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प्रजातंत्र लाइव, 10 अप्रैल 2015

इस संयन्त्र से बायोगैस और प्रचुर पोषक तत्व वाले उर्वरक तैयार होते हैं। त्रिम्बकेश्वर में गेदावरी नदी में प्रदूषण के सिलसिले में पर्यावरणविद ललिता शिंदे, राजेश पण्डित और निशिकान्त पगारे की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सात अप्रैल को एनजीटी ने नगरपालिका परिषद से नदी और सीवेज को अलग करने की स्थिति जाननी चाही। नगर परिषद ने कहा कि मई के प्रथम हफ्ते तक काम पूरा हो जायेगा। न्यायमूर्ति वी आर किंगांवकर और न्यायिक विशेषज्ञ अजय देशपाण्डे की पीठ ने नगर परिषद को काम पूरा करने के लिए 28 मई तक का समय दिया। एनजीटी ने ‘बायोमेथनेशन संयन्त्र’ की स्थिति भी जाननी चाहिये और इसे पूरा करने के लिए यही समय सीमा निर्धारित की।
अन्य घटनाक्रम के तहत मुम्बई उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को उनकी उस याचिका पर एक अलग अर्जी दाखिल करने को कहा जिसके तहत कुम्भ मेले के दौरान नासिक में तपोवन घाट और दसक सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट में लोगों के नहाने पर रोक लगाने की माँग की गई है। वहाँ नहाने पर रोक लगना चाहिए क्योंकि इससे लोगों के स्वास्थ्य पर खतरनाक असर पड़ सकता है। साथ ही, नहाने से गोदावरी भी प्रदूषित होगी।