स्वतंत्रता के समय भारतीय उपमहाद्वीप में, जिसमें अंग्रेजों के प्रान्त और रजवाड़े शामिल थे, निवल सिंचित क्षेत्र लगミग 28.2 मिलियन हैक्टेयर था। लेकिन देश के विभाजन के कारण स्थिति में अचानक और जबरदस्त बदलाव आ गया जिसके फलस्वरूप सिंचित क्षेत्र दो देशों के बीच बंट गया; भारत और पाकिस्तान में निवल सिंचित क्षेत्र क्रमशः 19.4 मिलियन हैक्टेयर तथा 8.8 मिलियन हैक्टेयर रह गया। सतलज और सिंधु प्रणालियों सहित वृहद नहर प्रणालियां पाकिस्तान के हिस्से में चली गई। पूर्वी बंगाल, जिसे अब बांग्लादेश कहते हैं और जिसमें उर्वर गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र आता है, वह भी पाकिस्तान का हिस्सा बन गया। उत्तर प्रदेश में और दक्षिण के डेल्टाओं में कुछ पुराने कार्यों को छोड़कर भारत के पास शेष बच रहे सिंचाई कार्य अधिकाशतः संरक्षात्मक प्रकृति के थे जिनका प्रयोजन महत्वपूर्ण पैदावार नहीं बल्कि अकाल की स्थिति को टालना था।
स्वतंत्रता के समय सिंचाई विकास
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