तापीय भंवर (Thermal eddy)

Submitted by Hindi on Tue, 12/29/2009 - 15:37
थल की विभिन्न संरचनाओं तथा विभिन्न क्षेत्रों की मृदाओं की ऊष्मा अवशोषण क्षमताओं के भिन्न-भिन्न होने के कारण थल दिन के समय समान रुप से गर्म नहीं होता। उसके कुछ भाग अधिक गर्म हो जाते हैं और कुछ कम। उसी के अनुसार उन भागों के संपर्क में आने वाली हवा भी कम या ज्यादा गर्म होती है। गर्म पवन आसपास की पवन की तुलना में भंवर के रुप में अधिक ऊंची उठ जाती है। ये भंवर ही “तापीय भंवर” कहलाते हैं।

ये भंवर कुछ मीटर से लेकर कई सौ मीटर ऊंचाई तक उठ सकते हैं। आमतौर पर ऊपर उठती हुई वायु के साथ धूल, कागज के टुकड़े, सूखे पत्ते भी तिरने लगते हैं। कुछ जातियों के पक्षी भी उड़ान के दौरान इन भंवरों का लाभ उठाते हैं।

धूल भरी आंधियां इन भंवरों की ही शक्तिशाली रुप हैं जिनके साथ बड़ी मात्रा में धूल कण, सूखे पत्ते, कागज के टुकड़े आदि उड़ते रहते हैं।