एक अनुभूति

Submitted by Hindi on Thu, 07/14/2011 - 09:12
हलक सूख रहा है
अकड़ रहा है शरीर
प्यास के मारे छटपटा रही है जान
सूखते-सूखते कुआँ को ऐसा ही लगा होगा
इसी तरह तड़पी होगी सूखते समय नदी

अपना पानी चुकते लख
मछलियों को देख मरते
आसमान की तरफ़ निहार-निहार
कितना छटपटायी होगी
अपनी बड़ी झील!!