वर्षा जल संग्रहण : एक मूल्यांकन

Submitted by Hindi on Thu, 12/31/2009 - 18:46

लगातार तीन वर्षों के अकाल के बावजूद राजस्थान के उदयपुर जिले में जिन गाँवों ने वर्षा जल संग्रहण के ढांचे बनाए थे उनकी स्थिति उतनी बुरी नहीं थी। जिले में ग्रामीण विकास के लिए कार्यरत एक गैर सरकारी संगठन, सेवा मंदिर, 1987 से समुदाय आधारित जल संग्रहण एवं प्रबंधन को प्रोत्साहित कर रही है। संस्था के सहयोग से जिले के विभिन्न गांवों में लोगों ने अब तक 29 एनिकट (छोटे डैम) बनाए हैं। एनिकट निर्माण कार्यक्रम का आरंभ संस्था ने 1987 के अकाल के दौरान किया था। उद्देश्य ये थे कि मुश्किल समय में लोगों को गाँव में ही मजदूरी मिल जाए और आने वाले सूखे की अवधि में पशुधन, जो इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आजीविका का स्रोत है, को पीने का पानी उपलब्ध हो। साथ ही यह भी सोचा गया था कि एनिकट निर्माण से मिट्टी में नमी की मात्रा और कुंओं में जल स्तर बढ़ेंगे। 2001 के अकाल के दौरान सेवा मंदिर ने एनिकटों का प्रभाव जानने के लिए 28 एनिकटों का सर्वे किया। 25 एनिकटों का विश्लेशण करने पर काफी उत्साहजनक परिणाम मिले (तीन नव निर्मित एनिकटों का विश्लेशण से बाहर रखा गया क्योंकि अभी उनका प्रभाव आंकना मुश्किल था)।

इन एनिकटों की क्षमता 10,000 से 50,000 घन मीटर तक जल संचय की है। इनसे सूखे के समय में भी मवेशियों के लिए पीने के पानी की उपलब्धता बढ़ी है (तालिका-1 देखें)। गाँव में लोग एनिकट में एकत्रित पानी का इस्तेमाल नहाने एवं कपड़ा धोने के लिए भी करते हैं।
 

तालिका-1 मवेशियों के पीने के पानी के लिए एनिकट का इस्तेमाल करने वाले परिवारों की संख्या

अवधि

सामान्य वर्ष

सूखा वर्ष – 2001

कुल संख्या

प्रति एनिकट औसत

कुल संख्या

प्रति एनिकट औसत

जुलाई से अक्टूबर

2739

109.6

2864

114.6

नवंबर से जून

2840

113.6

2564

102.6

मार्च से जून

2283

109.6

2864

114.6

जुलाई से अक्टूबर

2739

91.3

1605

64.2

नोटः नवंबर से जून 2001 के बीच परिवारों की संख्या घट गई क्योंकि लगातार तीसरे साल अकाल पड़ने की वजह से कुछ ऐनीकट बिलकुल ही सूख गए थे


एनिकट के आस-पास के कुओं और जमीन को काफी फायदा पहुंचा है। कुल 276 कुओं के पनुर्भरण से लाभ हुआ है। आसपास के 92 कुएं, जिन्हें गहरा नहीं किया गया है, का सर्वे करने पर पता लगा कि एनिकट से आधे किलो मीटर की दूरी तक के कुंओ का जल स्तर औसतन दो मीटर बढ़ गया है। आधे से एक किलो मीटर की दूरी पर स्थित कुंओं का जलस्तर औसतन 0.9 मीटर बढ़ा है। कुंओं के पुनर्भरण की गति भी बढ़ गई है। एनिकट से आधे किलोमीटर की दूरी के अंदर स्थित कुंओं का पुनर्भरण सामान्य वर्षों में औसतन 23 घंटों में हो जाता है। यह समय पहले 41.5 घंटों का था।

कुंओं में जल स्तर एवं पुनर्भरण की गति बढ़ने और आस-पास की मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ने से खेती में लाभ पहुंचा है। एनिकटों की डेढ़ किलोमिटर परिधि में प्रति एनिकट औसतन 2.1 हेक्टेयर सिंचित भूमि में बढ़त हुई है। 123 किसानों का सर्वे करने से पता चला है कि उनके खरीफ की फसल का कृषि क्षेत्र 107.8 हेक्टेयर से

फसल

एनिकट निर्माण से पहले के सामान्य वर्षों में

एनिकट निर्माण के बाद के सामान्य वर्षों में

सूखा वर्ष 2000-01

मक्का

690.1

867.8

447.1

ज्वार

700.1

748.8

330.4

बाजरा

513.8

747.2

135.7

धान

717.6

1134.1

439.6

गैहूं

706.1

1012.0

586.3

जौ

1000.0

1596.8

1034.5

चना

364.8

635.0

नहीं बोया

सरसों

445.0

468.1

360

तालिका 2 कृषि उत्पादन (किलोग्राम/हेक्टेयर)

बढ़कर 117.55 हेक्टेयर हो गया है और रबी की फसल का क्षेत्र 79.74 हेक्टेयर से बढ़कर 94.76 हेक्टेयर हो गया है। कुल मिलाकर 234.8 हेक्टेयर जमीन को सीधे लाभ हुआ है। औसतन हर एनिकट ने 9.4 हेक्टेयर जमीन को सीधे लाभान्वित किया है। मिट्टी में नमी की मात्रा एवम् सिंचाई से बढ़ने से आस-पास की जमीन की उत्पादकता भी बढ़ी है (तालिका – 2 देखें)।

इस मूल्यांकन से कुछ सीखें भी उभर कर सामने आई हैं। एनिकट का सर्वाधिक फायदा हो, इसके लिए निर्माण कार्य के जगह का चुनाव बहुत ही सोच-समझ कर करना चाहिए। एनिकट के आधे किलोमीटर की परिधि में कुओं एवं कृषि भूमि होने से ज्यादा फायदा होता है। एकत्रित पानी मवेशियों को अधिक लाभ पहुंचा सके, इसके लिए गाँव में मवेशियों के आने-जाने के रास्ते का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। निर्माण कार्य के लागत के विषय में एक महत्वपूर्ण बता यह है कि इसमें लागत कम करके जल संग्रहण की क्षमता बढ़ाने की कोशिश की गई है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: निलिमा खेतानसेवा मंदिर, ओल्ड फतहपुरा, उदयपुर- 313001, राजस्थान फोन : 0294 451041, 450960 ईमेल: smandir@vsnl.com