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एनडीटीवी, 24 जुलाई 2012
देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो साफ पेयजल से महरूम हैं कहीं सूखे की वजह से भुखमरी की नौबत है तो कहीं सैलाब से कोहराम मचा है। पानी की कमी नहीं है लेकिन खराब जल प्रबंधन की वजह से मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। सरकार हवाई योजनाएं बनाकर चुप बैठी है।
कमजोर मानसून किसानों के लिए संकट
इस बार कमजोर मानसून की वजह से सूखे की आशंका ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। जुलाई का तीसरा हफ्ता बीत गया लेकिन बारिश का कोई आसार नहीं है। इसका असर खेती और पीने के पानी पर दिखने लगा है। कमजोर मॉनसून की वजह से न सिर्फ खेती और जल प्रबंधन में दिक्कत आ रही है बल्कि खाने-पीने की चीजों की कीमतें भी बढ़ रही हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कम बुआई हुई है। इससे ज्वार बाजरा जैसे पारंपरिक अनाज की पैदावार पर असर पड़ेगा। देश के 84 बड़े जलाशयों में पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 61 फीसदी पानी भरा है जो इस बार विकट संकट पैदा करेगा।
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