वायुमंडल में ऐसा भ्रमिल जिसके मध्य भाग, केंद्र में, कम दाब रहता है। इस भ्रमिल में, उत्तरी गोलार्द्ध में पवन केंद्र के इर्द-गिर्द वामावर्त दिशा में और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में घूमती है। भ्रमिल की तीव्रता पवन की गति के अनुसार मापी जाती है। आमतौर से अवनमन में वह 8.5 से 13.5 मीटर प्रति सेकेंड तक होती है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा पवन की गति के अनुसार भ्रमिल को “निम्न दाब क्षेत्र”, “अवनमन”, “गहरा अवनमन”, “चक्रवातीय तूफान”, “तीव्र चक्रवातीय तूफान” और “हरीकेन”/ “टाइफून” में निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया हैः
भूपृष्ठ पर स्थित गर्त या निम्नक्षेत्र जो चारों ओर से उच्च भूमियों से घिरा होता है और वहाँ से पृष्ठीय अपवाह का कोई निकास नहीं होता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा पवन की गति के अनुसार भ्रमिल को “निम्न दाब क्षेत्र”, “अवनमन”, “गहरा अवनमन”, “चक्रवातीय तूफान”, “तीव्र चक्रवातीय तूफान” और “हरीकेन”/ “टाइफून” में निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया हैः
निम्न दाब क्षेत्र |
8.5 मीटर/सेकेंड |
अवनमन |
8.5-13.5 मीटर/सैकंड |
गहरा अवनमन |
14.0-16.5 मीटर/ सैकंड
|
चक्रवातीय तूफान |
17.0-23.5 मीटर/ सैकंड |
तीव्र चक्रवातीय तुफान |
24.0-31.0 मीटर/ सैकंड |
हरीकेन/टाइफून |
32.0 मीटर/ सैकंड से अधिक |
भूपृष्ठ पर स्थित गर्त या निम्नक्षेत्र जो चारों ओर से उच्च भूमियों से घिरा होता है और वहाँ से पृष्ठीय अपवाह का कोई निकास नहीं होता है।