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परिषद साक्ष्य धरती का ताप, जनवरी-मार्च 2006
उसके मटमैले गालों पर
ऊपर से नीचे उतरतीं
मोटी-मोटी टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं
देख रहे हैं आप
वह नहीं हैं वाटर पेंटिंग
और न हैं वे भित्तिचित्र
उसकी खुशहाली के
नहीं हैं निशान वे
किसी उत्सव के
समाज के आखिरी आदमी का सच
बतातीं वे रेखाएं
बनी हैं उसकी आंखों से
ढलकते आंसुओं से
उसके नंगे धुरियाये पेट पर
देख रहे हैं आप जो चकत्ते
वे नहीं हैं देश के विकास के
ताजा मानचित्र
हाँ, विकास की असलियत हैं वे
जो बने हैं उसके पेट पर
कौर की प्रतीक्षा में
उसके खुले मुँह से बहते लार से
आकाश का सूनापन है उसकी आँखों में
सूरज नहीं देता रौशनी उसके जीवन में
चंदा की चांदनी भी नहीं मिलती उसे
जंगल है उसके साथ लेकिन हरियाली नहीं
फिर भी जिंदा खड़ा है वह नंगधड़ंग
जंगल में खिले फूल की तरह
भटक रहा है वनफूलों की खुशबू की तरह
यह आदिवासी बालक है चाहे जितना गंदा
वही गंदा, नंगा तैलचित्र बालक
आपके-हमारे ड्राइंग रूम को सजाता है
सांस्कृतिक प्रतिष्ठा बढ़ाता है
ऐसा बालक नहीं होता जीवन में
तो कैसे मिलता हमें ऐसा सुंदर तैलचित्र
ऊपर से नीचे उतरतीं
मोटी-मोटी टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं
देख रहे हैं आप
वह नहीं हैं वाटर पेंटिंग
और न हैं वे भित्तिचित्र
उसकी खुशहाली के
नहीं हैं निशान वे
किसी उत्सव के
समाज के आखिरी आदमी का सच
बतातीं वे रेखाएं
बनी हैं उसकी आंखों से
ढलकते आंसुओं से
उसके नंगे धुरियाये पेट पर
देख रहे हैं आप जो चकत्ते
वे नहीं हैं देश के विकास के
ताजा मानचित्र
हाँ, विकास की असलियत हैं वे
जो बने हैं उसके पेट पर
कौर की प्रतीक्षा में
उसके खुले मुँह से बहते लार से
आकाश का सूनापन है उसकी आँखों में
सूरज नहीं देता रौशनी उसके जीवन में
चंदा की चांदनी भी नहीं मिलती उसे
जंगल है उसके साथ लेकिन हरियाली नहीं
फिर भी जिंदा खड़ा है वह नंगधड़ंग
जंगल में खिले फूल की तरह
भटक रहा है वनफूलों की खुशबू की तरह
यह आदिवासी बालक है चाहे जितना गंदा
वही गंदा, नंगा तैलचित्र बालक
आपके-हमारे ड्राइंग रूम को सजाता है
सांस्कृतिक प्रतिष्ठा बढ़ाता है
ऐसा बालक नहीं होता जीवन में
तो कैसे मिलता हमें ऐसा सुंदर तैलचित्र