Source
प्रजातंत्र लाइव, 30 अक्टूबर 2014
लंदन एजेंसी, ब्रिटेन स्थित प्रवासी भारतीय उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पाल के कपारो ग्रुप की भारत में जगह-जगह पर्यावरण अनुकूल बायो डाइजेस्टर शौचालय स्थापित करने की योजना है, जिसमें जैविक तरीके से मल का निस्तारण होता है।
इस समूह ने भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर ये शौचालय बनाए हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण व शहरी इलाकों में जीवन स्तर सुधारना है। समूह के सीईओ अंगदपाल ने यह जानकारी दी। पाल ने कहा कि हमें बायोडाइजेस्टर शौचालय बनाने के लिए डीआरडीओ की प्रौद्योगिकी के साथ काम करने का विशिष्ट अवसर मिला है।
हम अब इन्हें देश भर में लगाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे प्लंबिंग की जरूरत नहीं रहती और इसमें मल आदि से जल व गैसें तैयार की जा सकती हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह कंपोस्ट के क्षेत्र में कपारो का पहला कदम है। इसके परिणाम में हमने भारत के लिए कंपोस्ट हाउसिंग का विकास किया है जोकि शीघ्रता व सस्ते में बनाई जा सकती है तथा परंपरागत भवन सामग्री की तुलना में अधिक मजबूत होती है।
अंगदपाल ने कहा कि हम शीघ्र ही जैविक माल से भी कम्पोस्ट सामग्री बनाएंगे। यह बढ़ते भारत की जरूरतों को पूरा करने वाला सही समाधान होगा। हम इसे बायोडाइजेस्टर शौचालय आदि से जोड़ना चाहेंगे। लार्ड पाल के बेटे अंगद ने स्वच्छ व वैकल्पिक ऊर्जा के बारे में मोदी सरकार की नीतियों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि हम कपारो इंडिया में दो साल से ऐसे उत्पादों का विकास कर रहे हैं जिससे ग्रामीण व शहरी इलाकों में जीवन स्तर सुधारा जा सके। अंगदपाल ने कहा कि हमने एक इलेक्ट्रिक मोटर विकसित की है जो कि अधिक मजबूत व शक्तिशाली है और हमारे वाहनों में सस्पेंशन प्रणाली ऊबड़-खाबड़ सड़कों के लिहाज से बेहतर है।
कंपनी स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि जेनसेट से चलने वाले तथा सौर ऊर्जा चार्जिंग प्वॉइंट स्थापित किए जा सकें। कंपनी कई संस्थागत भवनों में सौर ऊर्जा लगा रही है तथा वह इस काम को और आगे करना चाहेगी सौर प्रौद्योगिकी का अर्थशास्त्र तेजी से सुधरा है और व्यावहारिक वैकल्पिक स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में सक्षम होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य प्राकृतिक कचरे से ऊर्जा उत्पादन पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि कपारो अपने कारखानों में इस तरह की प्रणाली पहले से इस्तेमाल कर रही है जिस कैंटीन कचरा कम-से-कम हो और उससे ऊर्जा उत्पादन किया जा सके। संसद के उच्च सदन हाउस ऑफ लार्ड्स में हुए कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री निर्मला सीतारमन व सांसद मीनाक्षी लेखी भी मौजूद थीं।