प्रो. अग्रवाल के साथ खड़े हुए गोविंदाचार्य, अनशन का आज दसवां दिन

Submitted by admin on Thu, 07/29/2010 - 11:03

मातृ सदन, हरिद्वार। 29 जुलाई 2010। प्रख्यात पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक प्रोफेसर जीडी अग्रवाल जी का आमरण अनशन आज दसवें दिन भी जारी है। हरिद्वार के मातृसदन में लोहारीनागा पाला जल विद्युत परियोजना के खिलाफ प्रो. अग्रवाल के अनशन को 27 जुलाई मंगलवार देर सायं प्रो. जीडी अग्रवाल को समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक व चिंतक गोविन्दाचार्य और गंगा महासभा के महामंत्री आचार्य जितेंद्र पहुंचे। गोविन्दाचार्य ने गंगा को अविरल व निर्मल बहने देने की वकालत की। गोविंदाचार्य इस मुद्दे पर माहौल तैयार करने का कार्य करेंगे।

इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में गोविंदाचार्य ने कहा कि गंगा राष्ट्रीय आस्था से जुड़ा सवाल है। गंगा को अविरल और निर्मल बहने देना चाहिए। रोजगार व ऊर्जा के दूसरे विकल्प की तलाश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास मानव केंद्रित नहीं बल्कि प्रकृति केंद्रित होना चाहिए। सभी दल दोहरेपन के शिकार हैं। विकास को लेकर आज भी 200 साल पुरानी अवधारणा चल रही है गंगा को राष्ट्रीय नदी तो घोषित किया गया, लेकिन इसके बाद उसे अमली जामा नहीं पहनाया गया। गंगा बेसिन प्राधिकरण को भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि प्राधिकरण निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन गंगा के मुद्दे को लेकर आगे जाएगा। केंद्र, राज्य, विपक्षी दलों के साथ गंगा बेसिन प्राधिकरण के सदस्यों से बातचीत होगी। वे इस मुद्दे का हल निकलवाने का प्रयास करेगें।

गोविन्दाचार्य ने आमरण अनशन स्थल मातृ सदन में आकर अपने समर्थन में यह सुस्पष्ट शब्दों में लिखा-“आदरणीय गुरुदास जी को देखने आया। मन में अनेक भावों का उतार चढ़ाव होता रहा। क्षोभ, विषाद, रोष, संकल्प आदि उसका हिस्सा था। गंगा मैया हम सब की परीक्षा ले रही हैं हम उसके लायक हैं या नहीं। मेरी औकात के हिसाब से निर्मल गंगा अविरल गंगा के लिए योगदान तो करूंगा ही। मुद्दा हल हो! गुरुदास जी का अनशन टूटे। यही गंगा मैया से प्रार्थना है।”

आर्य विरक्त आश्रम, ज्वालापुर हरिद्वार से उसके प्रधान श्री वेद मुनी जी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल इस अनशन को समर्थन देने मातृ सदन पहुंचा। उन्होंने अपने समर्थन में लिखा –“आर्य विरक्त आश्रम, ज्वालापुर हरिद्वार आपके साथ है ईश्वर से प्रार्थना है कि अपका मनोकामना या उद्देश्य की पूर्ति हो एवं आयु दीर्घायु हों।”

जैसे-जैसे आमरण अनशन का दिन बढ़ता जा रहा है पूरी दुनिया के बुद्धिजीवी एक स्वर से सरकारों की निन्दा करते जा रहे हैं। एक ओर जहां देश के कोने-कोने से पर्यावरण प्रेमी, गंगा-भक्त और जागरूक बुद्धिजीवियों का प्रो. गुरुदास अग्रवाल जी के अनशन स्थल मातृ सदन में आकर समर्थन देने वालों का तांता लगता जा रहा है वहीं विदेशों से जागरूक पर्यावरण प्रेमियों का ई-मेल के माध्यम से समर्थन सहयोग और आन्दोलित होने की सूचनाएं बराबर मिल रही हैं।

मातृ सदन के संस्थापक शिवानन्द महाराज ने कहा-“गंगा नदी घाटी प्राधिकरण बनने से पहले जो सरकारें प्रो. गुरुदास अग्रवाल जी के संकल्प के अनुरूप जो गंगा जी के उद्गम स्थल गंगोत्री से 130 किलोमीटर दूर धरासू तक गंगा जी के नैसर्गिक प्रवाह को किसी भी प्रकार से छेड़-छाड़ नहीं करने, उसे बांध बनाकर नहीं बांधने का जो लिखित वचन देती है। और वहीं गंगा नदी घाटी प्राधिकरण बनने के बाद वही सरकार अपने दिए हुए वचनों से मुकर जाती हैं। तो यहां गम्भीर प्रश्न यह खड़ा होता है कि क्या प्राधिकरण मां गंगा की रक्षा के लिए बना है या उसे नष्ट करने के लिए? कहां तो एक तरफ गंगा प्राधिकरण को पिछले वचनों का पालन करते हुए आगे की बात करनी चाहिए।”

अपने अनशन के 9 वें दिन प्रो. अग्रवाल जी ने आर्त और दुःखी हृदय से कहा “सरकार की गंगा के प्रति नीयत और नीति देखी कि गंगा जी को भगीरथ ने पितरों के उद्धार के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया और बहुत दुःख और दुर्भाग्य की बात है कि सरकार उस पतितपावनी मां गंगा को दिल्ली के शौचालयों के सफाई के लिए फ्लश करने में उपयोग कर रही है। लेकिन मैं गंगा जी का यह अपमान कतई बर्दाश्त नहीं करूंगा।”