एक नदी को जीवित करने का प्रयास

Submitted by Shivendra on Tue, 03/23/2021 - 16:30

हिण्डन नदी, उत्तरी भारत में यमुना नदी की एक सहायक नदी के रूप जानी जाती  है  इस नदी का उद्गम  स्थल सहारनपुर जिले के निचले हिमालय क्षेत्र के ऊपरी शिवालिक पर्वतमाला में स्थित है। यह बरसाती नदी है इसका बेसीन क्षेत्र लगभग 7083 वर्ग किमी है। यह नदी मुज़फ्फरनगर जिला, मेरठ जिला, बागपत जिला, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा से होकर दिल्ली से कुछ दूरी पर यमुना पर मिल जाती है।

कभी महानगर की पहचान के रुप जाने जानी वाली हिंडन नदी का आज  अस्तित्व खतरे में है। इसका पानी  इतना प्रदूषित हो गया है कि अब यह इस्तेमाल करने का लायक तक भी नही रह गया है। इसमें  पाये जाने वाले जलीय प्राणियो का अस्तित्व धीरे-2 खत्म होता जा रहा है। हिंडन नदी पर किये गए शोध से यह बात सामने आई कि इसमें ऑक्सिजन की मात्रा भी घटती जा रही है ।

बरसात के मौसम में भी इसमें पानी काफी कम रहता है। नदी में  औद्योगिक कचरा, अवैध कालोनियों का बसाव व पूजन सामग्री आदि के डाले जाने से उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई  है।  

आज इसी चिंता को लेकर कई पर्यावरण प्रेमी आगे आये है और इसे बचाने की मुहिम शुरू की  है । 13 मार्च को सेन्टर फ़ॉर वाटर पीस के निदेशक संजय कश्यप के नेतृत्व में कुछ  पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्त्ता हिडन उद्गम स्थल   सहारनपुर  पहुँचे। जहाँ उनकी मुलाकात स्थानीय निवासी  और हाई सीड के निदेशक उमर सैफ से हुई,उमर सैफ भी एक पर्यावरण कार्यकर्ता  है और कई सालों से  हिंडन और उसकी सहायक नदियों को जीवित करने  में जूटे है।

शिवालिक रेंज की चट्टानो से घिरा     हिण्डन उद्गम स्थल, पहुँचते ही लोगों को वहाँ  100 फीट का एक पहाड़ मिला ।  जिसके  नीचे से लगातार झरने के रूप में पानी गिर रहा था।

झरने से गिर रहे पानी की मात्रा काफी कम थी लेकिन  हिंडन को जीवित करने की वही  सिर्फ आखरी उम्मीद बची हुई है। पर्यवरण कार्यकर्ताओं  के लिये  एक अच्छी बात यह  रही की इस पानी झरने  में  जलीय जंतु भी है  एक मानक के अनुसार जलीय जंतुओं के जीवित रहने के  लिए कम से कम एक लीटर में 5 मिलीग्राम घुली आक्सीजन (डीओ) की मात्रा जरूरी होती है। 

इस बीच, संजय कश्यप,समाजिक कार्यकर्ता केसर सिंह और उमर सैफ द्वारा लोगों को हिंडन नदी के बारे में जानकारी दी गई और साथ ही ये बताया गया कि कैसे हिंडन को जीवित  किया जा सकता है। और उसके लिए सभी लोगों को क्या करना होगा। 

पर्यावरण कार्यकर्ताओं  की यह पहल हिंडन को जीवित  कर पायेगी या नही । ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।  लेकिन  ये लोग हार नही मानने वाले ।