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इण्डिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)

टिहरी जिले के कोठियाड़ा गाँव के पास एक गदेरे का पानी सौ से ज्यादा घरों और दुकानों में घुस गया जिसकी वजह से 15 से ज्यादा घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं जिसमें काफी मवेशियों के दबे होने की खबर है।
उत्तराखण्ड में साल 2013 में हुई भारी तबाही का मंजर लोगों के मन में अभी भी दहशत पैदा करता है। 16-17 जून 2013 को बादल फटने से हुए भू-स्खलन में मन्दाकिनी एवं उसके उपशाखाओं को रोककर अल्पकालिक झील का निर्माण कर दिया था और फिर एक और बादल के फटने से आई त्वरित बाढ़ ने केदारनाथ क्षेत्र में विनाश का एक भयानक मंजर पेश किया। विशेषज्ञों ने ऐसी घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्राकृतिक आपदाएँ मानव के नियंत्रण और पूर्वानुमान से परे हैं। हाँ इतना अवश्य हो सकता है कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करके प्राकृतिक आपदाओं के विनाश को कम किया जा सकता है।
क्या होता है बादल फटना (What is Cloud Burst)
मौसम विज्ञान के एक जानकार, दिव्यांस श्रीवास्तव के अनुसार बादल फटना बारिश का एक चरम रूप है। इस घटना में बारिश के साथ कभी-2 गरज के साथ ओले भी पड़ते हैं। सामान्यतः बादल फटने के कारण सिर्फ कुछ मिनट तक मूसलाधार बारिश होती है। लेकिन इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बादल फटने की घटना प्रायः पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊँचाई पर घटती है। इसके कारण होने वाली वर्षा लगभग 10 मिलीमीटर प्रतिघंटा की दर से होती है। कुछ ही मिनट में 2 सेन्टीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है जिस कारण भारी तबाही होती है।
मौसम विज्ञान के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में आर्द्रता यानि पानी लेकर आसमान में चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वो अचानक फट पड़ते हैं। यानि संघनन बहुत तेजी से होता है। इस स्थिति में एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। इस पानी के रास्ते में आनेवाली हर वस्तु क्षतिग्रस्त हो जाती है। भारत के संदर्भ में देखें तो प्रति वर्ष मॉनसून के समय नमी को लिये हुये बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं, फलस्वरूप हिमालय पर्वत एक बड़े अवरोधक के रूप में सामने पड़ता है। जिसके कारण उत्तरी भारत के क्षेत्रों में भारी बारिश होती है।
दिनांक 16 जून 13, को दोपहर में उत्तराखण्ड के कई इलाकों में इसी वजह से फटने वाले बादलों से आने वाली बाढ़ ने जबरदस्त तबाही मचाई, जिसमें हजारों लोगों को अपनी जान-माल से हाथ धोना पड़ा, जब कोई गर्म हवा का झोंका ऐसे बादल से टकराता है, तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर 26 जुलाई 2005 को मुंबई में बादल फटे थे, तब वहाँ बादल किसी ठोस वस्तु से नहीं बल्कि गर्म हवा से टकराये थे।