राजरोगियों की खतरनाक रजामंदी

Submitted by Hindi on Tue, 04/03/2012 - 12:12
Source
राष्ट्रीय सहारा 'हस्तक्षेप', 31 मार्च 2012

अच्छे लोग भी जब राज के नजदीक पहुंच जाते हैं तो उनको विकास का रोग लग जाता है।.. भूमंडलीकरण का रोग लग जाता है। उन्हें लगता है कि सारी नदियां जोड़ दें, सारे पहाड़ समतल कर दें.. बुलडोजर चलाकर हम उनमें खेती कर लेंगे। यह ख्याल प्रकृति विरुद्ध है। मैं बार-बार कह रहा हूं कि नदियां जोड़ना प्रभु का काम है। सुरेश प्रभु सहित देश के प्रभु बनने के चक्कर में नेता लोग न करें, तो अच्छा है। नदियां प्रकृति ही जोड़ती है । गंगा कहीं से निकली। यमुना कहीं से निकली। अगर ऊपर हैलीकॉप्टर से देखें, तो दोनों एक ही पर्वत की चोटी से ठीक नीचे दो बिंदु से दिखेंगे। वहां गंगोत्री और यमुनोत्री में बहुत ही दूरी नहीं है। प्रकृति उन्हें वहीं जोड़ देती। लेकिन सब जगह अलग - अलग जगह सिंचाई करके कहां मिलें-यह प्रकृति ने तय किया। तब वहां संगम बना। उसके बाद डेल्टा की भी सेवा करनी थी नदी को।

‘देश का जल बचाने के लिए अब जल सत्याग्रह जरूरी’ पुस्तक का अंश