Source
राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, पाँचवीं राष्ट्रीय जल संगोष्ठी, 19-20 नवम्बर, 2015
सारांश
वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें वेब आधारित जी.आई.एस. साफ्टवेयरों में स्थानिक आँकड़ों के प्रयोग को विकसित करने की क्षमता उपलब्ध है। वेब जी.आई.एस. के अनुप्रयोग द्वारा जल मौसम विज्ञान, जल गुणवत्ता स्थलों की स्थिति, नदी, प्रशासनिक आँकड़े, जल ग्रहण, भू आवरण, जल मार्ग इत्यादि से सम्बन्धित उपलब्ध जानकारी को सम्बन्धित उपयोगकर्ताओं के लिये सरलतापूर्वक उपलब्ध कराया जा सकता है। इंडिया-डब्ल्यू.आर.आई.एस., भुवन, भुवन गंगा आदि विभिन्न उपलब्ध सूचना तंत्र सम्बन्धित भूमिकाओं को उपयोगकर्ताओं तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका प्रदान करते हैं।
प्रस्तुत प्रपत्र में वेब-जी.आई.एस. मानचित्रों के प्रकार विशिष्टताओं, वेब जी.आई.एस. से लाभ एवं अन्य सम्बन्धित जानकारियों का संकलन किया गया है। वेब पर उपलब्ध जानकारी का उपयोग नीति निर्माताओं द्वारा निर्णय लेने, भू जानकारी प्राप्त करने में किया जा सकता है। इस शोध प्रपत्र में जानकारी के प्रसार में प्रयुक्त विभिन्न वेब आधारित जी.आई.एस. अनुप्रयोगों के विकास का भी वर्णन है।
Abstarct
Web-based GIS is an application having ability to develop the spatial data in We based softwares. With the help of Web GIS, Hydro-meteorological, ecological, hydrological, water quality, land use and other data can be easily made available to the users. The Web GIS softwares i.e. India-WRIS, Bhuvan, Bhuvan Ganga etc play important role to provide useful information to the users.
This paper describes the type of web-GIS maps, advantages of web GIS and other related informations. Information availble on Web GIS may be used by policy makers for taking several decisions. Further, Application of Web GIS based knowledge has also been presented in the paper.
1.0 प्रस्तावना
भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) एक ऐसा अनुप्रयोग है, जिसमें वेब एवं अन्य परिसंचालनों का उपयोग, स्थानिक जानकारी के अनुप्रयोग, प्रसंस्करण और प्रसार हेतु किया जाता है। यह उपयोग कर्ताओं को आँकड़ों के एकत्रीकरण, विश्लेषण एवं परिणामों को अधिक से अधिक व्यक्तियों तक प्रसारित करने तथा नीति निर्माताओं को उपयुक्त आँकड़ों को उपलब्ध कराने का अवसर प्रदान करता है। यह ‘थिन-क्लाइंट’ (इंटरनेट एक्सप्लोरर की तरह वेब ब्राउजर) का उपयोग कर, प्रबंधकों के लिये निर्णय लेने में सहायक साधन प्रदान करता है। यह ‘क्या, यदि’ विश्लेषण का समर्थन करता है, और परिणामों को समझने के लिये उपयोगकर्ताओं को वृहत अवसर प्रदान करता है।
वेब के साथ जी.आई.एस. का उपयोग कर, भूगोलवेत्ता और जल वैज्ञानिक, ऐसे लोगों को भी, जिनके लिये अन्यथा यह सम्भव नहीं होता, न केवल जी.आई.एस. आँकड़ों से परिचित करा सकते हैं, बल्कि ये सूचनाएँ उनके निर्णय लेने में भी सहायक सिद्ध हो सकती है। पूर्व में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अधिक महँगे होने के कारण तथा इसमें आने वाली कठिनाइयों के कारण आम व्यक्ति के लिये यह सॉफ्टवेयर सरलता से उपलब्ध नहीं हो पाते थे। छोटे बजट के साथ भी जलविज्ञान और जल संसाधनों में वेब-जी.आई.एस. अुनप्रयोग सम्भव है। मुफ्त में उपलब्ध वेब आधारित जी.आई.एस. साफ्टवेयरों में स्थानिक आँकड़ों के प्रयोग को विकसित करने की अपार क्षमता मौजूद है। स्थिति और विषयगत स्तरों पर आधारित सूचनाओं को आसानी से प्रसारित किया जा सकता है तथा जिला स्तर पर सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती है। अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर वेब जी.आई.एस. अनुप्रयोग मौजूद हैं, जिनका उपयोग विषयगत जानकारी प्राप्त करने के लिये किया जा सकता है। इंडिया-डब्लू.आर.आई.एस. (जल संसाधन सूचना प्रणाली), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (एन.आर.एस.सी.) द्वारा केन्द्रीय जल आयोग (सी.डब्लू.सी.), जल संसाधन मन्त्रालय, भारत सरकार के लिये विकसित वेब जी.आई.एस. प्रणाली है। यह प्रणाली लगभग 30 स्थानिक स्तरों का उपयोग जल संसाधन आँकड़ों के प्रसार के लिये करती है। इसमें वृहत और मध्यम स्तर की जलविद्युत और बहु उपयोगी परियोजनाओं का प्रदर्शन किया गया है। इसके अन्तर्गत मौसम विज्ञान और जिला वर्षा स्टेशनों के मानचित्र उपलब्ध हैं। जल मौसम विज्ञान और जल गुणवत्ता स्थलों के लिये स्थिति, नदी, प्रशासनिक आँकड़े, जलग्रहण, मेटाडाटा आदि की सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं। भूमि क्षरण, भू उपयोग और भू आवरण, बंजर भूमि और जल मार्ग के मानचित्र उपलब्ध कराए गए हैं। भारत में जैव विविधता की व्यापकता का वेब जी.आई.एस. अनुप्रयोग विकसित किया गया है। पृष्ठभूमि में गूगल अर्थ डी.ई.एम., परिवहन नेटवर्क, शहर आदि प्रदर्शित किए गए हैं, नक्शे चिन्हित किए गए हैं। भौगोलिक नक्शे की दृश्यता को पैमाने द्वारा नियन्त्रित किया गया है। उड़ीसा में, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एन.आई.सी.) के जी.आई.एस. प्रभाग, भुवनेश्वर द्वारा 2001 की जनगणना के सांख्यिकी आँकड़े और सांख्यिकी एवं अर्थशास्त्र निदेशालय के राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तरीय आँकड़ों को उपलब्ध कराने के लिये एक जी.आई.एस. अनुप्रयोग विकसित किया गया है। अनुतालिका का उपयोग कर परतों का चयन किया जा सकता है और सारणीबद्ध जानकारी प्राप्त की जा सकती है। अन्य उपयोगी परतों में मिट्टी, जंगल और नदी हैं। उत्तर प्रदेश में ग्राम स्तर तक जानकारी को प्रसार करने के लिये एक वेब जी.आई.एस. अनुप्रयोग बनाया गया है। जिनमें 2001 की जनगणना से जानकारी का उपयोग किया गया। प्राकृतिक संसाधन सूचना प्रणाली (एनआरआईएस) के तहत तैयार विभिन्न नक्शों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें विभिन्न वन,जल निकासी, नहरों, मिट्टी, लिथोलॉजी, भू-आकृति, भूमि उपयोग, भूजल, बस्तियों, जल विभाजक, सड़क, रेल आदि सम्मिलित हैं। भुवन सॉफ्टवेयर का अनुप्रयोग, पृथ्वी की सतह का 2 डी/3डी में प्रस्तुतीकरण करता है। ब्राउजर विशिष्ट भारत में वर्ष के क्षेत्र को उच्च विभेदन क्षमता के दृष्टिकोण से प्रदर्शित करता है। नवीन आँकड़ा समूहों एवं विशिष्टताओं के संयुग्मन की सहायता से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान द्वारा गूगल-पृथ्वी-उपग्रह मापन यंत्र, भुवन का उन्नयन संस्करण प्रदान किया गया। वेब पर उपलब्ध जानकारी का उपयोग, नीति निर्माताओं द्वारा निर्णय लेने, भू-जानकारी आदि प्राप्त करने में किया जा सकता है। इस शोध पत्र में जानकारी के प्रसार में प्रयुक्त विभिन्न वेब आधारित जी.आई.एस. अनुप्रयोगों के विकास का वर्णन है।
2.0 वेब मानचित्रों के प्रकार
वेब मानचित्रों का प्रथम वर्गीकरण 2001 में क्राक द्वारा किया गया। क्राक ने स्थितिक एवं गतिज वेब मानचित्रों को वर्गीकृत किया। वर्तमान में एक वृहत संख्या में गतिज वेब मानचित्र प्रकार एवं स्थितिज वेब मानचित्र स्रोत उपलब्ध हैं।
2.1 विश्लेषित वेब मानचित्र
विश्लेषित वेब मानचित्र GIS विश्लेषण को प्रदर्शित करते हैं। भू-आँकड़े एक स्थानिक प्रावधान हो सकते हैं, विश्लेषण वेब मानचित्र एवं वेब भौगोलिक सूचना तंत्र के मध्य सीमा रेखा अस्पष्ट हैं। विश्लेषण के भागों को भौगोलिक सूचना तंत्र भू-आँकड़ा सर्वर के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। वेब ग्राहकों द्वारा प्राप्त क्षमता प्रक्रम वितरित हैं।
2.2 सजीव एवं वास्तविक समय
वास्तविक मानचित्र, वास्तविक समय (कुछ सेकेंड या मिनट मात्र के विलम्ब) के निकट की स्थिति को दर्शाते हैं, वे सामान्यतः सजीव होते हैं। सेंसर या मानचित्रों द्वारा एकत्र आँकड़े जनित होते हैं तथा माँग के आधार पर नियमित अन्तराल पर उन्हें नवीनीकृत किया जाता है। सजीव मानचित्र ग्राफी या अस्थाई चरों में से एक के सजीव चित्रण द्वारा समय के अनुसार मानचित्र में परिवर्तन को दर्शाते हैं। सजीव वेब मानचित्रों के ग्राहक आधारित प्रदर्शन के लिये उपयुक्त प्रौद्योगिकियों में SVG एडोब फ्लैश, जावा क्विक टाइम इत्यादि प्रमुख हैं। वास्तविक समय एनिमेशन सहित वेब मानचित्रों में मौसम मानचित्र, वाह प्रबोधन तंत्र सम्मिलित हैं।
2.3 सहयोगी मानचित्र
इन मानचित्रों में विकासशील सम्भाव्यतया पाई जाती है। उपयुक्त या खुले स्रोत वाले सहभागी सॉफ्टवेयर में उपयोगकर्ता वेब मानचित्रण अनुभव के निर्माण एवं नवीनीकरण में सहयोग प्रदान करते हैं।
3.0 वेब आधारित भौगौलिक सूचना तंत्र
भौगोलिक सूचना तंत्र आधारित विकास के अगले चरण में वेब के विकास को दर्शाया गया है। वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र एक अनुप्रयोग है, जो वेब एवं अन्य इन्टरनेट तंत्र का प्रयोग स्थानिक सूचना को ज्ञात करने तथा उसके प्रक्रमण एवं प्रकार के लिये करता है। यह विश्लेषण के परिणामों को उपयोगकर्ताओं की विशाल संख्या को संचयन विश्लेषण एवं संचार की अनुमति प्रदान करता है तथा नीति निर्माताओं तक उपयुक्त आँकड़ों एवं निदर्शों को पहुँचाता है। यह इन्टरनेट एक्सप्लोरर जैसे वेब ब्राउजर के प्रयोग द्वारा प्रबन्धकों को निर्णय आधारित तंत्र को प्रदान करता है। यह What if विश्लेषण की सहायता करता है तथा परिणामों को समझने हेतु उपयोगकर्ता की सहायता करने में उपयुक्त यंत्र की सीमा भी प्रदान करता है। सारणी-1 में पारस्परिक एवं वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र की तुलना की गई है।
3.1 पारम्परिक भौगोलिक सूचना तंत्र पर वेब आधारित सूचना तंत्र के लाभ
पारम्परिक भौगोलिक सूचना तंत्र प्रौद्योगिकी के निम्न लाभ हैं -
1. इसका उपयोग विशाल संख्या में जनमानस के लिये सूचना प्रसार में उपयोग हेतु किया जा सकता है।
2. इसके अनुप्रयोग द्वारा परियोजना की लागत में कमी आती है, क्योंकि अनेक उपयोगकर्ताओं के प्रयोग हेतु केवल एक केन्द्रीय भौगोलिक सूचना तन्त्र सॉफ्टवेयर की ही आवश्यकता होती है। भौगोलिक सूचना तंत्र सूचना, वेब ब्राउजर द्वारा ग्राहकों तक पहुँच सकती है। ग्राहकों के संगणक पर अलग से जटिल सॉफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं है।
i. भौगोलिक सूचना तंत्र को कभी भी किसी भी स्थान पर प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि उसके लिये केवल इन्टरनेट की उपलब्धता की आवश्यकता होती है।
ii. आँकड़ों के सरल अनुरक्षण के लिये आँकड़ों का संचयन केन्द्रीय आँकड़ा वेयर हाउस में किया जा सकता है।
iii. कॉपीराइट युक्त भौगोलिक सूचना तंत्र आँकड़ों के स्थानान्तरण की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि भौगोलिक सूचना तंत्र फार्मेट में आँकड़ों के स्थानान्तरण की अनुमति नहीं दी जा सकती है तथा इन्टरनेट GIS अनुप्रयोग को प्रशासक द्वारा निर्धारित पैमाने पर इमेज फॉर्मेट में स्थानान्तरण कर सकते हैं।
iv. आँकड़ों के परिवर्तन किये जाने पर वितरित उपयोगकर्ताओं को परिवर्तित आँकड़े तुरन्त उपलब्ध हो जाते हैं।
v. आँकड़ों को अनेकों वितरित उपयोगकर्ताओं द्वारा एक साथ प्राप्त किया जा सकता है।
vi. उपलब्ध तंत्र, अन्तर्वेश, आउटपुट, संचलन विश्लेषण, सम्पादन, परिचालन सहित पूर्ण भौगोलिक सूचना तंत्र के रूप में कार्य करता है।
vii. कस्टमाइज अनुप्रयोग विकसित किया जाना सम्भव होने के कारण सूचनाओं को विशिष्ट पैमाने पर वितरित उपयोगकर्ताओं को समान समय पर उपलब्ध कराया जा सकता है।
vii. इसके अतिरिक्त इन्टरनेट क्षमताओं के प्रयोग द्वारा इन्टरनेट भौगोलिक सूचना तंत्र का प्रयोग भी सम्भव है। यद्यपि इसके उपयोग में निम्न सीमाएँ एवं प्रतिबंध किए गए हैं, जो निम्न हैं।
3. निष्पादन
4. तकनीक समाकलन
5. सुरक्षा एवं गोपनीयता
6. आँकड़ा स्थानान्तरण लागत
4.0 वेब भौगोलिक सूचना तंत्र के अनुप्रयोग
वेब भौगोलिक सूचना तंत्र, वेब आधारित वातावरण में स्थानिक सूचना प्रदर्शित करने के लिये स्थानीय प्रस्तुति का प्रयोग वृहत मात्रा में करता है। वेब आधारित भौगोलिक सूचना तंत्र, उपयोगी सूचना को प्राप्त करने के लिये सुदूूर क्षेत्रों से आँकड़ों को प्राप्त कर तथा उनके परिचालन एवं विश्लेषण की सुविधाएँ प्रदान करते हैं, तथा यह तंत्र नीति निर्माण में भी सहायता प्रदान करते हैं। वेब एवं इंटरनेट के लिये विकसित कुछ वेब-भौगोलिक सूचना तंत्र अनुप्रयोगों का वर्णन अगलेे खंडों में किया गया है।
4.1 वेब भौगोलिक सूचना तंत्र द्वारा बाँधों की सूचना
वेब भौगोलिक सूचना तंत्र के अनुप्रयोगों में स्थानिक आँकड़ों एवं उनकी विशिष्टताओं की जानकारी प्रदान करना एक प्रमुख उद्देश्य है। बाँधों के अतिरिक्त अन्य जलविज्ञानीय स्तरों पर स्थानिक आँकड़ों की आवश्यकता होती है। बाँध अनुप्रयोगों में प्रयोग किए जाने वाले थीमेटिक मानचित्रों में बेसिन, नदी एवं बाँध प्रमुख हैं। भारत में बाँधों एवं डायवर्जन, संरचनाओं के विशिष्ट गुणों की जानकारी विभिन्न प्रतिवेदनों, वेबसाइटों एवं पुस्तकों में उपलब्ध है। केन्द्रीय सिंचाई एवं शक्ति ब्यूरो (CBIP) एवं केन्द्रीय जल आयोग द्वारा विभिन्न प्रकाशन प्रस्तुत किए गए हैं। जो भारत में बाँध, डायवर्जन संरचनाओं एवं जल केन्द्रों इत्यादि के विशिष्ट गुणधर्मों की जानकारी प्रदान करते हैं। (CWC 2002, CBIP 1979, 2003)। अनुप्रयोगों को मानचित्र सर्वर एवं खुला स्रोत वेब भौगोलिक तंत्र पर विकसित किया गया है तथा ये सूचनाएँ इंटरनेट पर भी उपलब्ध हैं।
4.2 सूखा सूचकांक
सूखा अध्ययनों के अंतर्गत दिए गए SPI सूचकांक के लिये जिला स्तरीय वर्षा मानों को सारणीबद्ध किया जाता है जिसका प्रयोग दिए गए वर्षा मान के लिये SPI को ज्ञात करने हेतु किया जा सकता है। जिला स्तर पर वर्ष 1901 से 2002 तक मासिक अवक्षेपण आँकड़े, इण्डिया वाटर पोर्टल (http://www.indiawaterportal.org/metdat) पर उपलब्ध है यह संस्तुति की गई है, कि आँकड़े क्षेत्रीय अध्ययनों के लिये उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। (http://www.indiawaterportal.org/node/7160) इन दो प्राचलों के प्रयोग द्वारा विभिन्न समयान्तरालों (1,3,4,6,12,24 एवं 48 महीनों) के लिये 0.5 अन्तराल पर विभिन्न SPI मानों के सापेक्ष गामा वितरण एवं वर्षा मात्रा आंकलित की गई है। अनुप्रयोग में दिये गए SPI मानों के लिये जिला मानचित्र एवं वर्षा मानों की प्रस्तुति की गई है। अनुप्रयोगों को मानचित्र सर्वर एवं खुला स्रोत वेब भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रयोग द्वारा विकसित किया गया है, तथा इन्हें इंटरनेट पर उपलब्ध कराया गया है।
4.3 हिमालय से उद्गमित होने वाली नदियों के लिये वेब आधारित हिमाच्छादन सूचना तंत्र
हिमालय से उद्गमित होने वाले नदी बेसिनों में हिमगलन से प्राप्त जल संसाधनों की अधिकतम मात्रा पाई जाती है। हिमाच्छादित बेसिनों में हिम एवं हिमनद एक जलाशय के रूप में कार्य करते हैं। जहाँ जल को वर्षा ऋतु के पश्चात की अवधि में हिम के रूप में संचयित कर लिया जाता है तथा वर्षा ऋतु के पूर्व एवं वर्षा ऋतु के दौरान यह एकत्रित हिम गलित होकर नदी तंत्र में विशाल मात्रा में जल प्रवाह को जनित करता है। बेसिन में हिमाच्छादन एवं समय के साथ इसमें परिवर्तन को हिमाच्छादित मानचित्रों की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। हिमाच्छादन मानचित्रों को MODIS आँकड़ों के प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है। आँकड़ों का प्रक्रमण सामान्य अन्तर हिम सूचकांक (NDSI) एवं बैन्ड-2 आँकड़ों की सहायता से किया जाता है। हिमाच्छादित मानचित्रों को प्रक्रमित कर उन मानचित्रों में से चित्तीदार एवं लघु पिन्डों को दूर किया जा सकता है एवं प्रकृमित आँकड़ों को सदिश रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। सदिश आँकड़ों का प्रकाशन भू-सर्वर वेब भौगोलिक सूचना तंत्र सॉफ्टवेयर के प्रयोग द्वारा किया जा सकता है। खुले स्तर आधारित हिमाच्छादन वेब अनुप्रयोग को निर्मित कर उसे इन्टरनेट पर उपयोगकर्ताओं हेतु उपलब्ध कराया जा सकता है।
4.4 इन्डिया -WRIS (जल संसाधन सूचना तंत्र)
वेब भौगोलिक सूचना अनुप्रयोग (India WRIS) को केन्द्रीय जल आयोग, जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मन्त्रालय एवं भारत सरकार के द्वारा कार्यान्वित संयुक्त परियोजना के अन्तर्गत विकसित किया गया। यह अनुप्रयोग भारत के जल एवं प्राकृतिक संसाधनों पर आँकड़े एवं सूचनाओं को प्रदान करता है। अनुप्रयोग हेतु विभिन्न स्रोतों से आँकड़ों को एकत्र उन्हें मानक-स्वरूप में परिवर्तित करके इंटरनेट पर वेब GIS सॉफ्टवेयर के प्रयोग द्वारा प्रकाशित किया गया। उपलब्ध मुख्य स्थानिक आँकड़ों में बेसिन, जलविभाजक नदी, सतही जल पिंड, आवाह क्षेत्र एवं नहरें, जलदायक, भूजल, जल मौसम विज्ञानीय प्रेक्षण स्थल, जलवायु, भूजल, सामान्य बाढ़, जलगुणवत्ता, (भूजल एवं सतही जल), हिमाच्छादन/हिमनद, अन्तःबेसिन स्थानान्तरण, सूखा, भूमि उपयोग भू-आच्छादन इत्यादि मुख्य हैं। अनुप्रयोग को Arc GIS सर्वर एवं Arc SDE के अनुप्रयोग द्वारा विकसित किया गया। स्थानिक एवं विशिष्ट आँकड़ों को oracle RDBMS सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित किया गया। अनुप्रयोग को एक वेब ब्राउजर की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। तंत्र में तीन प्रकार के उपयोगकर्ताओं (सामान्य उपयोगकर्ता, प्रीमियम उपयोगकर्ता एवं CWC इंटरनेट उपयोगकर्ता) को परिभाषित किया गया है। सामान्य उपयोगकर्ता केेवल आँकड़ों को कम्प्यूटर पर देख सकते हैं। प्रीमियम उपयोगकर्ताओं को जल मौसम विज्ञानीय आँकड़ों के डाउनलोड सहित आँकड़ों को प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है। CWC इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं को आँकड़ों एवं अनुप्रयोग के लिये प्रबन्धन के पूर्व अधिकार प्राप्त होते हैं। इसके अतिरिक्त प्रकाशनों को वेब पर डाउनलोड करने के लिये भी उपलब्ध कराया गया है। जल संसाधन/सिंचाई परियोजनाओं से सम्बन्धित सूचनाओं को WRIS-WIKI पर उपलब्ध कराया गया है। wiki में परियोजनाओं की विशिष्टताओं एवं विस्तृत जानकारी तथा WRIS में उनके थीमेटिक मानचित्र प्राप्त किये जा सकते हैं।
4.4.1 जलाशय जानकारी
CWC द्वारा प्रबोधित एवं अन्य जल संसाधन परियोजनाओं की जानकारी प्रदान की गई है। राज्य, बेसिन, क्षेत्र, मौसम विज्ञानीय एवं सब डिविजन स्तर पर कुल एवं वर्तमान उपयोगी संचयन को CWC प्रबोधित परियोजनाओं से व्युत्क्रमित कर उन्हें ग्राफीय स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। सूचनाओं को अलग-अलग परियोजना के लिये भी प्रदर्शित किया गया है। जलीय एवं सुदूर संवेदी तकनीकों से किये गये जलाशय अवसादन सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त विस्तृत नवीनतम जलाशय क्षमता (सकल उपयोगी एवं वर्ष वार सर्वेक्षण) प्रदान की गयी है। साथ ही साथ विशिष्ट गुणधर्म भी प्रदान किये गये हैं। जलाशयों की दैनिक एवं मासिक क्षमता ग्राफीय स्वरूप में उपलब्ध है।
4.2.2 स्वचालित मानचित्र जनन
यह एक महत्त्वपूर्ण सुविधा है अध्ययन क्षेत्र के लिये मानचित्रों को बेसिन/उपबेसिन/जल विभाजक या राज्य/जिला स्तर पर चयनित विधि या समस्त विधियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। PDF मानचित्रों को A3/A4 आकार में जनित किया जा सकता है।
4.4.3 नवीनतम रिपोर्ट जनन
यह एक प्रमुख सुविधा है। जिसमें बेसिन/उपबेसिन स्तर पर मानक प्रतिवेदनों को जनित किया जा सकता है। प्रतिवेदन के अर्न्तगत मानचित्र बेसिन के अन्तर्गत सूचनाएँ प्रदान करते हैं। जल एवं प्राकृतिक संसाधनों पर मानचित्र, सारणी एवं ग्राफीय सूचनाएँ उपलब्ध होती हैं। इसमे FCC चित्रों को भी शामिल किया जाता है। (http:www.india/wris.nrsc.gov.in/weigs.php#app=a118p69f8-selectedindex=1)
4.5 भुवन (संस्कृत अर्थ पृथ्वी)
भुवन, ISRO द्वारा विकसित एक भू-पोर्टल है। इस भू-पोर्टल में भारतीय उपग्रह के सर्ववर्णिक आँकड़ों के प्रयोग द्वारा भारत वर्ष के विभिन्न चित्रों को प्राप्त किया जा सकता है। यह एक निःशुल्क वेब आधारित चित्रण तंत्र हैं, जिसे खुले स्रोत वेब GIS प्रौद्योगिकियों द्वारा विकसित किया गया है। (www.bhuvan.nrsc.gov.in)
4.5.1 पृथ्वी प्रक्षेप आँकड़ा प्राप्ति सुविधाएँ
उपयोगकर्ता, प्रमुख उपयोग के लिये उपग्रह आँकड़ों का चयन, ब्राउजिंग एवं स्वतन्त्र डाउनलोड चयनित कर सकते हैं। वर्तमान में भारतीय क्षेत्र के लिये Cartosat-1 DEM, Wifi, Ortho-56m resource Sat-I LISS-III, ortho 24 m इत्यादि आँकड़ा समूह डाउनलोड के लिये उपलब्ध हैं। आँकड़ा समूहों का चयन, सीमा बॉक्स, भारतीय सर्वेक्षण संस्थान मानचित्र, टाइल या ड्राईंग को प्रदान करके किया जा सकता है।
4.6 भुवन गंगा
यह भुुवन पर आधारित अनुप्रयोग है, जिसे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के लिये NRSC द्वारा विकसित किया गया। इस पोर्टल में गंगा बेसिन के लिये सभी भूस्थानिक स्तरों को समाहित किया गया। इस पोर्टल में सूचना को लगभग 1:5000 पैमाने पर प्रदर्शित किया जा सकता है। इस पोर्टल के अर्न्तगत बेसिन प्रशासन स्तर, जलविज्ञान स्तर, उपग्रह आँकड़ा दृश्य एवं इनके मिश्रण को प्रदर्शित करने के लिये विकल्प उपलब्ध हैं। प्रशासनिक स्तर के अन्तर्गत गाँव की सीमाएँ एवं गाँव के नाम, तहसील, जिले, भू-उपयोग आदि को प्रदर्शित किया गया। सूचना का प्रदर्शन पैमाने पर आश्रित है। इस पोर्टल के अन्तर्गत उपलब्ध विभिन्न स्तरों में बेसिन/उपबेसिन/जल विभाजक एवं नदियाँ, नहर तंत्र, जलग्रस्त क्षेत्र, निर्मित क्षेत्र/सड़कें (प्रदूषण के स्रोत), भू-उपयोग एवं आच्छादन, व्यर्थ भूमि, बाढ़ आपदा जोन (बिहार), वार्षिक बाढ़ स्तर (राज्यवार), मृदा (प्रवणता, गहराई, प्रकार, उत्पादकता), पर्यावरणीय आँकड़े (CWC बाढ़ पूर्वानुमान केन्द्र एवं मौसम विज्ञानीय स्थल, जल गुणवत्ता प्रयोगशालाएँ एवं भूजल गुणवत्ता कूपों की स्थितियाँ), TDS इत्यादि मुख्य हैं।
4.7 भुवन गंगा मोबाइल अनुप्रयोग
भुवन गंगा मोबाइल अनुप्रयोग को गंगा में प्रदूषण स्रोतों की सूचनाओं को एकत्र करने के लिये विकसित किया गया है। सूचना को शहरी सीवेज, अर्द्ध-शहरी या ग्रामीण सीवेज, प्राकृतिक नाला, औद्योगिक व्यर्थ जल, ठोस व्यर्थ, निकास इत्यादि के लिये एकत्रित किया गया। स्थानिक सूचना के एकत्रीकरण के लिये 10 मीटर ऊँचाई पर GPS शुद्धता बनाये रखने की संस्तुति की गई है। विशिष्ट गुणों में गाँव का नाम, उद्योग एवं अन्य जानकारियाँ प्रदान की गई है। औद्योगिक व्यर्थ जल के लिये विभिन्न उद्योगों जैसे रसायन, दुग्ध उद्योग, खाद्य उद्योग, कागज उद्योग, चीनी उद्योग, रंगाई उद्योग की जानकारी प्रदान की गई है। एकत्रित सूचना को भुवन सर्वर पर प्रदर्शित करने के लिये अपलोड किया जा सकता है।
4.8 ICIMOD द्वारा हिमालयन हिम
हिन्दु-कुश हिमालय में हिम सूचना के प्रदर्शन के लिये वेब-GIS अनुप्रयोग को विकसित किया गया है। इस तंत्र में क्षेत्र के लिये MOD10A2 एवं MYD10A2 के पश्च प्रक्रमण के लिये विकसित किये गये हिमाच्छादन मानचित्रों को प्रदर्शित किया जा सकता है। वर्ष 2010 के पश्चात के मानचित्र उपलब्ध हैं। अनुप्रयोगों dks ESRI ARC GID सर्वर 10 में विकसित किया गया। 92 बेसिनों के लिये बेसिन आधारित हिमाच्छान सांख्यिकीय सूचना भी उपलब्ध है। पोर्टल को http://apps.groportal.icimod.org/HKHSnowCover/index.htm# पर प्राप्त किया जा सकता है। औसत वार्षिक, मासिक, मौसमी हिम सांख्यिकीय सूचना भी प्राप्त की जा सकती है। उदाहरणतः सतलुज बेसिन में 2008 में औसत अधिकतम एवं न्यूनतम हिमाच्छादन के मान फरवरी एवं जुलाई में क्रमशः 1602.7 एवं 212.5 प्राप्त हुए।
4.9 जैव विविधता
यह भारत में जैव विविधता पर विस्तृत वेब GIS अनुप्रयोग है। इसकी पृष्ठभूमि में Google Earth, DEM, परिवहन तंत्र, शहर, कन्टूर इत्यादि प्रदर्शित किये गये हैं। भूग्राफीय मानचित्रों की दृश्यता को अधिकतम एवं न्यूनतम पैमाने के द्वारा नियन्त्रित किया गया है। सूचनाओं को विस्तृत प्रतिबिम्ब एवं वास्तविकताओं के अनुसार आयोजित किया गया। उदाहरणतः लैन्डमार्क वृक्षों पर आधारित सूचनाओं को प्रतिबिम्बों द्वारा प्रदर्शित किया गया। अनेकों जैव विज्ञानीय सूचनाओं को संरक्षण, भू-उपयोग, भू-आच्छादन इत्यादि में उपयोग किया गया।
4.10 उड़ीसा GIS
राष्ट्रीय सूचना केन्द्र भुवनेश्वर के GIS प्रभाग द्वारा 2001 की जनगणना के सांख्यिकीय आँकड़े एवं आर्थिक सांख्यिकीय निदेशालय (DES) द्वारा राज्य, जिला, ब्लॉक एवं ग्राम स्तर की सूचनाएँ प्रदान करने के लिये इस अनुप्रयोग को विकसित किया गया। अध्ययन के अन्तर्गत प्रयुक्त स्तरों का चयन किया गया एवं सारणीबद्ध सूचनाओं को प्रदर्शित किया गया। आँकड़े जिला स्तर पर उपलब्ध हैं। अन्य उपयोगी स्तरों में मृदा वन एवं नदियों की सूचनाएँ उपलब्ध हैं। मृदा स्तर का स्रोत भारतीय मृदा सर्वेक्षण संस्थान है।
4.11 उत्तर प्रदेश GIS
ग्राम स्तर तक की सूचना के प्रसार के लिये web GIS अनुप्रयोग को निर्मित किया गया। इस अनुप्रयोग के लिये 2001 जनसंख्या से प्राप्त विशिष्ट सूचनाओं का प्रयोग किया गया। प्राकृतिक संसाधन सूचना तंत्र के अन्तर्गत विभिन्न मानचित्रों को प्रदर्शित किया गया। इन मानचित्रों में वन, जल निकासी, नहर, मृदा, भूआकारिकी, भू-उपयोग, भूजल, जलविज्ञान, सड़क, रेल इत्यादि सम्मिलित हैं। web GIS से प्रतिबन्धित परिणाम प्राप्त होते हैं तथा इनके लिये रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है।
5.0 निष्कर्ष
वेब GIS स्थानीय सूचना के प्रसार एवं उनकी विशिष्टताओं एवं सम्बद्ध कार्यों के लिये उपयोगी है। प्राकृतिक अनुसंधान स्थानिक आँकड़ों के प्रदर्शन हेतु भारत में अनेकों महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग विकसित किये गये हैं। पारम्परिक रूप में स्थानिक आँकड़ों को GIS आँकड़ों के प्रसार के लिये तैयार किया जाता है। इस प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा सूचनाओं का प्रसार सरल हो गया है। वेब GIS सॉफ्टवेयर एवं अनुप्रयोग द्वारा स्थानिक आँकड़ों को प्रस्तुत किया गया है तथा वेब ब्राउजर के प्रयोग द्वारा उनका प्रदर्शन किया गया है। प्रौद्योगिकी, लघु दूरभाष यंत्रों तक भी पहुँच गई है। जहाँ इसका प्रयोग विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे बाढ़, आपदा एवं जल प्रदूषण के लिये किया जाता है। प्रौद्योगिकी के प्रयोग द्वारा सूचना का विश्लेषण भी सम्भव है। इसके अतिरिक्त प्रौद्योगिकी के विकास के लिये, संकल्पीकरण, स्थानीय एवं विशिष्ट आंकड़ों की उपलब्धता हेतु वेब GIS सॉफ्टवेयर में विकास हेतु प्राकृतिक संसाधन अनुप्रयोग को विकसित करने की आवश्यकता होगी।
सन्दर्भः
1. ICIMOD पर्वतीय भू पोर्टलः ‘मॉनिटरिंग एवं असेसमेन्ट ऑफ स्नो कवर इन HKH, http://apps.geoportal.icimod.org/hkhsnowcover/index.html
2- INDIA-WRIS वेब जी.आई.एस., वाटर रिसोर्सेज इन्फॉर्मेशन सिस्टम ऑफ इंडिया, http://india-wris.nrsa.gov.in/wris.html
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