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एनडीटीवी, 12 जनवरी 2013
मराठवाड़ा, आजादी से ही ये इलाका महाराष्ट्र की अनचाही जागीर रहा है। मराठवाड़ा फिर जल संकट के घेरे में है और इस संकट की घड़ी में यहां का आम आदमी एवं किसान अकेला है। महज़ एक महीना पहले वोट मांगने के लिए मतदाताओं के दर-दर पहुंचने वाले नेता अब नदारद हैं। अब स्थिति यह है कि लोगों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। लोकतंत्र में राजा कहलाने वाला मतदाता चुनाव होते ही नौकर बन गया है और यह नौकर राह देख रहा है कि कोई उसके और उसके परिवार के गले की प्यास को बुझाए। सूखे का सबसे ज्यादा असर मराठवाड़ा में है। इसी मराठवाड़ा मे माढा इलाका है जो कि महाराष्ट्र में सबसे प्रभावशाली नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार का चुनाव क्षेत्र है। लेकिन कृषि मंत्री के चुनाव क्षेत्र में लोगों को जो पानी मिल रहा है उसका रंग देखकर तो जानवर भी मुंह फेर लें लेकिन क्या करें लोग इसी पानी को पीने को मजबूर हैं। इन इलाकों को पानी सप्लाई करने वाले बांधों में भी औसत से 20 से 25 फीसदी कम बारिश हुई है। पानी की किल्लत इस कदर बढ़ी है कि खुद मुख्यमंत्री साढ़े तीन लाख की आबादी वाले जालना शहर को ही दूसरी जगह बसाने की बात करने लगे हैं।