रेवासागर - परिणाम

Submitted by admin on Thu, 10/17/2013 - 13:05
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पानी का अर्थशास्त्र (रेवासागर अध्ययन रिपोर्ट)

1. रेवासागर : सामाजिक आंदोलन


मात्र 1 वर्ष 4 माह में स्वयं के खेत में 1500 रेवासागर निर्माण में लगभग 70 करोड़ रूपए का व्यय व्यक्तियों द्वारा किया जाना इस बात का संकेत है कि हमारे समाज ने पानी के अर्थशास्त्र को आत्मसात करते हुए पानी बचाने की अवधारणा को स्वीकार कर लिया है दूसरे शब्दों में रेवासागर अभियान को हम सामाजिक आंदोलन की बुनियाद भी कह सकते हैं साथ ही इस आंदोलन की निरंतरता भी अवश्यंभावी है क्योंकि आने वाले समय में इस योजना के अपेक्षित परिणाम ही जन सामान्य के लिए प्रेरणा बनेंगे।

रेवासागर अवधारणा का विस्तार


देवास जिले के टोंकखुर्द विकासखंड के हरनावदा एवं टोंककला गांव से शुरू हुआ। रेवासागर निर्माण का कार्य देखते हुए विस्तार लेने लगा एक खेत से दूसरे खेत एक विकास खंड से दूसरे विकास खंड और फिर एक जिले से दूसरे जिले तक रेवासागर निर्माण की बात फैलने लगी पहले वर्ष जिले में बने 600 रेवासागर से प्राप्त अपेक्षित परिणामों की बात समीपवर्ती जिलों में पहुंचने लगी, परिणाम स्वरूप सीहोर, शाजापुर, उज्जैन, हरदा, खंडवा, रायसेन, धार, विदिशा, होशंगाबाद, भोपाल, बैतूल जिले से लोग रेवासागर देखने व तकनीकी जानकारी लेने के लिए पहुंचने लगे।

इस तरह रेवासागर में छुपा पानी का अर्थशास्त्र जिले की हदें पार कर मालवा निमाड़ के दर्जन भर जिलों तक फैल गया।

अपेक्षित सिंचित क्षेत्र में वृद्धि


रेवासागर अभियान के तहत जिले में निर्मित इन 1500 तालाबों से करीब 15,000 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित हुई, मात्र एक वर्ष चार माह की अल्पावधि में किसी परियोजना के संचालन से इतने बड़े क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होना अपने आप में एक बड़ा उपलब्धि है। आंकड़ों की दृष्टि से देखे तो पिछले 50 वर्षों में विभिन्न परियोजनाओं के संचालन और शासन द्वारा इन योजनाओं में करोड़ों रूपये खर्च किए जाने चयनित स्थल पर जल आवक की मात्रा के आधार पर रेवासागर की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, आकार आदि का निर्धारण कृषकों से चर्चा उपरांत, ले-आउट तत्काल दिए जाने की सुचारू व्यवस्था जिला प्रशासन ने प्रदान की।

जिला स्तर पर एवं विकासखंड स्तर पर एक कंट्रोल रूम स्थापित किए गए जिसके सम्पर्क दूरभाष क्रमांक समाचार पत्रों में भी प्रकाशित करवाए गए। साथ ही क्षेत्र विशेष हेतु निर्धारित तकनीकी अधिकारी/कर्मचारी के दूरभाष भी समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाए गए। जिससे जिले के किसी भी हिस्से में कृषक को आवश्यकतानुसार यथाशीघ्र मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।

स. वित्तीय संयोजन


जिले में रेवासागर अभियान में यू तो लक्ष्य कृषक बड़े किसानों को लिया जाकर उनके पास उपलब्ध धन/संसाधन से रेवासागर निर्माण सम्पन्न कराए गए। किंतु मध्यम तथा लघु कृषकों तथा कहीं-कहीं बड़े किसानों द्वारा भी बड़े रेवासागर निर्माण हेतु कुछ वित्तीय सहायता/ऋण की आवश्यकता महसूस की गई इस हेतु-

1. सर्वप्रथम जिला स्तर पर समस्त बैंकर्स की बैठक आहुत की गई जिसमें नाबार्ड भोपाल के मुख्य महाप्रबंधक श्री माथुर एवं अन्य वरिष्ठ बैंक अधिकारियों को आमंत्रित किया गया।

2. चूंकि तालाब निर्माण होतु कृषकों द्वारा बैंकों से ऋण चाहे जाने का यह प्रारंभिक अनुभव था बैंकर्स की भी इसमें विशेष रूचि नहीं थी अतः जिला स्तर पर बैठकों के माध्यम से संवाद स्थापित कर प्रकरण के तकनीकी पहलुओं, ऋण वापसी की संभावनाओं आदि आर्थिकीय पहलू प्रस्तुत कर बैंकर्स को इस हेतु तैयार किया गया।

कृषि के अधिकारियों एवं इंजीनियर्स के संयुक्त नेतृत्व में तालाबों के तकनीकी पहलुओं को देखते हुए कार्यवार प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई एवं बैंकर्स को भरोसा दिलाया गया कि, रेवासागर पर ऋण प्रदान करने के बावजूद सिंचित क्षेत्र में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है लेकिन इस परियोजना के परिणाम स्वरूप बिना शासन के व्यय के लगभग 3.5 प्रतिशत क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेंगी, यह अपने आप में एक रिकार्ड है। जल संरक्षण की पूर्व अवधारणाओं एवं रेवासागर अवधारणा में अंतर -

क्र.

पूर्व अवधारणाएं

रेवासागर

1.

सामाजिक प्रयास

उपयोगकर्ता के प्रयास पर जोर

2.

सहभागिता पर जोर

वैयक्तिकता पर जोर

3.

नैतिक जबावदारी

आर्थिक आधार

4.

मूलतः शासकीय योजनाओं पर आधारित

स्वयं के विकास के लिए स्वयं का प्रयास

5.

गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों पर केंद्रित अनुदान पर एक शासकीय योजना

बड़े किसानों पर स्व निवेश केंद्रित अभियान

6.

Commodity

Input

 



जल स्तर में वृद्धि


जिले में बड़ी नदी या सिंचाई के लिए नहर नहीं होने से किसान पूरी तरह से भू-जल पर निर्भर है पिछले वर्षों में लगातार भूजल दोहन से जिले के जलस्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। रेवासागर के माध्यम से वर्षा जल संचित होकर ज़मीन के अंदर रिसेगा जिससे जल स्तर में वृद्धि होगी। जल स्तर में वृद्धि होने से आने वाले वर्षों में इन रेवासागर के समीपस्थ क्षेत्रों में स्थापित हजारों नलकूपों पुनर्जीवित हो सकेंगे। दूसरे शब्दों में इसे हम सीधे करोड़ों रूपये की बचत के रूप में भी आंक सकते हैं।

जल स्तर में कितनी वृद्धि हुई है यह जानने के लिए लोक स्वा. यां. विभाग द्वारा जल स्तर के आंकड़े लिए गए-

ग्राम - टोंककला

 

विकासखंड-टोंकखुर्द

 

क्रं.

हैंडपम्प की लोकेशन

जल स्तर जून 2006 (मी.)

जल स्तर जून 2007 (मी.)

1.

ई.जी.एस. स्कूल खेड़ी

30

25

2.

कंजर मोहल्ला

50

40

3.

हुकुमसिंह पिता भंवर सिंह (सिंचाई नलकूप)

30

25

 



रेवासागर - 32


ग्राम - हरनावदा

 

विकासखंड-टोंकखुर्द

 

क्रं.

हैंडपम्प की लोकेशन

जल स्तर जून 2006 (मी.)

जल स्तर जून 2007 (मी.)

1.

नर्सरी के सामने

40

25

2.

पंचायत भवन

45

30

3.

दरगाह के पास

45

30

4.

चक्की के पास

45

30

 



ग्राम - टोंकखुर्द

 

विकासखंड - टोंकखुर्द

 

क्रं.

हैंडपम्प की लोकेशन

जल स्तर जून 2006 (मी.)

जल स्तर जून 2007 (मी.)

1.

स्वास्थ्य केंद्र

55

42

2.

उत्कृष्ट विद्यालय

60

55

3.

शक्ति माता मंदिर

45

36

4.

फ्री गंज चौराहा

45

25

 



रेवासागर - 8


ग्राम - सुनवानी कराड़

 

विकासखंड- देवास

 

क्रं.

हैंडपम्प की लोकेशन

जल स्तर जून 2006 (मी.)

जल स्तर जून 2007 (मी.)

1.

नई आबादी

42

39

2.

नया स्कूल परिसर

45

42

3.

तालाब के पास

43

40

4.

पुराने स्कूल के पास

42

42

5.

रणायर के रास्ते पर

62

62

6.

सरपंच के घर के पास

45

42

 



रेवासागर - 10


ग्राम - घनोरा

 

विकासखंड- देवास

 

क्रं.

हैंडपम्प की लोकेशन

जल स्तर जून 2006 (मी.)

जल स्तर जून 2007 (मी.)

1.

नई आबादी

42

36

2.

स्कूल के बाहर

48

39

3.

केलोद रास्ते पर

46

42

4.

स्कूल के अंदर

45

42

5.

नारियाखेड़ा रास्ते पर

52

48

 



Owner

Source

PH

Turbidity

Hardnvo

Alkalinty

Gun Mg/As

Fuouride

Residual Chloside

Nitrate

Hukum Singh

 

(Tonk Kala)

Tubewell

 

Rewasagar

7.00

 

7.5

1.2

 

8.0

292

 

164

284

 

140

0.1

 

0.0

0.0

 

0.0

18

 

302

5

 

15

Kapoor

 

(Tankkala)

Tubewell

 

Rewasagar

7.0

 

7.2

1.1

 

10.2

204

 

192

330

 

260

0.1

 

0.0

0.0

 

0.0

42

 

181

0

 

100

Raghuwashi Singh

 

(Haridwar)

Tubewell

 

Rewasagar

7.00

 

8.5

1.0

 

6.2

404

 

186

324

 

204

0.1

 

0.0

0.0

 

1.0

30

 

156

0

 

80

Shivmandir Kalna

 

Jagdish Singh Kalan

Tubewell

 

Rewasagar

7.0

 

8.0

2.0

 

7.4

340

 

144

264

 

284

0.3

 

0.1

0.5

 

0.2

29

 

172

0

 

80

School Drawing

 

Manohar

T.W.

 

Rewasagar

7.2

 

8.0

1.0

 

10%

340

 

144

362

 

344

0.1

 

0.0

0.1

 

0.0

16

 

48

0

 

80

 



निष्कर्ष :-


उक्त आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि टोंकखुर्द विकास खंड के गाँवों में जहां 20 से अधिक रेवासागर का निर्माण हुआ है वहां जल स्तर में बढ़ोतरी औसत 8-7 मीटर दर्ज की गई है वही दूसरी और देवास विकास खंड में जहां रेवासागर की संख्या 10 से कम है वहां जल स्तर में बढ़ोतरी औसतन 2-3 मी. दर्ज की गई है।

इससे यह स्पष्ट है कि जिस क्षेत्र में अधिक मात्रा में रेवासागर का निर्माण हुआ है वहां जल स्तर में अधिक वृद्धि हुई है।

(स्रोत आंकड़े संलग्न)

भूमिगत जल एवं रेवासागर में संग्रहित वर्षाजल के परिक्षण से निम्न तथ्य स्पष्ट हैं:-

1. भूमिगत जल की hardnes अपेक्षाकृत अधिक है जबकि रेवासागर में संग्रहित पानी की कठोरता अपेक्षाकृत काफी कम है रेवासागर के पानी का उपयोग निस्तारी कार्यों के लिए भी किया जाता है तथा इस जल की कठोरता कम होने से यह खेती एवं निस्तारी कार्यों के लिए अधिक उपयोगी है।

2. भूमिगत जल की तुलना रेवासागर में संग्रहित जल की एल्केलिनिटी कम है। बाइकार्बोनेट्स की मात्रा में होने से गुणात्मक रूप से पानी ज्यादा ठीक है।

3. भूमिगत जल की तुलना में रेवासागर में संग्रहित जल में Residual Chloride की मात्रा अधिक है।

4. भूमिगत जल की तुलना में रेवासागर में घुलनशील नाइट्रोजन की मात्रा अधिक है।

निष्कर्ष :-


उक्त तथ्यों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि रेवासागर में संग्रहित वर्षा जल में भूमिगत जल की तुलना में घुलनशील नाइट्रोजन की मात्रा अधिक है यह स्पष्ट है कि खेतों में रबी की फसल के लिए प्रयोग किए गए उर्वरकों की शेष मात्रा खेतों से पानी में घुलकर रेवासागर में पहुंची है यदि रेवासागर संग्रहित जल का सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता है तो फसल में संग्रहित पानी से ही पौधे के लिए नाइट्रोजन की पूर्ति संभव है।

1. देवास, टोंकखुर्द कन्नौद और खातेगांव के कुछ गाँवों में किसानों के बीच किए गए एक सर्वे में किसानों ने स्पष्ट किया कि रेवासागर से सिंचाई करने पर इस वर्ष उन्होंने तुलनात्मक रूप से कम उर्वरकों का उपयोग किया है।

2. किसानों ने सर्वे में अपने अनुभवों के आधार पर यह भी स्पष्ट किया कि रेवासागर के पानी से सिंचाई करने पर पौधों की वृद्धि अपेक्षाकृत ज्यादा रही और उत्पादन भी अधिक हुआ है।

3. सर्वे में टोकखुर्द के कुछ किसानों ने यह भी स्पष्ट किया कि गेहूं के एक पौधे में 8-10 तक बालियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। यानि उत्पादन में 10-15 प्रतिशत तक की वृद्धि है।

विद्युत की बचत


वर्तमान परिदृश्य में जिले में सिंचाई के लिए भूजल का दोहन किया जा रहा है। जिले में कोई नहर या बड़ी नदी नहीं होने से किसान सिंचाई के लिए पूर्णतः नलकूप पर अवलंबित है। लगातार भूजल के दोहन से जल स्तर 500 फुट से अधिक गहराई तक चला गया है। इतनी गहराई से पानी खींचने के लिए किसान पूरी तरह विद्युत पर निर्भर है। रेवासागर एक सतही जल संरचना है और इससे सिंचाई करने के लिए जहां एक ओर किसानों का महंगे पम्पसेट खरीदने का खर्चा कम होगा, वही वे ट्रैक्टर तथा स्थानीय संसाधनों से चरखा बनाकर अथवा अन्य परंपरागत तरीकों से सिंचाई कर सकेंगे। इससे 50 प्रतिशत तक विद्युत की बचत संभव होगी। साथ ही किसान सिंचाई के संदर्भ में आत्मनिर्भर बन सकेगा। विद्युत का संकट भी इस सतही जल संरचनाओं के कारण सिंचाई में बाधक नहीं बन सकेगा।

समय की बचत


किसानों के बीच विभावरी द्वारा कराए गए एक सर्वे से यह स्पष्ट हुआ कि नलकूप से सिंचाई की तुलना में रेवासागर से सिंचाई करने में पांच गुना समय की बचत होती है।

किसानों के अनुसार नलकूप से 2” डिलेवरी होने से 100 घंटे में 8-10 एकड़ ज़मीन ही सिंचित हो पाती है।

जबकि रेवासागर से डीजल पम्प लगाकर सिंचाई संभव है तथा 100 घंटे में 5.6” डिलेवरी का उपयोग करके 45-50 एकड़ ज़मीन सिंचित की जा सकती है।

पानी की बचत


किसानों के बीच किए गएसर्वे से यह भी स्पष्ट हुआ है कि नलकूप से सिंचाई में रेवासागर की तुलना में 36 गुना पानी लगता है। एक फाइडिंग के अनुसार गेहूं में सिंचाई के लिए रेवासागर से 50 से.मी. पानी पर्याप्त है जबकि 50 सेमी. पानी की पूर्ति के लिए नलकूप से सिंचाई करते समय 75 से.मी. पानी का उपयोग करना पड़ता है इसकी सबसे बड़ी वजह से किसानों के अनुसार यह है कि अनियमित विद्युत प्रदाय के कारण दुबारा सिंचाई करते समय पूर्व से सिंचित क्षेत्र को फिर से गीला करने में पानी व्यर्थ होता है।

मानसिक तनाव में कमी -


क्र.

नलकूप

तनाव का प्रकार

1.

सौ प्रतिशत विद्युत आश्रित सिंचाई अनियमित विद्युत प्रदाय के कारण चौबीसों घंटे चौकन्ना रहना पड़ता है।

अनिश्चितता

2.

विद्युत प्रदाय प्रारंभ होते ही पंप चलाने की होड़

आपसी कलह

3.

आखिरी किसान को पर्याप्त विद्युत नहीं मिल पाने के कारण आपसी झगड़े

आपसी कलह

4.

रबी के मौसम में सिंचाई के लिए रात में विद्युत प्रदाय होने पर रात भर जागना

अनिद्रा से चिड़िचिड़ाहट

5.

ट्रांसफार्मर जल जाने की स्थिति में समय पर सिंचाई नहीं हो पाने के कारण फसल सूखने की चिंता

असुरक्षा दुःश्चिंता

6.

नलकूप में पानी की उपलब्धता का अनुमान नहीं हो पाने के कारण अनुमान आधारित रबी की रकबा

दुविधा

7.

सिंचाई साधनों के रख रखाव में अधिक खर्च

आर्थिक बोझ

8.

नलकूप में पर्याप्त पानी नहीं होने एवं समय पर सिंचाई नहीं हो पाने के कारण उत्पादन में कमी

कर्ज

 



नलकूप से सिंचाई करते समय किसान को पूर्णतः विद्युत प्रदाय पर आश्रित रहना पड़ता है।

इसके अलावा सिंचाई के लिए नलकूप पर आश्रित किसान को परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जो कि पूरे समय तनाव की स्थितियाँ निर्मित करती है।

सिंचाई स्रोत - रेवासागर


1.

सिंचाई के लिए सौ प्रतिशत विद्युत पर आश्रित नहीं रहना पड़ता है।

निश्चितता

2.

पंप चलाने की होड़ नहीं होने से पड़ोसी किसानों के बीच आपसी मन मुटाव की संभावनाएं नगण्य।

आपसी मैत्री भाव

3.

सिंचाई के लिए रात भर जागने से मुक्ति अपनी व्यस्तता के अनुरूप सिंचाई।

उत्साह-आनंद

4.

पानी की उपलब्धता आंखों के सामने होने से रबी के रकबे का सुनिश्चित निर्धारण।

स्पष्टता

5.

सिंचाई के संसाधनों के रख रखाव में कम आर्थिक खर्च।

आर्थिक बोझ में कमी कर्ज का बोझ-कम