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नया ज्ञानोदय, अंक 136, जून 2014
मैंने वसीयत में लिख दिया
राष्ट्र के नाम
अपना राष्ट्र गीत राष्ट्र ध्वज
राष्ट्र भाषा
और संविधान अपना
लिख दिया विश्व के नाम
चांद सूरज तारे
हवा पानी प्रकाश
पर्यावरण
और अंत में सबके लिए
सृजन के संकल्प
और प्रार्थनाएं अनन्त
नहीं लिखा
विनाश का कोई भी शब्द
किसी के लिए कहीं
मैंने सौंप दी
अपनी वसीयत नर्मदा को
जो अमरकंठ में धारण किये
बहती रहेगी समुद्र तक
सृजन कये साथ साथ!!
कवि, आलोचक व लेखक। मोः 09425044895.
राष्ट्र के नाम
अपना राष्ट्र गीत राष्ट्र ध्वज
राष्ट्र भाषा
और संविधान अपना
लिख दिया विश्व के नाम
चांद सूरज तारे
हवा पानी प्रकाश
पर्यावरण
और अंत में सबके लिए
सृजन के संकल्प
और प्रार्थनाएं अनन्त
नहीं लिखा
विनाश का कोई भी शब्द
किसी के लिए कहीं
मैंने सौंप दी
अपनी वसीयत नर्मदा को
जो अमरकंठ में धारण किये
बहती रहेगी समुद्र तक
सृजन कये साथ साथ!!
कवि, आलोचक व लेखक। मोः 09425044895.