उत्तरी और दक्षिणी, दोनों, गोलार्द्धों में 300 और 350 अक्षांशों के बीच के क्षेत्र, जहां भूमध्यरैखिक द्रोणी से ऊपर उठने वाली पवन उतरती है। इन क्षेत्रों में सदैव उच्च दाब बना रहता है। इन क्षेत्रों से ही भूमध्यरेखा की ओर व्यापारी पवन और ध्रुवों की ओर पश्चिमी पवन बहती हैं। ये अपसरण क्षेत्र होते हैं। इनमें वायु की हलचल काफी धीमी और क्षीण होती है।
दक्षिणी गोलार्द्ध का उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र, अधिकांशतः सागर पर स्थित है। इसलिए वह बहुत हद तक एक संतत क्षेत्र है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में वह परिमित और स्पष्ट कक्षों में विभाजित है।
दक्षिणी गोलार्द्ध का उपोष्ण उच्च दाब क्षेत्र, अधिकांशतः सागर पर स्थित है। इसलिए वह बहुत हद तक एक संतत क्षेत्र है जबकि उत्तरी गोलार्द्ध में वह परिमित और स्पष्ट कक्षों में विभाजित है।