आप देख सकते हैं कि इस अद्वितीय प्रारंभिक कार्यक्रम में पब्लिक-प्राइवेट साझेदार कितने बेहतर तरीके से कार्य कर रहे हैं। कर्नाटक के सभी जिलों के 23,000 पाठशालाओं में वर्षाजल संग्रहण! एनजीओ के साथ मिलकर 8 जिलों में किए गए मूलभूत सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा। फोटो, आलेख, सर्वेक्षण अनुमान आदि सभी जानकारी एकत्रित करके आनलाइन उपलब्ध कराई गई है।
GIS द्वारा सक्रिय पृष्ठ पर जाकर सुवर्ण जल कार्यक्रम के अंतर्गत आने वाले स्कूलों के नाम खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
तकनीक
बड़ी योजनाओं के व्यवस्थापन में, जिसमें विभिन्न प्रकार के स्टेकहोल्डर्स का समावेश होता हों, तकनीक एक बहुत ही शक्तिशाली साधन साबित हो सकता है। इसका उपयोग योजना से संबंधित डाटा का विशिष्टिकरण, एकत्रीकरण, एवं विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है। इस तरह से प्राप्त की गई जानकारी को सरल रुप में प्रस्तुत किया जा सकता है और सभी स्टेकहोल्डर्स को इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जा सकता है ताकि इस जानकारी के आदान-प्रदान से पारदर्शकता एवं कार्यक्षमता का विश्वास दिलाया जा सके। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है, सुवर्ण जल नाम के बड़े सरकारी स्कूली योजना में किया गया तकनिक का सफल प्रयोग। जमीन से प्राप्त डाटा को नक़्शे, टेबल्स एवं आलेखों के जरिए प्रस्तुत किया गया है, जो कि हर एक स्कूल के स्पष्ट एवं सूक्ष्मतम व्यू के साथ-साथ जिले का विस्तारित (सम्पूर्ण) व्यू भी दिखाता है।
सुवर्ण जल के बारे में
: कर्नाटक सरकार के रुरल डेवलपमेंट पंचायत राज (RDPR) विभाग ने, पूरे राज्य के 23,683 पाठशालाओं में रुफटाप रेनवाटर हार्वेस्टिंग, जिसे सुवर्ण जल के नाम से जाना जाता है, कार्यक्रम कार्यन्वित किया है। इस उपक्रम का उद्देश जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है तथा पानी का दर्जा ठीक नही हैं ऐसे क्षेत्रों के स्कूली बच्चों को जीवनावश्यक विकल्प के रुप में पीने का सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना है।
उपक्रम की जानकारी
इस उपक्रम के अंतर्गत पाठशाला के अंदर 5000-10,000 लीटर क्षमता का टैंक, जिसमें गटर, पाइप एवं फिल्टर्स प्रणाली जुड़ी हो, का निर्माण किया जाता है ताकि बारीश का पानी इकठ्ठा करके उसे इस टैंक में जमा किया जा सके। अनुमान है कि RDPR विभाग को इस उपक्रम के लिए लगभग 74 करोड रुपयों का खर्चा उठाना पड़ेगा। प्रणाली के निर्माण का काम जिला स्तरिय दल, जैसे कि निर्मिती केंद्र, राजीव गांधी रुरल हाउसिंग कार्पोरेशन लिमिटेड या फिर इंजीनियरिंग विभाग करेगा, पाठशाला के स्तर पर इस प्रणाली को कार्यरत रखने एवं उसका नियंत्रण करने का काम स्कूल डेवलपमेंट एंड मानिटरिंग कौन्सिल (SDMCs) करेगा।
साझेदारी
अर्घ्यम ने आरडीपीआर विभाग को सुवर्ण जल योजना में शामिल होने की दृढ इच्छा दिखाई है तथा विभाग ने इस कल्पना का स्वागत भी किया है। इस पब्लिक-कम्युनिटि साझीदारी में, अर्घ्यम वर्षाजल संग्रहण के विशेषज्ञों एवं एनजीओ का एक नेटवर्क उपलब्ध कराएगा जो कि क्षमता निर्माण का तथा आरडीपीआर विभाग द्वारा आरेखित एवं कार्यन्वित किए गए कार्यक्रम का नियंत्रण करने का कार्य करेंगे। सुवर्ण जल अभियान राज्य के सभी 27 जिलों में कार्यन्वित हो चुका है, अर्घ्यम निम्नलिखित 8 जिलों में अपना नियोजित काम कर रहा है। मैसुर, चामराजनगर, चित्रदुर्ग, दावनगिरी, धारवाड, तुमकुर, गदक और रायचूर।
कार्यक्रम
हमारा उद्देश प्रत्येक जिले में समर्पित एनजीओ/लोगों का एक नेटवर्क विकसित करना है, जो कि हर पाठशाला में वर्षाजल संचयन कार्यक्रम का नियंत्रण करने, (hand-hold) तथा अच्छे कार्यान्वयन में सहायता करेंगे। इस नेटवर्क के कुछ कार्य इस प्रकार होंगेः
• वर्तमान परिस्थिति, आवश्यकताएँ, क्षमता एवं जमीन की स्थिति आदि का अभ्यास करने के लिए कार्यक्रम में हिस्सा लेनेवाले हर पाठशाला में मूलभूत सर्वेक्षण करना।
• जल एवं मैला-पानी प्रणाली के प्रारुप बनाना;
• स्थानीय स्तर पर इस कार्यक्रम के लिए क्षमता निर्माण करना, प्रशिक्षण देना, तथा उसका नियंत्रण करना
सर्वेक्षण डाटा
जिले का नाम |
कुल पाठशाला |
साझेदार एनजीओ |
सभासद |
रायचुर |
790 |
प्रेरणा, समूह, जन सहयोग, ग्रामीण सदन |
40 |
गदक |
353 |
बर्ड के, केवीके, स्लिग्स |
18 |
धारवाड |
455 |
माइराडा, परिवारथाना |
23 |
दावनगिरी |
754 |
प्रेरणा पाडे |
38 |
चित्रदुर्ग |
701 |
प्रेरणा पाडे |
35 |
चामराजनगर |
417 |
कार्ट, माइराडा, वर्ल्ड वीजन |
21 |
मैसुर |
524 |
स्नेहा, डीड, मुंडुवारिका शिक्षण केंद्र, स्फुर्ति केंद्र, माइराडा, एनरिच |
26 |
तुमकुर |
1384 |
बर्ड के, तुमकुर साइन्स सेंटर |
69 |
कुल |
5378 |
|
270 |