45 साल बाद इंद्रावती का आंचल सूखा

Submitted by Hindi on Tue, 08/09/2011 - 08:33
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नई दुनिया, 07 अगस्त 2011
इंद्रावती नदी का वर्तमान स्थितिइंद्रावती नदी का वर्तमान स्थितिजगदलपुर (ब्यूरो)। सावन अब बीतने को है और बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती अभी प्यासी है। इस मौसम में अपने रौद्र रूप से डराने वाली इंद्रावती का जलस्तर तीन मीटर के निशान को भी पार नहीं कर सका है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां भस्केल, नारंगी, मार्कण्डेय, शंखिनी, डंकनी, मिंगाचल में भी पानी की स्थिति संतोषजनक नहीं है। पिछले सौ सालों में यह तीसरी बार है,जब इंद्रावती में मानसून के पहले डेढ़-दो महीने में जलस्तर गैर मानसून के दिनों के समान ही बना हुआ है।

केंद्रीय जल आयोग के इंद्रावती अनुमंडल में बस्तर की नदियों के मानसून के दौरान जलस्तर से संबंधित रिकॉर्ड से पता चलता है कि पिछले सौ सालों में 1920 और 1965 में 15 जून से 5 अगस्त के बीच इंद्रावती का जलस्तर तीन मीटर से ऊपर नहीं गया। इतना ही नहीं 1920 के पूरे मानसून में इन्द्रावती का जलस्तर चार मीटर से नीचे ही रहा। साल 1965 में भी सवा चार मीटर के उच्चतम निशान को छूकर नदी नीचे ही बहती रही। वैसी ही स्थिति इस साल भी दिखाई पड़ रही है। इस बार 15 जून से अब तक इन्द्रावती के यहां पुराना पुल स्थित गेज साइट में अधिकतम 3 मीटर, नवरंगपुर में 2.96 मीटर और कोसागुमडा में भस्केल का जलस्तर 3.16 मीटर को ही छू सका है।

1965 में पैदल पार करते थे नदी


इतिहासकार एवं शिक्षाविद डॉ.केके झा का कहना है कि वर्ष 1920 और 1965 में अल्पवर्षा के कारण बस्तर में भयंकर अकाल प़ड़ा था। 1965 में इंद्रावती में पूरे बरसात भर इतना कम पानी था कि लोग पैदल नदी पार करते थे। उसी दौरान तत्कालीन राजा रूद्रप्रताप देव ने इसका गहरीकरण करवाया था।

2006 में तोड़ा सौ साल का रिकॉर्ड


पिछले सौ सालों में 98 साल ऐसे गुजरे हैं, जब हर साल नदी में बाढ़ आई है। 1920 और 1965 में इंद्रावती में एक बार भी बाढ़ नहीं आई। वहीं साल 2006 में 29 जुलाई से 7 अगस्त के बीच आई बा़ढ़ ने सौ साल का रिकार्ड तोड़ा था। उसी साल नारंगी, भंवरडीह, मार्कंडेय व भस्केल नदियों ने बस्तर और उड़ीसा के एक दर्जन से अधिक गांवों को तबाह कर दिया था