यह संरचना भी संकन पौंड की तरह ही होती है। फर्क केवल इतना है कि यह ढलान वाले खेतों के ऊपरी भाग में बनाए जाते हैं तथा छोटी-छोटी नालियाँ बनाकर वर्षा के पानी को संग्रहित किया जाता है। यह भी सामान्यतः 10x 10 मीटर व मुर्रम की सतह से 2 मीटर गहरा गड्ढा होता है, जिसका आकार खेतों की स्थिति के अनुरूप कम-ज्यादा हो सकता है। इस प्रकार संग्रहित जल से मिट्टी में नमी का प्रतिशत बढ़ जाता है साथ ही भू-जल संवर्द्धन भी होता है।