गाय दुहे, बिन छाने लावै

Submitted by Hindi on Fri, 03/26/2010 - 10:51
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घाघ और भड्डरी

गाय दुहे, बिन छाने लावै, गरमा, गरम तुरन्त चढ़ावै।
बाढ़ै बल अउर बुद्धि भाई, घाघ कहे सच्ची बतलाई।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि गाय को दूहकर उसी समय बिना छाने गरमागरम कच्चा दूध पीने से बल और बुद्धि दोनों बढ़ती हैं।