साफ़ हवा और पानी के लिए हाईकोर्ट का आसरा

Submitted by Hindi on Thu, 06/11/2015 - 10:23

आप मेघनगर आ रहे हैं तो अपने पीने का पानी साथ लेकर आयें, फ़ोन पर पहली बार यहाँ के लोगों की यह बात सुनकर हम भी सकते में पड़ गए कि आखिर ऐसा क्यों कहा गया हमसे। कोई भी कहीं जाता है तो क्या अपना पानी साथ लेकर जाता है। क्या वहाँ इतना पानी भी नहीं या ये लोग मेहमाननवाज़ी का शिष्टाचार भी भूल गए हैं। पर जब हम मेघनगर पहुँचे तो सारी बात साफ़ हो गई। दरअसल यहाँ की आबो-हवा इतनी बुरी तरह से दूषित हो चुकी है कि न साफ़ पानी बचा है और न ही साँस लेने भर को शुद्ध हवा। ये सब हुआ है यहाँ लगे कुछ कल-कारखानों की वजह से।

मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के मेघनगर कस्बे के प्रभावित लोग अब इसके खिलाफ एकजुट होकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। यहाँ औद्योगिकीकरण के चलते नित नई फैक्ट्रियाँ लग रही हैं। इनसे निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों ने यहाँ की आबो-हवा में जहर घोल दिया है। एक तरफ हवा में जहर घुल रहा है तो दूसरी तरफ इनके हानिकारक प्रभावों से जमीन के अंदर का पानी भी बुरी तरह प्रदूषित हो चुका है। ट्यूबवेलों का पानी इतना दूषित हो गया है कि इसे पीना तो दूर अन्य किसी उपयोग में भी नहीं लिया जा सकता। यहाँ तक कि जानवर भी इसे नहीं पी पाते हैं। कुछ जगह पीला पानी आता है तो कुछ जगह लाल पेट्रोल की तरह। इस पानी का पीएच और टीडीएस मानक मानदंडों से काफी ज्यादा है और भूगर्भीय वैज्ञानिकों के मुताबिक इसे पीने योग्य कतई नहीं माना जा सकता। प्लास्टिक की बोतल में भरे यहाँ के पानी और पेट्रोल में फर्क कर पाना भी मुश्किल है और वह भी बदबूदार। इसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने कलैक्टर से लेकर सीएम तक की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। किसी फैक्ट्री से लाल रंग का अपशिष्ट नालियों में बहाया जा रहा है तो किसी से पीले रंग का। लोग बताते हैं कि कुछ फैक्ट्रियों में तो अपशिष्ट को लोगों की नजर से बचाने के लिए सीधे बोरिंग में उतारा जा रहा है। इसी वजह से इलाके का भूमिगत जल प्रदूषित हो चुका है।

स्थानीय रहवासी बताते हैं कि इस कारण मेहमानों ने हमारे यहाँ आना भी काफी कम कर दिया है। कुछ आते भी हैं तो बदबू की वजह से उन्हें नाक पर रुमाल रखना पड़ता है। यहाँ तक कि इसका असर हमारे बच्चों के ब्याह-शादी पर भी पड़ रहा है। लोग यहाँ रिश्तेदारी जोड़ने से कतराने लगे हैं। कोई आता है तो जल्दी ही लौटना चाहता है। आश्चर्य है कि पानी की जाँच में सैम्पल प्रदूषित साबित होने के बाद भी जिम्मेदार अफसर कोई कार्रवाही नहीं कर रहे हैं। हमने इस सम्बन्ध में प्रदूषण नियामक बोर्ड इन्दौर के अधिकारी से बात करना चाही तो उन्होंने मेघनगर की बात आते ही फोन बंद कर लिया।

नगर परिषद अध्यक्ष ज्योति नटवर बामनिया ने बताया कि गर्मी की वजह से परेशानियाँ और बढ़ गई है। अब शहर को पाट नदी के पास रसोड़ी गाँव से 3 लाख लीटर पानी हर दिन मिलने की उम्मीद है। फिलहाल हम एकेवीएन से खरीद कर शहर को साफ़ पानी पीने के लिए उपलब्ध करा रहे हैं, जो काफी महँगा है। हर दिन करीब 6 हजार रूपये का पानी खरीदा जा रहा है। इसे भी बढ़ाकर साढे सात हजार रूपये करने की बात की जा रही है। उधर रहवासी बताते हैं कि 20–20 दिनों में तो कभी 8-10 दिनों में पानी उपलब्ध हो पा रहा है। एक बोरिंग का पानी दूषित होने के बाद स्थिति भयावह हो गई है। अगर यहाँ का पानी दूषित नहीं होता तो हर तीसरे दिन पर्याप्त पानी बाँटा जा सकता था।

डॉक्टरों के मुताबिक़ यहाँ की हवा और पानी में मौजूद कैमिक्ल लोगों को बीमार कर रहे हैं। लोग तरह–तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं। यहाँ का पानी और हवा दोनों का मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।

अब प्रदूषण के खिलाफ यहाँ के लोगों ने एकजुट होकर हाईकोर्ट जाने का मन बना लिया है। आशय जैन ने बताया कि इन खतरनाक फैक्ट्रियों के पास ही छोटे–छोटे बच्चों का स्कूल है, इससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। कभी गैस रिसाव की कोई घटना हुई तो सबसे पहले बच्चे ही उसके शिकार होंगे। इसीलिए अब हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर हम जीने का अधिकार माँगेंगे। याचिका में लोगों की बिगड़ती सेहत, पानी के दूषित होने तथा वातावरण को हो रहे नुकसान को मुख्य रूप से मुद्दा बनाया गया है।

उधर कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लेकर विरोध की राजनीति शुरू कर दी है। 4 जून को कांग्रेस के बड़े नेताओं ने यहाँ धरना दिया। उन्होंने राज्य सरकार पर इस मामले में उद्योगपतियों के साथ देने और हजारों लोगों की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है।

भाजपा सांसद दिलीप सिंह भूरिया ने कहा कि यदि कोई फैक्ट्री इस तरह कर रही है तो उन्हें बख्शा नहीं जायेगा पर कांग्रेस इस मुद्दे पर लोगों को भड़का रही है। उन्होंने बताया कि अभी यहाँ और भी फैक्ट्रियाँ लगेगी। जल्दी ही यूरिया का प्लांट भी शुरू होगा। फैक्टरियों में ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं और प्रदूषण बोर्ड की मंजूरी के बाद ही प्लांट लगता है। यदि फिर भी जरूरी हुआ तो सरकार खुद यहाँ ट्रीटमेंट प्लांट लगा सकती है। ऐसे विरोध से मेघनगर का औद्योगिक विकास कैसे होगा।

लेखक से सम्पर्क : 11 – ए, मुखर्जी नगर, पायोनियर स्कूल चौराहा, देवास म.प्र 455001, मो.नं. 9826013806