बारिश

Submitted by Hindi on Wed, 05/04/2011 - 10:20
न बादलों की आवाजाही
न बिजली की कड़क
न घटा घहरानी
फिर भी मैं भीग गया हूँ

पोर-पोर
भर गया हूँ रंध्र-रंध्र
तुम्हारे प्यार की उन उतप्त बदलियों ने
कर दिया मुझे लहालोट

और बाढ़ में बह गया
हम दोनों का शरीर
सुबह के घाट पर

रूह की नमी से याद रहा
कि बारिश
प्यास के एक रिश्ते का नाम है!