बांधों की सेहत जांचेगा डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल

Submitted by Shivendra on Wed, 01/08/2020 - 13:03
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दैनिक जागरण, 8 जनवरी 2020

प्रतीकात्मक

दैनिक जागरण, 8 जनवरी, 2020
 
उत्तराखंड में नदियों, झीलों पर बने बांध कितने साल पुराने हैं, मौजूद स्थिति क्या है, कहीं ये जनसामान्य के लिए खतरनाक तो नहीं, ऐसे तमाम बिन्दुओं की जाँच के लिए सरकार डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल बनाने जा रही है। विधानसभा के विशेष सत्र में प्रश्नकाल के दौरान उठे सवाल के जवाब में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सदन को यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी माना कि कुमाऊं में भीमताल झील पर बने बांध से जल रिसाव हो रहा है।
 
प्रदेश में आजादी से पहले झीलों, नदियों पर कई बांध बने, लेकिन ये कब बने और इनकी आयु कितनी है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। भीमताल झील का बांध भी इनमें एक है। सौ साल से ज्यादा पुराने इस बांध की सेहत ठीक नही है। इससे जल रिसाव हो रहा है। विधायक राम सिंह कैड़ा ने विस के विशेष सत्र में तारांकित प्रश्न के जरिए वह मसला उठाया। विधायक कैड़ा ने कहा कि भीमताल झील का बांध जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। इसके टूटने से न सिर्फ झील के विलुप्त होने बल्कि आस-पास के लोगों को भी खतरा हो सकता है। उन्होंने झील के रख-रखाव और बांध पुनर्निर्माण के सम्बन्ध में सरकार से जानना चाहा। विधायक करन माहरा, प्रीतम सिंह ने भी इसके साथ ही अन्य बांधों को लेकर अनुपूरक प्रश्न उठाए। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सरकार के पास यही जानकारी है कि भीमताल झील का बांध सौ साल से ज्यादा पुराना है। बांध से जल रिसाव हो रहा है, मगर बांध किनारे बसे लोगों को कोई खतरा नहीं है। समस्या के निदान को राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के जरिए कार्रवाई चल रही है। इस कड़ी में गोल्डन आइसोटोप मुहैया कराने को भाभा अनुसंधान केन्द्र से सम्पर्क किया गया है।
 
उन्होंने बताया कि भीमताल समेत सभी बांधों को लेकर डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल बनाया जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के साथ ही अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल रहेंगे। यह पैनल बांधों का अध्ययन कर उनकी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।

विशेस सत्रः 24 हाइड्रो प्रोजेक्ट पर 1500 करोड़ का जलकर
 
जल संसाधनों की प्रचुरता वाले उत्तराखंड में अब जल विद्युत उत्पादन को पानी के उपयोग पर सम्बन्धित कम्पनियों को जलकर देना होगा। सरकार ने पाँच मेगावाट व इससे कम क्षमता के हाइड्रो प्रोजेक्ट को छोड़कर शेष जल विद्युत परियोजनाओं से जलकर वसूलने का निर्णय लिया है। इसके लिए दर निर्धारण के साथ ही 24 परियोजनाओं पर 1577.41 करोड़ का जलकर अधिरोपित किया गया है।
 
विधानसभा के विशेष सत्र में मंगलवार को विधायक धन सिंह नेगी की ओर से पूछे गए अतारांकित प्रश्न के जवाब में सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने उक्त जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि दो माह पहले जलविद्युत उत्पादन को जल के उपयोग पर जलकर लगाने के सम्बन्ध में अधिसूचना जारी की गई। जलकर से राज्य में स्थित पाँच मेगावाट और उससे कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं को छूट दी गई है। शेष सभी पर जलकर अधिरोपित किया जा रहा है।
 
सिंचाई मंत्री ने बताया कि राज्य में जलविद्युत उत्पादनरत सभी चिन्हित 24 जल विद्युत परियोजनाओं पर जल उपयोग के आंकड़ों के आधार पर 1577.41 करोड़ का जलकर लगाया गया है। इसके सापेक्ष जलकर के रूप में राज्य को नवम्बर 2019 तक 392.94 करोड रुपए मिल चुके हैं। शेष राशि भी जल प्राप्त हो जाएंगी।
 
जलकर का निर्धारण

उपलब्ध हेड

दर (प्रति घन मीटर)

30 मीटर तक

दो पैसे

31-60 मीटर

पांच पैसे

61-90 मीटर

सात पैसे

90 मीटर से ज्यादा

10 पैसे