RO हर जगह नहीं OK

Submitted by admin on Sat, 07/24/2010 - 14:30

नई दिल्ली।। चाहे ऊंची कीमत चुकानी पड़े, घर में पीने का पानी प्योर होना चाहिए - यह सोचकर दिल्ली में बड़ी तादाद में लोग आरओ (रिवर्स ऑसमोसिस) सिस्टम लगवा रहे हैं। आरओ आम तौर पर महंगा है, तो आम आदमी को लगता है कि यह खास प्योरिफायर होगा और किसी भी हद तक की गंदगी या खारेपन को खत्म कर देगा। हकीकत यह है कि दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में इसकी जरूरत नहीं है। यहां बता दें कि पानी की जांच कराए बिना आरओ लगवाना सेहत के लिए नुकसानदेह है।

जानकारों के मुताबिक, आरओ सिस्टम पानी में मौजूद टीडीएस को कम करके 10 पर्सेंट तक कर देता है। अगर पानी में टीडीएस 1200 एमजी/ लीटर है तो आरओ से 120 एमजी/ लीटर तक हो जाएगा। इस तरह ज्यादा टीडीएस की वजह से जो पानी हम नहीं पी सकते थे वह पीने लायक बन जाएगा। लेकिन दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में लोग जल बोर्ड का पानी इस्तेमाल करते हैं, जहां टीडीएस लेवल सही है। अगर इस पानी में हम आरओ तकनीक इस्तेमाल करते हैं तो टीडीएस लेवल घटकर बेहद कम हो जाता है जो पीने लायक पानी को ज्यादा हानिकारक बनाता है। यानी जल बोर्ड के पानी को साफ करने के लिए आरओ की जरूरत नहीं है।

राजीव कुमार (बदला हुआ नाम) ने बड़ी उम्मीदों से घर में आरओ लगवाया था। उन्होंने बताया कि आरओ लगाने वाली कंपनी ने हमें सिस्टम लगाने से पानी के टीडीएस पर फर्क पड़ने के बारे में कुछ नहीं बताया। हाल ही में जब कंपनी की तरफ से आरओ चेक करने के लिए इगेक्युटिव आया, तब पता चला कि उसका टीडीएस महज 45-50 तक पहुंच गया है। इस तरह जो तकनीक हम साफ पानी पाने के लिए यूज कर रहे थे, वही हमारे पानी को खराब कर रही थी।

हैजर्ड सेंटर के डायरेक्टर डूनू रॉय कहते हैं कि लंबे वक्त तक कम मिनरल वाला पानी पीने से शरीर में जरूरी मिनरल्स की कमी हो सकती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक अगर पीने के पानी में मिनरल्स की कमी है तो उस कमी को अच्छा खाने से भी पूरा नहीं किया जा सकता।

फोर्टिस हॉस्पिटल में ऑथोर्पेडिक कंसलटेंट डॉ. कौशलकांत मिश्रा कहते हैं कि जब पानी से मिनरल का कंटेंट कम होता है तो उसकी वजह से बॉडी में मिनरल की कमी हो जाती है। तब हड्डी में जमा मिनरल निकलकर बॉडी के मिनरल लेवल को मेंटेन करने की कोशिश करते हैं। इससे हड्डियों में कमजोरी आ सकती है और मिनरल के बिगड़े संतुलन की वजह से हॉर्मोन्स का संतुलन भी बिगड़ सकता है।

 

 

कितना हो टीडीएस*


सबसे सही
400-500 एमजी/ लीटर
अधिकतम सीमा

1000 एमजी/ लीटर तक
(इससे ज्यादा टीडीएस पर आरओ ठीक)

कम से कम

80 एमजी/ लीटर तक
(इससे कम टीडीएस भी नुकसानदेह)

दिल्ली जल बोर्ड के पानी में
400 एमजी/ लीटर औसतन
(इस पानी में आरओ की जरूरत नहीं)

* टीडीएस पानी में घुले मिनरल हैं। इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम बाइकाबोर्नेट्स, क्लोराइड्स और सल्फेट्स आते हैं। थोड़ी मात्रा में ऑगेर्निक मैटर भी होते हैं।