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काव्य संचय- (कविता नदी)
नदी एक नौजवान ढीठ लड़की है
जो पहाड़ से मैदान में आई है
जिसकी जाँघ खुली
और हँसी से भरी है-
जिसने बला की सुंदरता पाई है
पेड़ हैं कि इसके पास ही रहते हैं
झुकते, झूमते, चूमते ही रहते हैं
जैसे बड़े मस्त नौजवान लड़के हैं!
नदी म्यान से खिंची एक तलवार है
जो मैदान में लगातार चलती है
जिसकी धार तेज और बिजली से भरी है
जिसने बला की चंचलता पाई है।
कूल हैं कि इसको पास ही रखते हैं
जी-जान से इसे प्यार ही करते हैं
जैसे बड़े कुशल समर-शूर सैनिक हैं।
जो पहाड़ से मैदान में आई है
जिसकी जाँघ खुली
और हँसी से भरी है-
जिसने बला की सुंदरता पाई है
पेड़ हैं कि इसके पास ही रहते हैं
झुकते, झूमते, चूमते ही रहते हैं
जैसे बड़े मस्त नौजवान लड़के हैं!
नदी म्यान से खिंची एक तलवार है
जो मैदान में लगातार चलती है
जिसकी धार तेज और बिजली से भरी है
जिसने बला की चंचलता पाई है।
कूल हैं कि इसको पास ही रखते हैं
जी-जान से इसे प्यार ही करते हैं
जैसे बड़े कुशल समर-शूर सैनिक हैं।