सोम सनीचर पुरुब न चालू

Submitted by Hindi on Fri, 03/26/2010 - 10:22
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घाघ और भड्डरी

सोम सनीचर पुरुब न चालू। मंगर बुद्ध उतर दिसि कालू।।
बिहफै दक्खिन करै पयाना। नहि समुझें ताको घर आना।।

बूध कहै में बड़ा सयाना। मोरे दिन जिन किह्यौ पयाना।।
कौड़ी से नहीँ भेट कराऊँ। छेम कुसल से घर पहुँचाऊँ।।


भावार्थ- यदि यात्रा पर जाना हो तो सोमवार और शनिवार को पूर्व, मंगल और बुध को उत्तर दिशा में नहीं जाना चाहिए। यदि व्यक्ति वृहस्पति को दक्षिण दिशा की यात्रा करेगा तो उसका घर लौटना संदिग्ध होगा। बुधवार कहता है कि मैं बहुत चतुर हूँ, व्यक्ति को मेरे दिन कहीं भी यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि मैं उसको एक कौड़ी से भी भेंट नहीं होने दूँगा। हाँ! क्षेमकुशल से उसको घर पहुँचा दूँगा।