Source
आज तक, 03 फरवरी 2013
जिस देश में गंगा, यमुना और सरस्वती जैसी नदियों में उफान रहता है उसी देश के एक राज्य में लोग प्यासे दिन गुजार रहे हैं। महाराष्ट्र की यह स्थिति काफी तकलीफदेह है कि जो किसान लोगों के लिए अनाज पैदा करते हैं उन्हें खुद खाने के लिए अनाज नहीं है और न पीने के लिए पानी। सूखे से पीड़ित यहां के लोगों को पानी के दर्शन केवल एक दूसरों की आंखों में ही होते हैं। महाराष्ट्र में आधे से ज्यादा आबादी पानी की बूंद के लिए भी तरस रही है। महाराष्ट्र के यह इलाके पिछले दो साल से सूखे की मार झेल रहे हैं लेकिन इन्हें अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। महाराष्ट्र राज्य की 125 तहसील प्यासी है, पानी की किल्लत ने अब सूखे का भयंकर रूप ले लिया है। जहां पिछले कई सालों से लगातार कम बारिश हो रही है लेकिन इस वर्ष यहां बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई जिससे गन्ना, हल्दी और केले की फसल बर्बाद हो गए हैं। तलाब, नदी और नाले सब सूख गए। यहां के किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। कहते हैं ‘जननी जन्मभूमि स्वर्गदपि गरियसी’ यानी जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बड़ी होती है लेकिन लोगों को इतनी कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है कि वह एक जगह से दूसरे जगह भी जाने को मजबूर हैं।