अपनी वसीयत नर्मदा को

Submitted by birendrakrgupta on Fri, 07/25/2014 - 16:49
Source
नया ज्ञानोदय, अंक 136, जून 2014
मैंने वसीयत में लिख दिया
राष्ट्र के नाम
अपना राष्ट्र गीत राष्ट्र ध्वज
राष्ट्र भाषा
और संविधान अपना

लिख दिया विश्व के नाम
चांद सूरज तारे
हवा पानी प्रकाश
पर्यावरण

और अंत में सबके लिए
सृजन के संकल्प
और प्रार्थनाएं अनन्त

नहीं लिखा
विनाश का कोई भी शब्द
किसी के लिए कहीं

मैंने सौंप दी
अपनी वसीयत नर्मदा को
जो अमरकंठ में धारण किये
बहती रहेगी समुद्र तक
सृजन कये साथ साथ!!

कवि, आलोचक व लेखक। मोः 09425044895.