उत्स्रुत बेसिन, उत्स्रुत द्रोणीः
एक भूवैज्ञानिक संरचना या संरचना-संहति जिसमें जल, उत्स्रुत दाब के प्रभाव में परिरुद्ध रहता है।
वह अभिनतिक बेसिन जहाँ अप्रवेश्य (अपारगम्य) शैल संस्तरों के मध्य में प्रवेश्य (पारगम्य) शैल संस्तर विद्यमान होते हैं। यह बेसिन वलित शैल संस्तरों के अभिनति वाले भाग में स्थित होती है। इस बेसिन में जलभंडार तक कुआँ खोदने पर जल धरातल पर स्वतः निकलने लगता है।