फिलिपीन द्वीपसमूह

Submitted by Hindi on Mon, 12/27/2010 - 14:05
फिलिपीन द्वीपसमूह स्थिति : 12रू0फ़ उ.अ. तथा 123रू0फ़ पू.दे.। यह प्रशांत महासागर में 1,15,600 वर्ग मील क्षेत्र पर फैला हुआ 7.083 द्वीपों का एक पुंज है। इस द्वीपसमूह के लगभग 466 द्वीप ही ऐसे हैं, जो एक मील या उससे कुछ बड़े विस्तारवाले हैं तथा केवल तिहाई द्वीप ऐसे हैं जिनका नामकरण हुआ है। लूज़ॉन तथा मिंडानाओ द्वीप मिलकर समस्त भूभाग के दो तिहाई भाग पर फैले हुए हैं। इन द्वीपों की रचना ज्वालामुखी, मूँगों या पर्तदार श्रेणियों द्वारा हुई है। कुछ महत्वपूर्ण द्वीप निम्नलिखित हैं : लूज़ॉन, मिंडानाओ, पानाई, नेग्रोस, सेबू, लेटी, सामार, बोहाल, मिंडोरो, मासबाटे तथा पालावान। इस द्वीपसमूह की खोज फर्डीनेंड मैगेलन ने 16 मार्च, 1521 ई. में की थी। यह 3 जुलाई, 1946 ई. तक स्पेन, संयुक्त राज्य अमरीका तथा जापान के अधीन था, परंतु 4 जुलाई, 1946 ई. को यह एक गणतंत्र देश हो गया है।

धरातल - इस द्वीपसमूह के मध्य से रीढ़ की हड्डी की तरह एक पर्वतमाला फैली हुई है, जो एशिया की पर्तदार पर्वतमालाओं का अंग मानी जाती है। यहाँ पर सुप्त एवं जाग्रत

चित्र.
अवस्थाओं में अनेक ज्वालामुखी पर्वत हैं। तटरेखा लगभग 11,511 मील लंबी है। यहाँ के बहुत से छोटे छोटे द्वीप मूँगे की चट्टानों के बने हैं। मिंडानाओ, सामार तथा लूज़ॉन का पूर्वी समुद्रतट बहुत ऊबड़खाबड, कटाफटा तथा पथरीला है। यह भाग उत्तर-पूर्वी मानसून के समय वर्षा तथा हवा के थपेड़ों से प्रभावित होता है। पालावान, पानाई, मिंडोरो तथा मध्य लूज़ॉन से प्रभावित होता है। पालावान, पानाई, मिंडोरो तथा मध्य लूज़ॉन का पश्चिमी किनारा भी उसी तरह ऊबड़खाबड़ है तथा दक्षिण-पश्चिमी मानसून से प्रभावित है।

जलवायु - द्वीपीय प्रदेश होने के कारण यहाँ की जलवायु मुख्यतया सम है। निचले प्रदेशों में उच्चताप तथा उच्च आर्द्रता वर्ष भर रहती है। कभी कभी स्थानीय प्रभावों से प्रभावित हो कर आर्द्रता कम हो जाती है। वार्षिक ताप का उतार चढ़ाव कम होता है। कभी कभी एशिया से आई, ठंढी हवाओं से प्रभावित होने पर यहाँ का ताप 18रूसें. से भी कम हो जाता है। वर्षा पूर्वी समुद्रतट पर अधिक होती है, जबकि लगभग आधा पश्चिमी द्वीपसमूह शुष्क रहता है। यहाँ विनाशकारी टाइफून चला करते हैं। जलवायु के विचार से इसे तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है : (1) पूर्वी भाग जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 100 इंच से अधिक तथा अधिकांश वर्षा शीतकालीन मानसून द्वारा होती है। ग्रीष्मकालीन मानसून से भी यहाँ थोड़ी वर्षा हो जाती है। (2) पश्चिमी भाग जहाँ ग्रीष्मऋतु में मुख्य वर्षा 90 इंच से अधिक होती है तथा शीत एवं बसंत ऋतुएँ प्राय: शुष्क होती हैं। (3) मध्यवर्ती भाग जहाँ वर्ष भर समान दशाएँ देखने में आती हैं। कोई महीना बिल्कुल शुष्क और हल्की वर्षावाला होता है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा 75 इंच से 80 इंच के भीतर रहती है। इस देश की राजधानी मनीला इसी भाग में स्थित है।

वन - दक्षिणी भागों में कठोर लकड़ी वाले सदाबहार वन पाए जाते हैं। इन जंगलों में बाँस, ईंधन एवं इमारती लकड़ियाँ पाई जाती हैं।

कृषि - लगभग संपूर्ण जनसंख्या में से 90 लाख लोग कृषि में लगे हैं। अधिकांश कृषि लूज़ॉन, सेबू, नेग्रोस, लेटी एवं मिंडानाओ द्वीपों की नदी घाटियों में होती है। यहाँ की सबसे प्रमुख उपज धान है। धान के बद नारियल, मक्का तथा अवाका का स्थान आता है। वैसे तो गन्ना, अवाका, केला, चुकंदर, तंबाकू, कसावा एवं रबर के बागान भी हैं पर इनका कोई विशिष्ट स्थान नहीं है। यहाँ के फलों में केला और आम मुख्य हैं। अवाका एक विशिष्ट प्रकार की उपज है एवं केले की जाति का है, इसके तने से प्राप्त रेशे से रस्सियाँ आदि बनाई जाती हैं। मक्का की खेती वर्ष भर में तीन बार होती है। गन्ना लावा द्वारा निर्मित मिट्टी पर बोया जाता है। रबर के बागान 5,000 एकड़ भूभाग पर लगाए गए हैं।

खनिज - यहाँ के खनिज पदार्थों में सोना, चाँदी, लोहा, ताँबा क्रोमियम, सीसा तथा कोयला मुख्य हैं। इसके अतरिक्त जस्ता, यूरेनियम, जिप्सम, ऐसबेस्टस, सिलिका भी प्राप्त होते हैं। स्वर्णक्षेत्र लूज़ॉन के उत्तरी और दक्षिणी भागों में तथा मिंडानाओ और मासबाटे द्वीपों में फैले हुए हैं। उत्तरी लूज़ॉन में स्थित वेंगुइट जिला सोने का मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं।

उद्योग - औद्योगिक ईंधन की कमी के कारण यहाँ का औद्योगिक विकास नगण्य है तथा जो उद्योग हैं भी वे सभी कृषि पर आधारित हैं, जैसे धान कूटना, चीनी, रबर की वस्तुएँ, जूते बनाना तथा नारियल के सामान आदि। यहाँ चीनी बनाने के बड़े छोटे लगभग 52 कारखाने हैं तथा धान कूटने की लगभग 3,000 मिलें हैं, जो समस्त द्वीपों पर फैली हुई हैं। नारियल से तेल निकलने का काम भी होता है। उत्तरी लूज़ॉन में सिगार तथा सिगरेट बनाने का उद्योग प्रमुख हैं। अब इन द्वीनों की उन्नति के लिए नए नए कारखाने, जैसे सूती कपड़ा, काच, प्लाईवुड बनाना तथा सीमेंट आदि उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं।

यातायात - यहाँ पर अभी लगभग 1,200 किमी. लंबे रेलमार्ग हैं, जो लूज़ॉन पानाई तथा सेबू द्वीपों पर फैले हुए हैं। पक्की सड़कों की लंबाई लगभग 30,000 किमी. है। मनीला नगर चारों ओर से सड़क यातायात से सुव्यवस्थित रूप में जुड़ा हुआ है। मनीला नगर में प्रसिद्ध हवाई अड्डा है, जहाँ से पूर्व एवं पश्चिम देशों की ओर वायुयान जाते हैं।

जनसंख्या - यहाँ की जनसंख्या 2,70,87,685 (1960) है। पहाड़ी भागों में बहुत कम जनसंख्या निवास करती है। पश्चिमी लूज़ॉन, सेबू बोहॉल तथा पानाई द्वीप अधिक जनसंख्यावाले क्षेत्र हैं। यहाँ के निवासियों में भारतीय, चीनी, जापानी आदि हैं, पर अधिकतर निवासी ईसाई मत को माननेवाले हैं। यहाँ की राष्ट्रीय भाषा टगालौग है, पर राज्यकाज में अंग्रेजी एवं स्पेनिश भाषाओं का प्रयोग होता है। शिक्षा संस्थाओं में अंग्रेजी भाषा ही शिक्षा का माध्यम है। यहाँ के मूल निवासी "एटसरा" नामक असभ्य जाति के लोग हैं, जो नवीन सभ्यता के कट्टर विरोधी हैं। अन्य आदिवासी मोरो, इग्रटे आदि छोटे छोटे नगरों में अपनी वस्तुओं का क्रय विक्रय करने आते हैं।

व्यापार - यहाँ पर उपभोग की वस्तुओं का आयात कम तथा यंत्रों एवं कच्चे माल का आयात अधिक होता है। यहाँ से नारियल का तेल, गोला, मनीला हैंप, अबाका टिन, ताँबा, रबर एवं सूअर का मांस बाहर जाता है। यंत्रों, मोटरगाड़ियों, कपड़ा तथा मांस आदि का आयात होता है।

(विजयराम सिंह)