तो नहीं बनता अक्षरधाम और न खेलगांव

Submitted by admin on Thu, 04/15/2010 - 14:46
नई दिल्ली। यमुना के बहाव क्षेत्र में अक्षरधाम बनाने को बतौर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश किसी भी हालत में मंजूरी नहीं देते। रमेश का कहना है उस समय यह मंत्रालय उनके पास होता तो अक्षरधाम बनाने की योजना को मंजूरी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि अक्षरधाम के कारण यमुना के बहाव क्षेत्र पर असर पड़ा है। अक्षरधाम के कारण ही राष्ट्रमंडल खेल गांव बनाने को मंजूरी दी गई।

रमेश ने नईदुनिया कार्यालय में वरिष्ठ सहयोगियों के साथ एक बातचीत में कहा कि यमुना के बहाव क्षेत्र में अक्षरधाम के निर्माण को मंजूरी देना सही नहीं था। अक्षरधाम को आधार बनाकर ही खेलगांव बनाने की वकालत की गई। बतौर पर्यावरण मंत्री वे ऐसी किसी योजना को मंजूरी नहीं देते है। उन्होंने कहा कि सरकार यमुना रीवर बेड में किसी तरह का निर्माण पर रोक लगाने के लिए नीति बना रही है।

पूर्वी दिल्ली में अक्षरधाम बनाने के लिए नरसिंहराव सरकार के दौरान १९९४ में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने २६० हेक्टेयर जमीन विकसित करने का फैसला लिया था। बाद में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने यहां अक्षरधाम बनाने की मंजूरी दी। इसके लिए डीडीए, दिल्ली कला आयोग और शहरी विकास मंत्रालय में बातचीत का लंबा दौर चला। दिल्ली के उपराज्यपाल रहे विजय कपूर की इस मामले में बड़ी भूमिका रही। तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अक्षरधाम को हरी झंडी देने में खासी दिलचस्पी थी।

दिल्ली में मेट्रो रेल, बीआरटी कॉरिडार, राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ कटने से हरित क्षेत्र कम हुआ है। इसके विपरीत पर्यावरण मंत्रालय के सर्वे में दिल्ली में हरित क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी दिखाई जा रही है? इस सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि दिल्ली में बड़े पैमाने पर जगह-जगह पड़े लगे हुए है। हरित क्षेत्र के लिहाज से दिल्ली हमेशा आगे रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में काटे गए पेड़ों की एवज में अन्य स्थानों पर पौधे लगाए हैं। इसका असर सात साल बाद दिखाई देगा।

पर्यावरण मंत्री ने कहा कि मंत्रालय का सर्वे सेटेलाइट के जरिए किया जाता है। यह सही है कि दिल्ली में हरियाली बढ़ी है। कुछ इलाका भूरा दिखाई देता है। धीरे-धीरे उन इलाकों में भी पेड़ दिखाई देंगे।