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जल चेतना तकनीकी पत्रिका, जनवरी 2014

वर्तमान में भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा वर्षाजल के संरक्षण हेतु अनेक बिन्दुओं पर कार्य किया जाता रहा है जिसमें घरों की छतों पर गिरकर व्यर्थ बहने वाले वर्षाजल का एकत्रीकरण एवं संरक्षण प्रमुख है। वर्षा का जल नालियों के द्वारा बहकर नदियों के माध्यम से समुद्र में जाकर जमा हो जाता है जो वाष्पित होकर उस क्षेत्र में वर्षा कराने में सहायक होता है जहाँ वर्षा की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत खेत-खलिहान व आबादी क्षेत्र वर्षा से वंचित रह जाता है। यदि केवल शहरी क्षेत्रों में घरों एवं व्यावसायिक भवनों की छत पर गिरने वाले वर्षाजल को एकत्र कर जमीन के अन्दर पहुँचा दिया जाये तो जमीन के अन्दर पानी की भरपूर मात्र हो जाएगी जो हैण्डपम्प, बोरिंग वेल आदि को सूखने नहीं देगी। बेकार में बहकर बर्बाद हो रहे वर्षाजल को एकत्र कर जमीन में डालकर इसका संरक्षण करना एक सराहनीय एवं अतिआवश्यक कदम है। राज्यों के सहयोग की इस कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो जाती है क्योंकि भवन निर्माण की नियमावली को लागू कराना राज्य की जिम्मेदारी है।
परन्तु आज के वास्तविक हालात यह हैं कि शहरी क्षेत्रों में होने वाले भवन निर्माण में वर्षाजल के संरक्षण की अनिवार्यता के बजाय राज्य सरकारें इस ओर अपना ध्यान नहीं दे पा रही हैं। साथ ही शहरों के वर्तमान में उपलब्ध जलस्रोत समाप्त होने के कगार पर आ गए हैं। वर्तमान में लागू नीति के अन्तर्गत सभी आवसीय एवं व्यावसायिक भवनों में नक्शा पारित करते समय यह निर्धारित एवं सुनिश्चित किया जाता है कि भवन निर्माण के साथ-साथ छतों पर गिरने वाले वर्षाजल को बेकार बहने देने के बजाय उसके जमीन में संचयन की व्यवस्था की जाएगी। ऐसा न होने पर जुर्माने आदि का भी प्रावधान है। परन्तु इस महत्त्वपूर्ण विषय की अनदेखी कर अमूल्य जल को बर्बाद किया जा रहा है। महानगरों में लाखों रुपए खर्च कर पानी के टैंकरों से गली मुहल्लों में पीने के पानी की सप्लाई तो की जा रही है परन्तु वर्षाजल के संरक्षण के उपायों पर ध्यान न देकर मूल समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सभी नागरिकों को भी चाहिए कि अपने वर्तमान आवासों में भी सम्भव हो सके तो वर्षाजल तथा दैनिक उपयोग के उपरान्त बहने वाले पानी के संरक्षण के लिये व्यापक उपाय करें।

वर्तमान में आवश्यक रूप से सभी आवसीय एवं व्यावसायिक भवनों के वर्षाजल के संचयन के लिये वर्षाजल को एकत्र करने हेतु रिचार्ज कुओं के निर्माण को आवश्यक बनाया जाये। जिन भवनों में रिचार्ज कुओं का निर्माण नहीं किया जाता है उन भवनों का नक्शा स्वीकृति रद्द कर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। गैर-सरकारी एवं सामाजिक संस्थाओं को रिचार्ज कुओं के निर्माण के लिये आमजन को जागरूक करना इस ओर एक बेहतर कदम साबित हो सकता है। यहाँ तक कि गैर-सरकारी संस्थाएँ, राजनैतिक दल, कारपोरेट क्षेत्र एवं खाप पंचायतें भी वर्षाजल संरक्षण के प्रति सक्रियता दिखाकर इस ओर भी जागरुकता फैलाएँ। हम सभी को चाहिए कि चर्चा के साथ-साथ एक कदम बढ़ाएँ और आज से ही वर्षाजल एवं दैनिक प्रयोग के व्यर्थ बहने वाले जल को संरक्षित करने का काम करें।
संपर्क- आशीष सैनी ए-12, 13, सरस्वती विहार सुनहरा रोड़, रुड़की हरिद्वार - 247667, उत्तराखण्ड