बायोफ्यूल से 15 फीसद कम होगा कार्बन डाइअॉक्साइड का उत्सर्जन

Submitted by editorial on Thu, 08/30/2018 - 17:19
Source
दैनिक जागरण, 28 अगस्त, 2018

बायोफ्यूलबायोफ्यूल (फोटो साभार - फाइनेंशियल ट्रिब्यून)देहरादून- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (Indian Institute of Petroleum - IIP) में तैयार बायोफ्यूल का प्रयोग हवाई जहाज में किये जाने से सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को पहुँचेगा। इस बायोफ्यूल से कार्बन डाइअॉक्साइड (carbon dioxide - CO2) उत्सर्जन की मात्रा में करीब 15 फीसद की कमी आएगी। इसके साथ ही अन्तरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से ऐसे ईंधन की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। इस बात को देखते हुए आईआईपी ने अब बायोफ्यूल के अधिक उत्पादन के लिये बड़ा प्लांट लगाने का निर्णय लिया है।

‘एप्लिकेशन अॉफ बायोफ्यूल फॉर एविएशन’ (application of biofuel for aviation) नामक शोध को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिन्हा का कहना है कि संस्थान में प्रतिघंटे 10 लीटर बायोफ्यूल तैयार करने की क्षमता के प्लांट की स्थापना की जा रही है। इससे एक दिन में अधिकतम 200 लीटर तेल तैयार किया जाएगा।

जेट्रोफा से तैयार इस ईंधन में न सिर्फ कार्बन डाइअॉक्साइड का उत्सर्जन 15 फीसद कम होगा, बल्कि सल्फर डाइअॉक्साइड (sulphur dioxide - SO2) की मात्रा की सामान्य ईंधन की अपेक्षा न के बराबर रहेगी। डॉ. सिन्हा के अनुसार जेट विमानों से वातावरण की ऊपरी परत में दो फीसद तक कार्बन डाइअॉक्साइड पहुँचती है। ऊपरी हिस्से का प्रदूषण वायुमण्डल के लिये निचले स्तर से अधिक खतरनाक होता है। इसी बात को देखते हुए इंटरनेशनल एविएशन ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (international aviation transport association - IATA) ने वर्ष 2017 तक एयरक्राफ्ट के सामान्य ईंधन में कम-से-कम 10 फीसद बायोफ्यूल मिलाने का लक्ष्य तय किया था। जबकि यहाँ इस लक्ष्य से कहीं अधिक 25 फीसद बायोफ्यूल सामान्य ईंधन में मिलाया जा रहा है।

जैव ईंधन के कच्चे माल के लिये भी कसरत शुरू

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनिल सिन्हा का कहना है कि बायोफ्यूल की तकनीक ईजाद करने और इसके सफल प्रयोग के बाद अब अगला लक्ष्य अधिक-से-अधिक कच्चा माल जुटाना है। क्योंकि जब बायोफ्यूल की माँग बढ़ने लगेगी तो उत्पादन भी उसी अनुपात में बढ़ाना होगा। जबकि वर्तमान में कच्चे माल की स्थिति अधिक सन्तोषजनक नहीं है। अभी हमारे पास सिर्फ जेट्रोफा का ही विकल्प है।

ऐसे में तय किया गया है कि नॉर्थ ईस्ट से नाहॉर प्रजाति के पेड़ों के बीज का भी प्रयोग बायोफ्यूल के लिये किया जाये। क्योंकि इसके बीजों में भी तेल की मात्रा काफी अधिक है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में सैपियम (Sapium) नामक वनस्पति को भी बायोफ्यूल के लिये उपयुक्त पाया गया है। दोनों क्षेत्रों के सम्बन्धित संस्थानों के साथ वार्ता चल रही है। दूसरी तरफ विभिन्न अखाद्य तेलों के प्रयोग की दिशा में भी प्रयास किये जा रहे हैं। जल्द बेहतर परिणाम सामने होंगे।

1. जेट्रोफा से बने ईंधन से सफलतापूर्वक उड़ान भरने के बाद आईआईपी बढ़ा रहा इसके व्यावसायीकरण की दिशा में कदम।

2. संस्थान में प्रतिदिन 200 लीटर तेल उत्पादन का प्लाट लगाने की कार्रवाई शुरू।

3. पिछले डेढ़ दशक में जेट ईंधन की खपत 21 फीसद से अधिक दर से बढ़ी।

4. विश्व भर में वर्ष 2029 तक एयरक्राफ्ट की संख्या 30 हजार 900 होने का अनुमान लगाया गया।

5.ऐसे में वातावरण की ऊपरी परत में प्रदूषण बढ़ने की आशंका भी उसी अनुपात में बढ़ने लगी।

6. भारत के अलावा अमरीका, समूचा यूरोप, अॉस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देश बायोफ्यूल का प्रयोग कर रहे हैं।

एक किलो जेट्रोफ में 40 फीसद तेल

डॉ. अनिल सिन्हा ने बताया कि जेट्रोफा के एक किलो बीज में करीब 30 से 40 फीसद तक का तेल होता है हालांकि जब इससे ईंधन तैयार किया जाता है तो यह मात्रा बढ़कर 50 फीसद तक हो जाती है। साथ ही इसके बाद जो अवशेष बच जाता है, उससे भी 30-30 फीसद तक पेट्रोल-डीजल व पाँच फीसद एलपीजी तैयार किया जा सकता है। इस तरह जेट्रोफा से ईंधन बनाने की प्रक्रिया में वेस्टेज न के बराबर होता है।

बायोफ्यूल से उड़ान भरेंगे एयरफोर्स के विमान

बायोफ्यूल से हवाई जहाज उड़ाने के लिये स्पाइस जेट के अलावा देश की एयरफोर्स (वायु सेना) खासी उत्साहित है। डॉ. सिन्हा के अनुसार ट्रायल स्तर से ही वायु सेना के अधिकारी संस्थान के सम्पर्क में रहे हैं। यदि सब कुछ ठीक रहा तो बायोफ्यूल के कमर्शियल स्तर पर उत्पादन करने के लिये वायु सेना बड़ी डील कर सकती है। यदि ऐसा हो पाया तो निकट भविष्य वायु सेना के विमान भी जैव ईंधन से उड़ान भर सकेंगे। वहीं, स्पाइस जेट से भी इस दिशा में बातचीत चल रही है। कुछ ऐसे भी प्रयास किये जा रहे हैं कि भविष्य विभिन्न एयरपोर्ट पर बायोफ्यूल बिक्री के लिये रखा जाएगा। ताकि इच्छुक विमानन कम्पनियाँ उसे खरीदकर प्रयोग कर सकती हैं।

120 रुपए कीमत, मगर होगा फायदा।

आईआईपी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जेट्रोफा से तैयार ईंधन की कीमत प्रति लीटर करीब 120 रुपए बैठ रही है। जो कि सामान्य ईंधन से करीब 50 रुपए महंगा है। हालांकि कई देश प्रदूषण के लिये विमानन कम्पनियों से मोटा टैक्स वसूल रहे हैं। जल्दी ही हमारे देश में भी यह कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। उस लिहाज से देखें तो जैव ईंधन का प्रयोग तुलनात्मक रूप से किफायती होगा।

इस तरह बढ़े मंजिल की तरफ कदम

1. आज से करीब 10 साल पहले वर्ष 2008-09 में आईआईपी ने बायोफ्यूल तैयार करने की दिशा में काम शुरू किया था।

2. वर्ष 2011 में संस्थान के वैज्ञानिकों ने जेट्रोफा के बीजों से 15 लीटर बायोफ्यूल तैयार किया।

3. तैयार बायोफ्यूल की परीक्षण के लिये इण्डियन अॉयल कॉरपोरेशन (indian oil corporation - IOC) व हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (hindustan petroleum corporation limited - HPCL) को भेजा। यहाँ से सकारात्मक रिपोर्ट मिलने पर शोध की गति बढ़ा दी गई।

अमरीका से बेहतर हमारा बायोफ्यूल

बेशक अमरीका हमसे पहले बायोफ्यूल तैयार कर लिया था, लेकिन वहाँ तैयार होने वाला जैव ईंधन डबल प्रोसेसिंग से तैयार किया जाता है। जबकि आईआईपी ने सिंगल प्रोसेस से ईंधन तैयार किया है। इससे समय व लागत दोनों में कमी आ जाती है।

नई दिल्ली में सोमवार को हवाई अड्डे पर जैव ईंधन संचालित विमान के सफलतापूर्वक उतरने के मौके पर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु, हर्षवर्धन धर्मेन्द्र प्रधान और जयंत सिन्हा मौजूद रहे इस विमान ने देहरादून से उड़ान भरी थी।

भविष्य की उड़ानों का ईंधन है बायोफ्यूल

सोमवार को देहरादून से दिल्ली के लिये उड़ी स्पाइस जेट की फ्लाइट ने इतिहास रच दिया। बायोफ्यूल से चलने वाली यह देश की पहली उड़ान बनी। अमरिका, कनाडा, अॉस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के बाद एविएशन बायोफ्यूल का परीक्षण करने वाला पहला विकासशील देश बन गया है। कम उत्सर्जन और बेहतर उड़ान अनुभव कराने वाली बायोफ्यूल को हवाई जहाजों के लिये भविष्य का ईंधन माना जा रहा है।

भारत बड़ा बाजार

देश का नागरिक उड्डयन क्षेत्र दिन दूनी रात चौगुनी गति से वृद्धि कर रहा है। 2020 तक यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन सकता है। 2030 तक यह इस क्षेत्र का दुनिया में सिरमौर होगा। देश का नागरिक विमानन उद्योग अनुमानित 16 अरब डॉलर का है।

लम्बे समय से हो रहा प्रयोग

2008 से कई उड़ानों में बायोफ्यूल का परीक्षण किया जा चुका है। 2011 में अमरीकन सोसायटी फॉर टेस्टिंग एंड मैटेरियल्स (american society for testing and materials) द्वारा बायोफ्यूल को मान्यता देने के बाद से व्यावसायिक उड़ानों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। पहली फ्लाइट ने 30 जून, 2011 को एम्सटर्डम से पेरिस के बीच उड़ान भरी। इसमें 171 यात्री सवार थे।

ऐसे बनता है एविएशन बायोफ्यूल

पौधों में मौजूद अखाद्य तेलों, लकड़ी और उसके उत्पादों, जानवरोंं के वसा और बायोमास से बनने वाले बायोफ्यूल के एक हिस्से को पारम्परिक ईंधन, जैसे पेट्रोल या डीजल में मिलाकर एविएशन बायोफ्यूल बनाया जाता है।

सरकार का भी साथ

आयात के रूप में भारत जिस चीज के लिये सबसे ज्यादा रकम खर्च करता है, वह जीवाश्म ईंधन है। इसलिये इस पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिये देश में बायोफ्यूल को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है।

1. 4.1 अरब पिछले साल बायोफ्यूल वाली उड़ानों में सफर करने वाले लोगों की संख्या।

2. 3% 2050 तक कुल वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में परम्परागत एविएशन (एटीएफ से उड़ान भरने वाले) की अनुमानित हिस्सेदारी।

3. 80% उड़ान के दौरान कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है बायोफ्यूल।

4. 60-70% पारम्परिक ईंधन के मुकाबले महंगा होता है बायोफ्यूल।

 

 

 

TAGS

explain how biofuels could potentially reduce greenhouse gas emissions, do biofuels reduce greenhouse gases, describe how the use of biofuels can reduce carbon emissions, how can biofuels reduce global warming, biofuel emissions, do biofuels release co2, biodiesel vs gasoline emissions, how much co2 does biodiesel produce, why use biofuels for aviation, aviation biofuel cost, airlines using biofuels, aviation biofuel companies, types of aviation biofuel, bio jet fuel production, sustainable aviation fuel, jet biofuel price, astm abbreviation, astm full form, astm standards list, what does astm stand for, astm stands for, astm wiki, astm standards free download, astm standards for steel, types of aviation biofuel, aviation biofuel cost, aviation biofuel companies, why use biofuels for aviation, bio jet fuel production, sustainable aviation fuel, aviation biofuel market, alternative aviation fuel, hindustan petroleum corporation limited contact details, hindustan petroleum recruitment 2018, hindustan petroleum dealership, hpcl career, hindustan petroleum share price, hpcl recruitment 2018, bharat petroleum, hpcl gas, indian oil corporation limited, indian oil corporation dealership, indian oil corporation recruitment, indian oil corporation share price, indian oil corporation limited marketing division central login, indian oil corporation limited contact details, indian oil corporation ltd marketing division, indian oil corporation recruitment 2018, biofuels, biofuel production, types of biofuels pdf, biofuel examples, biofuel chemistry definition, how are biofuels made, biofuel chemical formula, what is biofuel used for, sapium glandulosum, sapium sebiferum, sapium insigne, sapium heart, sapium insigne common name, sapium sebiferum uses, sapium marmieri, sapium caudatum, sapium sebiferum, sapium glandulosum, sapium insigne, sapium heart, sapium sebiferum common name, sapium insigne common name, Sapium botanical, biofuel technology, biofuel technology pdf, biofuel technology in india, biofuel examples, advantages of biofuel, what is biofuel used for, how is biofuel made, biofuel production, types of biofuels pdf, biofuel in india, biofuel production in india, biodiesel market india, biodiesel production companies in india, future of biofuels in india, how to sell biodiesel in india, current status of biofuels in india, biofuel research in india, why biodiesel is not used in india, Nahar species biofuel, functions of iata, iata wiki, iata certification, iata travel agents, iata airlines, iata definition, iata courses, role of iata, sulphur dioxide in food, sulphur dioxide effects, sulphur dioxide side effects, sulphur dioxide formula, sulfur dioxide health effects, sulfur dioxide sources, sulfur dioxide environmental effects, sulfur dioxide uses, jatropha, jatropha integerrima, jatropha curcas, jatropha curcas common name, jatropha seeds, jatropha plant, jatropha biodiesel, jatropha in india, advantages of biofuel, biofuel examples, how is biofuel made, biofuel facts, biofuel production, what is biofuel used for, biofuel plants, types of biofuels, airlines using biofuels, types of aviation biofuel, aviation biofuel cost, aviation biofuel companies, bio jet fuel production, jet biofuel price, sustainable aviation fuel, alternative aviation fuel, carbon dioxide meaning, carbon dioxide structure, carbon dioxide uses, carbon dioxide facts, carbon dioxide poisoning, carbon dioxide cycle, carbon dioxide density, carbon dioxide boiling point, indian institute of petroleum, admission procedure, indian institute of petroleum dehradun admission 2018, indian institute of petroleum recruitment 2018, indian institute of petroleum management, indian institute of petroleum visakhapatnam, indian institute of petroleum dehradun admission 2017, indian institute of petroleum eligibility, indian institute of petroleum csir iip dehradun.