपनी अनोखी छाया से भरा
जितनी सुंदर उसकी काया
उतनी अद्भुत उसकी माया
हर रोज मुसाफिर आते-जाते
उसकी ठंडी छांव में
जब कोई उसकी शरण में आता
अपना दुख-दर्द भूल जाता
और खो जाता उसकी माया में
फिर सो जाता उसकी छाया में
सबको चाहता एक सामान
और सब पर रहता मेहरबान
जब नन्हे बच्चे खेलने आते
तो वह भी खुश हो जाता था
और झूम-झूम के नाच-नाच कर
अपना नृत्य दिखाता था
उसका नृत्य देखकर
बच्चे खुश हो जाते थे
फिर उसकी सुंदर काया में
बच्चे भी खो जाते थे
कहता था वह पेड़ निराला
कल फिर आना धूम मचाना
फिर एक समय ऐसा आया
उस पेड़ को काटने का आदेश
एक विनाशक लेकर आया
अब कैसी उसकी सुंदर काया
और कैसी उसकी अद्भुत माया
माया के लोभी लोगों ने
उस छाया का विनाश कराया
इस दुनिया से जाने से पहले
बोला वो मुस्काता पेड़
सुन लो मेरी एक नसीहत
याद हमेशा आएगी
प्रकृति का जो नाश करोगे
दुनिया नष्ट हो जाएगी
एक दिन सारी पृथ्वी फिर से
पानी ही बन जाएगी।