आप यह सुनिश्चित करने में सूचना का अधिकार अधिनियम का उपयोग करने की पहल कर सकते हैं कि सरकार आपको वे सेवाएँ प्रदान करे जिनके आप हकदार हैं और वे अधिकार तथा लाभ आपको दे जो भारत का नागरिक होने के नाते आपको मिलने चाहिए। लेकिन, सूचना का अधिकार अधिनियम अपने आप में कोई समाधान नहीं है। यह उस दिशा में पहला कदम है। उदाहरण के लिये, सूचना का अधिकार अधिनियम का इस्तेमाल करने से आपको बिजली या पानी के मीटर का नया कनेक्शन नहीं मिल सकता, लेकिन यह आपको इस बात का पता लगाने में मददगार हो सकता है कि आपके आवेदन पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है, कार्रवाई में क्या प्रगति हुई है, सम्बन्धित विभाग के सेवा मानदंडों के अनुसार आपको कब तक कनेक्शन मिल जाना चाहिए था और आपके मामले में कार्रवाई में देरी क्यों हुई है।
बहुत से मामलों में सूचना के अधिकार के उपयोग ने कमाल कर दिखाया है। महीनों से लटकाए जा रहे कनेक्शन एक सप्ताह से भी कम
जन सुनवाई लाती है पारदर्शिता 2002 में दिल्ली स्थिति एक गैर-सरकारी संगठन परिवर्तन ने पूर्वी दिल्ली की दो पुनर्वास बस्तियों में सार्वजनिक कार्यों के ठेकों की प्रतियाँ पाने के लिये सूचना अधिकार अधिनियम 2001 का इस्तेमाल किया। इन प्रतियों को उन्होंने 68 सार्वजनिक कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण करने के लिये प्रयोग किया और इसके चौंकाने वाले नतीजे निकले। सामाजिक अंकेक्षण ने व्यापक भ्रष्टाचार उजागर किया। ज्यादातर सार्वजनिक कार्य हकीकत में नहीं, बस कागजों में हुए थे। उदाहरण के लिये, 10 ठेकों के तहत बिजली की मोटरों सहित 29 हैंडपम्प लगाए जाने थे, लेकिन इलाके के निवासियों ने बताया कि केवल 14 हैंडपम्प लगाए गए थे। गलियों की नालियों पर 253 लोहे की जालियाँ लगाने के लिये भुगतान किया गया था, लेकिन वास्तव में केवल 30 जालियाँ ही लगाई गई थीं। परिवर्तन ने 1.3 करोड़ रू. के 68 सार्वजनिक कार्यों की जाँच की और पाया कि 70 लाख रू. का सामान गायब था।
इन सूचनाओं के साथ परिवर्तन दिल्ली की मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव (प्रशासनिक सुधार) दिल्ली, दिल्ली नगर निगम आयुक्त से मिला और मांग की कि दोषियों को सजा दी जानी चाहिए। मई 2004 में परिवर्तन द्वारा दायर एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करने के लिये कहा। जवाब में सीमापुरी क्षेत्र के निगम पार्षद परिवर्तन के पास इस प्रस्ताव के साथ पहुँचे की इलाके में किए गए सभी सार्वजनिक कामों में सम्पूर्ण पारदर्शिता बरती जाएगी। कार्यकारी अभियंता को कोई भी काम करने से पहले अनुमानित लागतों तथा खाकों की प्रतियाँ उपलब्ध कराने और काम पूरा हो जाने के बाद उनका निरीक्षण करने देने के निर्देश दिए गए। पार्षद ने प्रस्ताव रखा कि परिवर्तन और जनता कामों में दोष निकाले और कहा कि जब तक लोगों द्वारा उठाई गई आपत्तियों का निपटारा नहीं हो जाता, अदायगी नहीं की जाएंगी। |
वक्त में लगा दिए; घटिया तरीके से बनाई गई सड़कों पर दस दिनों के भीतर खड़ंजा डाला गया है; महीनों तक साफ न किया जाने वाला कूड़ा हर सुबह हटाया गया है। और भी बहुत कुछ हुआ है। नागरिकों के सवालों का जवाब देने के खयाल तक ने बहुत से सरकारी अधिकारियों के दिमागों में कानून का भय पैदा किया है। सूचना के अधिकार के बुद्धिमत्तापूर्ण प्रयोग से बहुत सारी समस्याओं को सुलझाया जा रहा है। उदाहरण के लिये;
- राशनकार्डधारी राशन डीलरों और खाद्य विभाग के स्टॉक व बिक्री रजिस्टरों का निरीक्षण कर सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें राशन उचित मात्रा में मिल रहा है और उनके नाम पर राशन की चोरी नहीं की जा रही है;
- सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूलों से अभिभावक अनुदानों सम्बन्धी ब्योरे मांग सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि धनराशियों को सही तरीके से खर्च किया जा रहा है या जाँच कर सकते हैं कि स्कूल में प्रवेशों के लिये रिश्वत तो नहीं दी जा रही या शिक्षा के लिये प्राप्त राशियों को किन्हीं और कामों के लिये तो खर्च नहीं किया जा रहा;
- छोटे व्यवसायों के मालिक सरकार द्वारा लाइसेंस और/या कर रियायतें तथा सब्सिडी दिए जाने के आधारों को तथा उनके हितग्राहियों को जान सकते हैं। वे इस बात की भी जाँच कर सकते हैं कि सरकार सही कसौटियों के आधार पर ही लाइसेंस और/या कर रियायतें तथा सब्सिडी दे रही है;
- बेरोजगार लोग सरकारी नौकरियों के लिये मानदंडों के बारे में या प्रतीक्षा सूची में अपने आवेदन की स्थिति के बारे में पूछ सकते हैं;
- लोग सरकारी सेवाओं के लिये दिए गए अपने आवेदनों के मामले में हुई प्रगति की जाँच कर सकते हैं, जैसे बिजली या पानी के कनेक्शन के लिये किए गए अपने आवेदन की स्थिति के बारे में जाँच के द्वारा और साथ ही इस बात की जानकारी पाने के जरिए कि किन अधिकारियों ने उस फाइल पर कार्रवाई की, कितने समय में और क्या कार्रवाई की।
सामुदायिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील व्यक्ति के रूप में हो सकता है कि आप सार्वजनिक महत्व के मुद्दों के बारे में सूचनाओं का पता लगाना चाहें और कोशिश करें कि सरकार समस्याओं को संबोधित करे। उदाहरण के लिये, आप पता लगा सकते हैः
- किस सरकारी अस्पताल में कितनी मौतें हुई हैं और किस कारण से या स्वीकृत कर्मियों की तुलना में कितने चिकित्सकों और नर्सों की कमी है;
- सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की दैनिक उपस्थिति क्या है;
- स्थानीय जेलों में स्वीकृत कैदी संख्या के मुकाबले कितने कैदियों को रखा जा रहा है;
- निरीक्षक यह जाँचने के लिये कितनी बार फैक्ट्रियों और विनिर्माण इकाइयों में जाते हैं कि वे गैर-कानूनी तरीके से पर्यावरण को जोखिम भरी सामग्रियाँ छोड़ कर प्रदूषित तो नहीं कर रहे;
- नगरपालिका आधिकारियों ने कितने ठेकेदारों को काली सूची में डाला है और इस सूची में होने के बावजूद उन्हें लोक निर्माण कार्यों के ठेके दिये गये हैं।
6परिवर्तन (2002) परिवर्तन कंडक्ट्स फर्स्ट अर्बन जन सुनवाईः
http://www.parivartan.com/jansunwais.asp#Parivartan%20conducts%20first%20Urban%20Jansunwai, 20 मार्च 2006