फूटे से बहि जातु है

Submitted by Hindi on Thu, 03/25/2010 - 10:33
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घाघ और भड्डरी

फूटे से बहि जातु है, ढोल, गँवार, अँगार।
फूटे से बनि जातु हैं, फूट, कपास, अनार।।


शब्दार्थ- बहि-नष्ट होना।

भावार्थ- ढोल, गंवार और अंगार ये तीनों फूटने से नष्ट हो जाते हैं, लेकिन फूट, (भदईं ककड़ी) कपास और अनार फूटने से बन जाते हैं अर्थात् उनकी कीमत फूटने के बाद ही अच्छी होती है।