प्यासा महाराष्ट्र : कब बुझेगी प्यास

Submitted by Hindi on Thu, 02/21/2013 - 11:19
Source
आईबीएन-7, 17 फरवरी 2013





सन् 1972 के बाद महाराष्ट्र भयंकर सूखे की चपेट में है। सूखे ने मराठवाड़ा के बहुत से किसानों को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है। उनकी रोजी रोटी छिन गई है। इस नुकसान से कैसे उबरें उन्हें समझ में नहीं आ रहा है। नया बाग फिर से खड़ा करने के लिए ना तो उनके पास पैसा है और न पानी। लिहाजा किसानों ने अब सरकार से मुआवजे की मांग तेज कर दी है। अगर किसान को समय चलते मदत नही मिली तो वो कर्ज और आर्थिक नुकसान के बोझ के तले दिन-ब-दिन दबता चला जाएगा। ऐसी स्थिती मे विदर्भ की तरह मराठवाडा का किसान भी आत्महत्या की राह चुनता नजर आया तो उसमे हैरानी की कोई बात नही होगी। मराठवाडा में करीब 29 हजार 863 हेक्टेयर पर लगाए गए फलों को जबरदस्त नुकसान हुआ है। मोसंबी और अनार के बाग का सूखना यानि बड़ा नुकसान, क्योंकि ये कम से कम 25 साल तक फल देते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस साल सिर्फ मराठवाड़ा में फलों के बाग की वजह से करीब 3 हजार करोड़ का नुकसान होने की आशंका है।