वर्षा जल संचयन और भूजल पुनर्भरण के माध्यम से पीने के पानी की सुनिश्चितता

Submitted by Hindi on Wed, 07/20/2011 - 14:25
Source
इनडगडॉटइन, 28 सितंबर 2010
मध्य प्रदेश के दतिया जिले के दतिया प्रखंड का गांव हमीरपुर, जिसकी आबादी 641 हैं, अधिकांश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। यह बुंदेलखंड क्षेत्र में पड़ता है तथा अनिश्चित बारिश स्वरूप के कारण पानी की गम्भीर कमी व नियमित रूप से सूखे की स्थिति झेलता है। कुल मिलाकर वर्षा दिवसों में कमी आई है, जो दो दशक पहले 100 दिनों (740 मिमी औसत) से घटकर आज औसतन (340 मिमी) 40 वर्षा दिवस हो गया है।

स्थानीय पहल


ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (VWSC), जिसे पेयजल समिति के नाम से भी जाना जाता है, का गठन स्वजलधारा कार्यक्रम के तहत गांव के लिए जल आपूर्ति योजना के लिए किया गया था और इसने समुदाय के योगदान के रूप में रु.40,000 एकत्र भी किए थे, लेकिन आवश्यक मंजूरी नहीं प्राप्त कर सकी। यह महसूस किया गया कि जब तक गांव में एक संगठित जल आपूर्ति व्यवस्था नहीं हो, आर्थिक विकास प्राप्त करना संभव नहीं हो सकता क्योंकि अधिकांश समय दूर के स्रोतों से पीने के पानी का प्रबन्ध करने में ही व्यतीत हो रहा था।

नई अवधारणा


कई बैठकों की श्रृंखला के बाद ग्रामीणों ने स्वयं पहल करने का फैसला किया तथा गांव के भूजल स्तर में सुधार लाने के लिए एवं निकट भविष्य में जल आपूर्ति योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए 'एकीकृत जल संसाधन प्रबन्धन’ अपनाया। वर्षा जल के पुनर्भरण एवं संरक्षण के लिए सभी घरों में वर्षा जल संग्रहण ढांचों के निर्माण; कुओं के गहरीकरण, त्यागे गए सामुदायिक खुले कुओं व ट्यूबवेलों पर रीचार्जिंग ट्रेंच बनाने तथा रोक बांधों के निर्माण की एक योजना बनाई गई।

उन्होंने गांव के बाहर एक जगह की पहचान भी की जहां घरों व सड़क के निर्माण के लिए मिट्टी खोद कर ले जाई जानी थी ताकि हैंडपंप और भूजलदायी स्तर रिचार्जिंग के लिए एक बहुत बड़ा तालाब बन सके।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) ने गांव में बडे पत्थरों की दीवार से एक बांध का निर्माण एवं अन्य गांवों में नालों पर रोक बान्ध निर्मित किया जिसके परिणामस्वरूप रोक बान्ध के ऊर्ध्वप्रवाह में बड़ी संख्या में हैंडपंपों का पुनर्भरण हुआ। VWSC ने गांव के सभी 75 घरों, स्कूल तथा आंगनवाड़ी की छतों पर रेती व कंकड़ से भरे गड्ढों में छत से नीचे लाए गए प्लास्टिक ड्रेन पाइपों से बने वर्षाजल संचयन ढांचों के निर्माण की शुरुआत भी की।

एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन, परहित ने प्रत्येक घर को रु.500 दिए तथा 1000 से 1200 रुपयों की शेष राशि का लाभार्थियों ने योगदान किया।

हमीरपुर गांव के लिए यह यात्रा प्रत्येक घर को न्यूनतम सुरक्षित पेयजल प्रदान करने के प्रयास के साथ शुरु हुई जिसके फलस्वरूप ‘एकीकृत जल संसाधन प्रबन्ध’ तथा विशाल स्तर पर वर्षाजल पुनर्भरण ढांचों का निर्माण अपनाकर पर्याप्त पेयजल आपूर्ति का प्रावधान हुआ। यह एक अनूठा प्रयोग है जिसके महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त हुए हैं।