शहरों के कायाकल्प के उपाय

Submitted by Shivendra on Wed, 09/11/2019 - 11:26
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योजना, अगस्त 2019

भारत में शहरीकरण की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। पिछली जनगणना 2011 के अनुसार 37.7 करोड़ लोग (31.2 प्रतिशत आबादी) शहरी क्षेत्रों में रह रहे थे। अनुमान है कि यह संख्या 2031 तक 60 करोड़ और 2051 तक 80 करोड़ तक पहुँच जाएगी (उच्चाधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (एचपीईसी), 2011)। शहरीकरण अपरिहार्य है और आबादी वाले उपनगरीय क्षेत्रों/बाहरी इलाकों में बेतहाशा वृद्धि हुई है, परन्तु इसके विपरीत शहरी बुनियादी ढाँचे में अन्तराल के साथ नागरिक सेवाओं का वितरण गम्भीर रूप में पिछड़ रहा है।
 
‘इंडियाज अर्बन अवेकनिंगः बिल्डिंग इनक्लूसिव सिटीज, सस्टेनिंग इकोनॉमिक ग्रोथ (2011)’ (अर्थात शहरों के प्रति भारत की जागरूकताः समावेशी शहरों का निर्माण, स्थाई आर्थिक विकास) शीर्षक से मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को शहरी बुनियादी ढाँचे में कम पूँजी निवेश की गम्भीर चुनौती का सामना करना पड़ता है, जो 17 अमरीकी डॉलर प्रति व्यक्ति है जबकि इसकी तुलना में समान स्तर के अन्य देशों में यह लगभग 100 अमरीकी डॉलर प्रति व्यक्ति है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि भारत को इस क्षेत्र में 2030 तक 12 खरब अमरीकी डॉलर (2009-10 की कीमतों के अनुसार 54 लाख करोड़ रुपए) के निवेश की आवश्यकता होगी, जिसमें से आधी राशि पिछले वर्षों के बैकलॉग कार्यों के लिए अपेक्षित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008 में, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में शहरी क्षेत्र का योगदान 58 प्रतिशत था और कर राजस्व में शहरों का योगदान 80 से 85 प्रतिशत के बीच था।

एक दशक के लिए 10 सूत्री विजन के साथ 2019-20 के बजट का उद्देश्य भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना है। सरकार ने इसी इच्छा के साथ अगले पाँच वर्षों में लगभग 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश भारत के बुनियादी ढाँचे में करने की घोषणा की है ताकि अपेक्षित धन की व्यवस्था की जा सके। पहली बार बजट में 130 करोड़ भारतीयों की आस्था, विश्वास और आकांक्षाओं के साथ अगले पाँच वर्षों में अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर तक ले जाने के लिए एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

 शहरी नवीकरण मिशन

2014 के बाद से सरकार ने लोगों के जीवन में युगान्तरकारी परिवर्तन लाने के लिए समावेशी, सहभागितापूर्ण और सुदृढ़ दृष्टिकोण के साथ योजनाबद्ध और व्यवस्थित शहरी विकास के सबसे व्यापक कार्यक्रमों में से एक कार्यक्रम अपनाते हुए उसके अन्तर्गत विभिन्न प्रमुख मिशन शुरू किए। इससे न केवल वित्तिय प्रतिबद्धताओं और धन के आवंटन में पर्याप्त वृद्धि हुई, बल्कि सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह रही कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए ‘सबका साथ, सबका विकास’ के शक्तिशाली मंत्र ने नीति निर्धारकों को, नागरिकों का जीवन सुगम बनाने वाली नीतियाँ बनाने के लिए प्रेरित किया। इसे नीचे वर्णित सरकार के तीन स्तरीय दृष्टिकोण में देखा जा सकता है। प्रथम स्तर पर स्वच्छता, सस्ते आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन के मुद्दों का समाधान करने के लिए सभी 4300 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम-यू), प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम) जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए। दूसरे स्तर पर, सबके लिए जल आपूर्ति, सीवरेज/सेप्टेज सुविधाओं के विस्तार में पर्याप्त बढ़ोत्तरी के प्रावधान पर अपेक्षित ध्यान केन्द्रित किया गया, जिसके लिए 500 शहरों (1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले) को अमृत योजना यानी अटल शहर नवीकरण और कायाकल्प मिशन के तहत कवर किया गया। अंततः नगर चुनौती पद्धति अपनाते हुए 100 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) शुरू किया गया, जिसका लक्ष्य मूलभूत ढाँचे में सुधार और आईसीटी (सूचना संचार प्रौद्योगिकी) क्षमताओं का उपयोग करते हुए जीवन को बेहतर गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए सम्बद्ध शहरी सेवाएँ प्रदान करना था। अधिकांश योजनाएँ सहभागी दृष्टिकोण और नागरिकों की भागीदारी के साथ डिजाइन की गई। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) जैसे कार्यक्रम एक ‘जन आन्दोलन’ बन गए, जिन्हें बहुत ही कम समय में उल्लेखनीय सफलता मिली।
 
अधिक बजटीय सहायता और धन उपलब्धता

शहरी बुनियादी ढाँचे के लिए अपेक्षित उच्चतर वित्त पोषण के महत्त्वपूर्ण मुद्दे का समाधान बजटीय आवंटन में पर्याप्त वृद्धि के जरिए किया गया। 2004-05 से 2013-14 तक 10 साल की अवधि में आवंटित 158164 करोड़ रुपए की तुलना में अगले छह वर्षों के दौरान यानी 2014 के बाद (वर्तमान वर्ष के अनुमान सहित) 268455 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। 10 साल की पूर्ववर्ती अवधि के दौरान वार्षिक औसत बजटीय आवंटन लगभग 15800 करोड़ रुपए था, जिसे महत्त्वपूर्ण बढ़ोत्तरी के साथ 44000 करोड़ रुपए (अतिरिक्त बजटीय संसाधनों (ईबीआर सहित) पर पहुँचाया गया अर्थात इसमें लगभग 3 गुना वृद्धि की गई। 2019-20 के बजट में विभिन्न शहरी मिशनों के लिए 48032 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ ही ईबीआर तंत्र के माध्यम से पीएमएवाई के वित्त पोषण के लिए लगभग 20 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त प्रावधान का प्रस्ताव है, यानी कुल 68 हजार करोड़ रुपए से अधिक धन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
 
5 ट्रिलियन अमरीकी डालर मूल्य की अर्थव्यवस्था की दिशा में भारत के बढ़ते कदम : शहरों की अगुवाई में विकास
 
एक दशक के लिए 10 सूत्री विजन के साथ 2019-20 के बजट का उद्देश्य भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना है। सरकार ने इसी इच्छा के साथ अगले पाँच वर्षों में लगभग 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश भारत के बुनियादी ढाँचे में करने की घोषणा की है ताकि अपेक्षित धन की व्यवस्था की जा सके। पहली बार बजट में 130 करोड़ भारतीयों की आस्था, विश्वास और आकांक्षाओं के साथ अगले पाँच वर्षों में अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर तक ले जाने के लिए एक निश्चित लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
 
2019-20 का बजट यह रेखांकित करता है कि सरकार शहरीकरण को एक अवसर के रूप में देखती है, न कि एक चुनौती के रूप में। मैकिन्से की रिपोर्ट (2010) बताती है कि भारत में शहरीकरण से वर्ष 2030 तक बहुत बड़े अवसर पैदा होंगे, क्योंकि सकल घरेलू उत्पाद में 70 प्रतिशत, कुल कर राजस्व में 85 प्रतिशत और रोजगार के नए नविल अवसरों में 70 प्रतिशत योगदान शहरों का होगा। इसके अलावा यह देखा गया है कि समावेशी विकास हासिल करने में शहरों का योगदान है क्योंकि वे ग्रामीण और शहरी अंतराल को दूर करते हैं। मैकिन्से की रिपोर्ट के अनुसार शहरों के करीब रहने वाली लगभग 20 करोड़ ग्रामीण आबादी को शहरी क्षेत्रों में नौकरियों, बाजारों और बुनियादी ढाँचे तक बेहतर पहुँच कायम करने के लाभ प्राप्त होंगे। ऐसे लोगों की आमदनी ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की औसत आय से अधिक होगी।
 
शहरी कायाकल्प के लिए निवेश
 
विभिन्न प्रमुख शहरी कार्यक्रमों के शुभारम्भ के बाद से अब तक करीब 162165 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता जारी की गई है। यह सहायता 2014-19 की अवधि के दौरान मुख्य रूप से मेट्रो परियोजनाओं, पीएमएवाई-यू, अमृत, एएमआरयूटी, एससीएम और एसबीएम के लिए जारी की गई। परन्तु इन परियोजनाओं के अन्तर्गत निवेश, सम्बन्धित परियोजाओं की अनुमोदित लागत के अनुसार 1045076 करोड़ रुपए है, जिसमें राज्यों/शहरी स्थानीय निकायोंध लाभार्थियों और सरकारी निजी-भागीदारी वाली परियोजनाओं का योगदान शामिल है। इसलिए यह स्पष्ट है कि शहरी बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए केन्द्रीय सहायता लगभग साढ़े छह गुना निवेश पैदा कर रही है। बुनियादी ढाँचे में 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश में शहरी क्षेत्रों के विकास में निवेश की भागीदारी बहुत बड़ी है। इससे अगले 5 वर्षों में देश के सकल घरेलू उत्पाद और कर राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को 50 खरब अमरीकी डॉलर मूल्य का बनाने में मदद मिलेगी। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि इस तरह के निवेश भारत के भावी आर्थिक विकास के लिए न केवल आवश्यक हैं, बल्कि परिहार्य हैं।
 
शहरों को जोड़ने वाली मेट्रो परियोजनाएँ
 
बजट 2019-20 में संचार या कनेक्टिविटी को देश में अर्थव्यवस्था का जीवनाधार कहा है। सरकार की मेट्रो रेल नीति, 2017 का उद्देश्य ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (संचार उन्मुखी विकास) और लैंड वैल्यू कैप्चर फाइनेंस (भू-मूल्य लाभ प्राप्ति) आदि के माध्यम से अधिक-से-अधिक निजी भागीदारी और नवीन वित्तपोषण का उपयोग करते हुए अन्तिम मील कनेक्टिविटी के साथ मेट्रो रेल प्रणाली की व्यवस्थित योजना और कार्यान्वयन पर ध्यान केन्द्रित करना है। बजट 2019-20 में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 के दौरान 210 किलोमीटर मेट्रो लाइनों को परिचालित किया जाएगा और 300 किलोमीटर की नई मेट्रो रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी जाएगी। इसके साथ ही, देश के 18 शहरों में अब तक कुल 657 किलोमीटर मेट्रो रेल नेटवर्क चालू हो गया है और 27 शहरों में 873 किलोमीटर की मेट्रो परियोजनाएँ कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है।
 
बजट में प्रस्तावित किया गया है कि सरकारी-निजी-भागीदारी (पीपीपी) को प्रोत्साहित करते हुए और अनुमोदित परियोजनाओं की पूर्णता सुनिश्चित करते हुए मेट्रो रेल नेटवर्क को बढ़ाया जाएगा और साथ ही मार्गस्थ केन्द्रों के आस-पास वाणिज्यिक गतिविधि सुनिश्चित करने के ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (संचार उन्मुखी विकास) को प्रोत्साहित किया जाएगा। दिल्ली और मेरठ के बीच 30274 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 82 किमी लम्बे मार्ग पर प्रथम क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) गलियारे के लिए काम शुरू हो गए हैं।
 
‘मेक इन इंडिया’ के लिए मेट्रो सहायता

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने देश में मेट्रो रेल सिस्टम के देशीकरण के लिए ठोस प्रयास किए हैं। मंत्रालय ने निर्धारित किया है कि किसी भी निविदा के तहत खरीदे जाने वाले न्यूनतम 75 प्रतिशत कोच भारत में निर्मित होने चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) द्वारा स्वदेशी रूप से अत्याधुनिक चालक रहित रेलगाड़ियों का निर्माण किया जाएगा, जिसे हाल ही में मुम्बई मेट्रो रेल कॉरिडोर के लिए 378 मेट्रो कारों के निर्माण के लिए 3015 करोड़ रुपए का अनुबंध मिला है। यह हाल के दिनों में मेट्रो रेल कोचों के सबसे बड़े अनुबंधों में से एक है।
 
एक राष्ट्र एक कार्ड

मार्च 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा परिवहन के लिए नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड के आधार पर शुरू किए गए भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित भुगतान इको सिस्टम की चर्चा बजट भाषण में की गई। इसमें ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसीएस) और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) शामिल हैं, जिन्होंने ‘एक राष्ट्र एक कार्ड’ की नींव रखी है। यह कार्ड सभी प्रकार के पारगमन के साथ-साथ खुदरा प्रणालियों में उपयोग करने योग्य है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त इस प्रणाली के साथ भारत उन गिने-चुने राष्ट्रों में शामिल हो गया है, जिनके पास पूर्ण भुगतान इको-सिस्टम है, जिसमें निर्यात की विपुल क्षमता है।
 
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) स्वच्छ और स्वस्थ भारत

बजट में एसबीएम-यू के तहत हासिल की गई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 24 राज्यों और 95 प्रतिशत से अधिक शहरों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है। ठोस कचरा प्रबन्धन में देश के 90 प्रतिशत वार्ड अब ‘घर-घर जाकर कचरा एकत्र करने की व्यवस्था’ के अन्तर्गत आ चुके हैं और 56 प्रतिशत कचरे को वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जा रहा है।
 
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 ने स्वास्थ्य संकेतकों पर बेहतर स्वच्छता के प्रत्यक्ष प्रभाव का विश्लेषण किया है और बताया है कि ओडीएफ बनने से डायरिया और मलेरिया के कारण होने वाली मौतों में कमी आई है, विशेष रूप से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों, नवजात शिशुओं आदि, में यह प्रवृत्ति परिलक्षित होती है। इसके अलावा घरेलू शौचालयों से सबसे निर्धन व्यक्तियों के लिए मकान की वित्तीय लागत में बचत 2.4 गुना से अधिक हो गई है। विश्व बैंक के एक अध्ययन में कहा गया है कि अपर्याप्त स्वच्छता से भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6.4 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है। महात्मा गाँधी के लिए स्वच्छता सर्वोपरि थी। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय 2 अक्टूबर 2019 को जब राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयन्ती मना रहा होगा, उससे पहले भारत को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

हर घर जल : अमृत

नीति आयोग के अनुसार, भारत जल संकट का सामना कर रहा है, जिसकी करीब 50 प्रतिशत आबादी पानी की अत्यधिक कमी का सामना कर रही है। 2019-20 के बजट में इस बात पर बल दिया गया है कि भारत की जल सुरक्षा सुनिश्चित करना और सभी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। देश भर में स्थाई जल आपूर्ति प्रबन्धन के लिए नवगठित जल शक्ति मंत्रालय का जल जीवन मिशन अन्य योजनाओं के साथ समन्वय करेगा।
 
अमृत योजना जून 2015 में देश भर के 500 शहरों में शुरू की गई थी। इसमें जल आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज और सीवरेज और सेप्टेज कवरेज को 31 प्रतिशत से बढ़ाकर 62 प्रतिशत करने की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत, सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए 77640 करोड़ रुपए की राज्य वार्षिक कार्य योजनाएँ (एसएएपीज) मंजूर की गई हैं, जिनमें से 64761 करोड़ रुपए की परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं और 4163 करोड़ रुपए की परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं। अब तक 58.52 लाख पानी के नल लगाए गए हैं और 36.96 लाख सीवर कनेक्शन जोड़े गए हैं।
 
जल संरक्षण को प्रोत्साहन : जन आन्दोलन

मंत्रालय ने जल शक्ति अभियान शुरू किया है ताकि जल संरक्षण को एक ‘जन आन्दोलन’ का रूप दिया जा सके, जिसके चार प्रमुख क्षेत्र हैः क) वर्षा जल संचयन, ख) उपचारित ग) जल निकायों का कायाकल्प और घ) वृक्षारोपण। 756 शहरी स्थानीय निकायों की पहचान पानी की कमी वाले क्षेत्रों के रूप में की गई है। उन्हें वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण के लिए भवन-निर्माण कानूनों को लागू करने, उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिए उपाय करने, कम-से-कम एक जल निकाय को पुनर्जीवित करने और वृक्षारोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

ऊर्जा की बचत

बजट 2019-20 में सतत ऊर्जा उपयोग सुनिश्चित करने और एलईडी बल्बों का उपयोग बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया गया है अमृत योजना के तहत, 62 लाख स्ट्रीट लाइटों को एलईडी लाइटों से बदल दिया गया है, जिसके कारण कार्बन उत्सर्जन में 10.85 लाख टन की कमी आई है।
 
स्मार्ट शहर अभियान
 
स्मार्ट शहर अभियन-एससीएम के कार्यान्वयन के चार साल पूरे होने के साथ ही, सभी स्मार्ट शहरों ने विभिन्न परियोजनाओं को लागू करने में गति पकड़ी है। एससीएम ने न केवल स्मार्ट बनने के लिए शहरों के बीच एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है, बल्कि जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए महत्वाकांक्षी भारत की नींव रखी है। 5 साल में 2,05,018 करोड़ रुपए की लागत वाली 5,151 परियोजनाओं को निष्पादित करने का प्रस्ताव किया गया था। इनमें से 65 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएँ कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। कुछ नवीन परियोजनाओं में एकीकृत कमान और नियंत्रण केन्द्र (आईसीसीसी), स्मार्ट गलियांध्सड़कें, पब्लिक बाइक शेयरिंग, स्मार्ट सोलर एनर्जी, स्मार्ट पोल, स्मार्ट वाटर मीटर, एकीकृत स्मार्ट ट्रैफिकध्मार्ग प्रबन्धन आदि शामिल हैं। ये अनूठी पहले देश भर में शहरी परिदृश्य बदल रही हैं।
 
2022 तक सभी के लिए आवास पीएमएवाई (शहरी)

सरकार 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएमएवाई-यू के तहत लगभग 5.00 लाख करोड़ रुपए की लागत से 84 लाख मकान बनाने की मंजूरी दी गई है, जिनमें से 48 लाख से अधिक में निर्माण शुरू हो गया है और 26 लाख मकानों का निर्माण पूरा हो गया है, जो लाभार्थियों को सौंप दिए गए हैं। 13 लाख से अधिक घरों का निर्माण नई तकनीकों का उपयोग करके किया जा रहा है। ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया (जीएचअसी-आई) के माध्यम से सरकार ने दुनिया भर में 54 सर्वोत्तम उपलब्ध निर्माण तकनीकों की पहचान की है। इन प्रयोगशालाओं का उपयोग करते हुए, छह लाइट हाउस परियोजनाएँ, ओपन प्रयोगशालाओं के रूप में जल्द ही शुरू की जाएंगी। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019-20 को ‘निर्माण प्रौद्योगिकी वर्ष’ घोषित किया है।
 
पीएमएवाई-यू के तहत इस प्रभावशाली प्रगति के बावजूद, किराए के आवास की भारी माँग है, जो वर्तमान किराए कानूनों के साथ मकान मालिक और किराएदार के बीच असंतुलित सम्बन्धों के साथ हतोत्साहित हो जाती है। सरकार मॉडल टेनेंसी कानून तैयार कर रही है, जो बहुत जल्द राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों को प्रसारित किया जाएगा। बजट 2019-20 में 45 लाख रुपए तक कीमत वाले वहनीय मकानों की पहली खरीद पर ऋण पर ब्याज भुगतान की छूट की सीमा 3.5 लाख रुपए तक बढ़ा दी गई है, जो पहले 2 लाख रुपए थी। घर की बिक्री से पूँजीगत लाभ को बिना किसी कर देयता के साथ स्टार्टअप व्यवसाय में निवेश करने की अनुमति भी दी है। वर्तमान में राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) एक पुनर्वित्त पोषक और ऋणदाता होने के अलावा, आवास वित्त क्षेत्र के लिए एक नियामक भी है। आवास क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल कुशल विनियमन के लिए और परस्पर विरोधी अधिनियम हटाने के लिए, वित्त मंत्री ने अपने भाषण में आवास वित्त क्षेत्र के लिए विनियमन प्राधिकार एनएचबी से रिजर्व बैंक को वापस करने की घोषणा की। इन सभी उपायों से सस्ते मकानों को बढ़ावा मिलेगा।
 
जीवन सुगमता (ईज ऑफ लिविंग)

बजट 2019-20 ने नागरिकों का जीवन सुगम बनाने के सरकार के उद्देश्य पर ध्यान केन्द्रित किया है। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने 111 शहरों को कवर करते हुए 2018 में पहली बार ‘ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स’ यानी जीवन सुगमता सूचकांक जारी किया और हाल ही में ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स-2019 के लिए मूल्यांकन ढाँचे का शुभारंभ किया है। विश्व बैंक की व्यापार सुगमता रिपोर्ट-2019 के अनुसार, निर्माण की अनुमति देने में व्यापार सुगमता में भारत का रैंक 2018 में 181 से बढ़कर 52 हो गया है, यानी भारत ने 129 स्थानों की रिकॉर्ड छलांग लगाई है। अब तक 439 अमृत शहरों सहित 1.705 शहरों में ऑनलाइन बिल्डिग परमिशन सिस्टम (ओबीपीएस) लागू किया गया है।
 
डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन : सरकारी लेन-देन का 100 प्रतिशत डिजिटलीकरण
 
केन्द्रीय बजट 2019-20 में सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान को स्वीकार करने और उसे बढ़ावा दिए जाने का उल्लेख किया गया। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने अपने लगभग 100 प्रतिशत भुगतानों (करीब 60,000 करोड़ रुपए वार्षिक) के लिए वेब आधारित पीएफएमएस प्रणाली का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है, जो इसके देशभर में फैले 500 से अधिक कार्यालयों द्वारा किया गया। इसके अलावा, सभी सरकारी प्राप्तियों का संग्रह अब पूरी तरह से डिजिटलीकरण कर दिया गया है। ऐसा करके, मंत्रालय ने सभी वित्तीय लेन-देन को नकदी रहति करने के लिए डिजिटल इंडिया मिशन के उद्देश्य को पूरा किया है।
 
आगे की राह

भारत सरकार नागरिकों के लिए जीवन यापन, उत्तरदाई शासन, स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण, तेजी से आर्थिक विकास और आजीविका के अवसरों के साथ शहरी क्षेत्रों को विकसित करने के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है। हम भविष्य के शहरों का निर्माण कर रहे हैं। हमारी योजना है कि हम स्मार्ट सिटी अन्य सभी मिशनों के दौरान अपने सीखने के अनुभवों के साथ शहरी परिवर्तन को बढ़ाने के लिए एक व्यापक, समावेशी, भागीदारीपूर्ण और डेटा संचालित दृष्टिकोण का पालन करें, ताकि 50 खरब अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था और एक नए भारत की ओर देश की यात्रा में योगदान कर सकें।