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एनडीटीवी, 25 मई 2012
महाराष्ट्र में 15 जिले अकाल की चपेट में हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र के इलाके इस कदर सूखे की मार झेल रहे हैं कि वहां के खेत रेगिस्तान जैसे नजर आने लगे हैं। अकालग्रस्त क्षेत्र में राहत कार्य शुरू करने और प्रभावित जनता को सहायता पंहुचाने की प्रक्रिया भी काफी समय ले लेगी।सबसे बड़ा खतरा किसान आत्महत्या को लेकर हैं। आत्महत्याएं रोकने के तमाम प्रयासों पर अकाल पानी फेर सकता हैं। महाराष्ट्र के बहुत सारे गांव में पानी की किल्लत के साथ-साथ जानवरों के पानी और चारा की भी कमी बड़े पैमाने पर पैदा हो गई है। बहुत सारे गांव के लोग शहर की तरफ पानी के लिए रूख कर रहे हैं क्योंकि कम से कम शहर में आधा घंटे तो पीने का पानी आता है। मानसून डेढ़ माह बाद शुरू हो जाएगा। किसानों को बुआई के लिए फिर कर्ज लेना पडेगा। यह जगजाहीर है कि हाल के वर्षों में कर्ज के बोझ तले दबकर ही किसान जान दे रहा हैं।